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निंदनीय

Tags:  Rampur, CRPF Attack, SAMAJVADI PARTY, Publised on : 03.11.2019/ आज का सम्पादकीय/ सर्वेश कुमार सिंह,

रामपुर में वर्ष 2007 के आखिरी दिन जिन आतंकवादियों ने केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल के ग्रुप सेंटर पर हमला किया था,  उनसे उत्तर प्रदेश की पूर्व समाजवादी पार्टी सरकार मुकदमे वापस लेना चाहती थी।  इन आतंकवादियों को शनिवार को अपर जनपद न्यायालय (तृतीय ) ने फांसी की सजा सुनाई है, जबकि एक को आजीवन कारावास और एक को दस साल की सजा हुई है। समाजवादी पार्टी और उसकी तत्कालीन सरकार का यह  प्रयास अत्यधिक निंदनीय है। उत्तर प्रदेश के 2012 में हुए विधान सभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह उन निर्दोष लोगों से मुकदमे वापस लेगी जिन्हें जानबूझ कर झूठा फंसाया गया है। इसलिए सपा सरकार ने सत्ता में आने के बाद रामपुर के आतंकी हमले के अभियुक्तों से भी मुकदमे वापस लेने के लिए जिला प्रशासन से पत्राचार किया था। लेकिन, तत्तकालीन जिला प्रशासन ने इस पर आपत्ति कर दी थी। इस कारण मुकदमे  वापस नहीं हो सके। इस बात की पुष्टि रामपुर के जिला प्रशासन ने भी की है। सुरक्षा बल पर हमले की साजिश पाकिस्तान और स्थानीय आतंकवादियों ने रची थी। इसके लिए सीमा पार से आतंकी आये और स्थानीय देशद्रोहियों के साथ मिलकर 31 दिसम्बर 2007 की रात करीब ठाई बजे हमला किया। आतंकवादियों ने एके-47 और हैंड ग्रेनेड से पूरी प्लानिंग के साथ हमला किया। इसमें आधा दर्जन जवान शहीद हुए तथा एक नागरिक की मृत्यु हुई थी। जबकि कई जवान और नागरिक घायल हुए थे।  इतनी बड़ी आतंकी घटना से पूरा देश दहल गया था। मामले की जांच आतंकवाद निरोधक दस्ते ATS ने की थी।  लेकिन, सपा सरकार को  ये हमलावर निर्दोष नजर आये । आतंकवादियों और राष्ट्रविरोधियों से मुकदमे वापस लेने की कोशिश करने का तत्कालीन सपा सरकार का यह अकेला मामला नहीं है। इन्होंने स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट आफ इण्डिया  SIMII से जुड़े कई पदाधिकारियों से  भी मुकदमे वापस लेने की कोशिश की थी। लेकिन, संबंधित जिलों के अधिकारियों के विरोध के चलते इसमें भी ये सफल नहीं हो सके थे। वोट की राजनीति के लिए कोई राजनीतिक दल किस हद तक जा सकता है? क्या वह देश और समाज हित को भी तिलांजलि दे देगा। मुसलमानों के वोट पाने की लालसा क्या-क्या कराएगी ? कम से कम ऐसे मामलों में जहां राष्ट्रहित की बात हो, निजी और सत्ता स्वार्थ से ऊपर उठकर सोचना चाहिए।  ( उप्रससे )

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