कथित
रूप से चीन के बुहान प्रांत स्थित जैव
विज्ञान प्रयोगशाला ‘बुहान इंस्टीट्यूट आफ
बायरोलाजी’ में विकसित कोरोना वायरस से
समूचा विश्व त्राहिमाम्-त्राहिमाम् कर रहा
है। दुनिया के करीब-करीब सभी देश
कोरोनाजनित बीमारी ‘कोविड़-19’ की चपेट
मे हैं। तीस लाख लोग इस बीमारी से
संक्रमित हो चुके हैं। दो लाख लोगों की
जान जा चुकी है। ऐसे में भारत में भी
सरकार को बीमारी से लड़ने में अपने सभी
संसाधन लगाने पड़े हैं। काम धंधे बंद हो
गए हैं, लोगों के पास रोजगार नहीं हैं।
खाने-पीने तक की दिक्कतें हो गई हैं। लोगों
को घरों में बंद होने के कारण दवाओं का
अभाव हो गया है। कई परिवारों के सामने
राशन की उपलब्धता का संकट हो गया है। यह
स्थिति एकदम विषम हो गई है। प्राकृतिक आपदा
में जैसे सरकार अकेले नहीं लड़ सकती वैसे
ही इस आपदा से लड़ने के लिए स्वयंसेवी
संस्थाओं का सहयोग अहम हो जाता है। भारत
में मानवता पर आये हर संकट में सहायता के
लिए खड़ा होने वाला अगर कोई संगठन है तो
वह है, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’। संकट
की इस घडी में भी संघ ने देशभर में सेवा
कार्य शुरु किये हैं। संकटग्रस्त लोगों तक
पहुंच कर उन्हें भोजन उपलब्ध कराने से
लेकर दवाओं आदि की व्यवस्था करना। गरीब और
असहाय परिवारों को राशन पहुंचाने आदि के
कार्यों में संघ ने अतुलनीय योगदान किया
है। इन सेवा कार्यों के बीच ही राष्ट्रीय
स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक डा. मोहन
भागवत ने अक्षय तृतीया के अवसर पर
स्वयंसेवकों के सीधा संवाद किया। उन्होंने
डिजिटल माध्यम से देश के लाखों
कार्यकर्ताओं और स्वयंसेवकों को संबोधित
किया। डा. मोहन भागवत ने कोरोना संकट काल
में स्वयंसेवकों को ‘सेवा को ही धर्म बनाने’
और ‘अपना कर्म मान लेने’ की सीख दी है।
उन्होंने बहुत विशाल हृदय का परिचय देते
हुए कहा कि जो लोग हमारे विरोधी भी हैं,
देश के खिलाफ भी बातें करते हैं। उनसे
सतर्क तो रहना है, और वो कोई देश का
नुकसान भी ना कर पाएं, इसके लिए सचेत भी
रहना है। लेकिन, सेवा कार्य करते हुए ऐसे
लोगों से भी विद्वेष नहीं रखना है। सेवा
सबकी करनी है। देश की 130 करोड़ जनता भारत
माता की ही संतान हैं। उन्होंने सेवा का
धर्म बताते हुए कहा कि बगैर प्रसिद्धि के
यह कार्य करना है। इसके साथ ही संघ सर
संघचालक डा भागवत ने यह भी संदेश दिया कि
हमें कोरोना के संकट से उबरने के बाद भारत
कैसा हो ? इस पर भी विचार करना होगा। सब
कुछ अस्त-व्यस्त होने के बाद नई व्यवस्था
बनानी होगी। हमें स्वदेशी आधारित अर्थनीति
और शिक्षा का माडल विकसित करना होगा। संघ
प्रमुख का संदेश है कि इस संकट की घड़ी
में राष्ट्र के नागरिकों में आत्मानुशासन
की भावना को प्रबल करना होगा। हम अनुशासित
नागरिक बनेंगे तो इस संकट से आसानी पर
विजय पा सकते हैं, तथा आगे भी बचे रह सकते
हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों से कहा कि हमें
समाज को अच्छा बनाना है तो पहले स्वयं
अच्छा बनना होगा। खुद का उदाहरण प्रस्तुत
करके ही हम दूसरों को परामर्श दे सकते
हैं। कोरोना संकट के इस काल में संघ द्वारा
दिया गया यह संदेश समूचे भारत के सर्वसमाज
के कल्याण की भावना से ओतप्रोत है। संघ ने
धर्म, सम्प्रदाय, जाति, पंथ से ऊपर उठकर
राष्ट्र के उत्थान का आह्वान किया है। इसमें
हम सबको भागीदार होना है।
(उप्रससे) |