राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर निवासी कार्यकर्ता
चिरंजीव धीवर ने समस्त मानव जीवन को बचाने के लिए पुण्य प्रयास किया है। उन्होंने ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद्’ (आईसीएमआर) और ‘भारत बायोटेक’ के संयुक्त प्रयास से निर्मित ‘कोविड-19 रोग निरोधी टीका’ के प्रयोग के लिए स्वयं के शरीर को अर्पित किया है। संघ के स्वयंसेवक का यह निर्णय समूची मानवता
पर एक बड़ा उपकार है। यदि यह परीक्षण सफल रहा तो विश्व में भारत का नाम वैक्सीन विकसित करने वाले देशों में न केवल अग्रणी होगा, बल्कि संसार में भारत के ज्ञान-विज्ञान की चमत्कृत करने वाली शक्ति को पुनः स्थापित करेगा। आज समस्त विश्व में ‘चीन जनित’ कोरोना वायरस ने मानवता के सामने अस्तित्व का संकट
खड़ा कर दिया है। कोई देश ऐसा नहीं है, जहां इस वायरस का प्रकोप न हो। विश्व भर में इस वायरस की महामारी से हाहाकार मचा है। इससे बचने के लिए महीनों तक घरों में बंद होकर रहना पड़ा है। समाज जीवन को इसने बुरी तरह से प्रभावित किया है। उद्योग-व्यापार, कृषि, सेवा क्षेत्र आदि सभी पर प्रतिकूल प्रभाव
पड़ा है। अनेक लोगों की नौकरियां चली गई हैं। कितने ही व्यक्तियों के प्राण चले गए। रोग ग्रस्त लोगों की संख्या लाखों में है। इस वायरस से अभी तक सिर्फ बचाव को ही उपाय माना जा रहा है, क्योंकि इसकी कोई सटीक औषधि नहीं है। कई तरह की दवाओं को प्रयोग के तौर पर आजमाया गया है। कुछ के आंशिक प्रभाव हुए
हैं। इस रोग के समग्र रूप से उन्मूलन के लिए वैक्सीन की आवश्यकता आरम्भ से ही अनुभव की जा रही है। वायरस का प्रकोप बीते मार्च माह से जब तेजी से विश्व में फैला तभी से इसके निदान और रोकथाम के लिए एक वैक्सीन की आवश्यकता अनुभव की जाने लगी। इस कार्य में जहां विकसित देशों अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस,
रूस और चीन ने वैक्सीन विकसित करने के लिए शोध आरम्भ किये। इसके साथ ही भारत ने अपनी चिकित्सा विज्ञान की ख्याति के अनुरूप वैक्सीन की खोज और निर्माण पर कार्य शुरु कर दिया। संतोष की बात यह है कि आईसीएमआर और भारत बायोटेक के संयुक्त प्रयास से वैक्सीन खोज में हम सबसे आगे निकल गए। भारत ने सबसे पहले
टीका बना लिया। अभी जहां अन्य देश निर्माण की प्रक्रिया में ही हैं, हमने इस टीका के ‘मानव परीक्षण’ की तैयारी कर ली है। इस वैक्सीन का मानव परीक्षण शुरु हो चुका है। इसे 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस पर जारी करने की योजना है। हमारा देश वैक्सीन निर्माण में ख्याति रखता है तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन को
वैक्सीन उपलब्ध कराने वाले देशों में भी सबसे आगे है। ऐसे में भारत का कोविड-19 रोग को रोकने के लिए वैक्सीन निर्माण का कार्य विश्व में ख्याति दिलाएगा। वैक्सीन का परीक्षण मानव पर किया जाता है। इससे इसकी रोग का निदान करने तथा रोकने की क्षमता का परीक्षण होता है। इस परीक्षण के लिए जो भी लोग तैयार
हो रहे हैं, वे अच्छी तरह जानते हैं कि इसके जोखिम क्या हैं। इसके बाद भी संघ के स्वयंसेवक चिरंजीव धीवर का स्वयं को कोरोना वैक्सीन के परीक्षण के लिए प्रस्तुत करना समूची मानवता के लिए पुण्य प्रयास है। श्री धीवर ने यह प्रमाणित कर दिया है कि संघ का स्वयंसेवक स्वयं के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के
कल्याण के लिए सदैव तत्पर है। इस कार्य में वह स्वयं के अस्तित्व को अर्पित करने में पीछे नहीं रहता। ऐसे सेवावृती स्वयंसेवक चिंरजीव धीवर को सादर प्रणाम !
(उप्रससे) |