नागरिकता
संशोधन कानून का विरोध करने के नाम पर उत्तर
प्रदेश को अशांत करने के लिए बड़ी साजिश
रची गई थी। पुलिस जांच के बाद इस साजिश की
परतें खुलने लगी हैं। जो सूचनाएं सामने आ
रही हैं, उनसे पता चलता है कि यूपी को
दहलाने और अशांति फैलाने के लिए साजिशकर्ता
योजनाबद्ध ढंग से सक्रिय हुए थे। उन्होंने
कई हफ्ते पहले से तैयारी शुरु की थी। इस
प्रदर्शन को उग्र करने के लिए साजिशकर्ताओं
ने कश्मीर से 60 से 70 पत्थरबाज युवकों को
बुलाया था। इसके साथ ही आगजनी और पत्थरबाजी
में शामिल कुछ युवक पश्चिम बंगाल से बुलाये
गए थे। इस साजिश का खुलासा पुलिस द्वारा
शिया कालेज के एक प्रवक्ता राबिन वर्मा की
गिरफ्तारी के बाद हुआ है। राबिन रिहाई मंच
नाम के संगठन से भी जुड़ा है जोकि
अलगाववादी गतिविधियों में गिरफ्तार किये
गए लोगों की रिहाई के लिए प्रयास करता रहा
है। इस प्रवक्ता और उसके साथिों ने एक
सप्ताह पहले ही बैठक करके साजिश रच ली थी।
पुलिस सूत्रों को जानकारी में है कि साजिश
एक अकादमी में बैठक करके रची गई थी। कैफी
के नाम पर बनी इस अकादमी में 8 दिसम्बर को
बैठक आयोजित की गई थी। उसने यह सुनिश्चित
करने के लिए कि 19 दिसम्बर के प्रदर्शन को
उग्र और हिंसक रूप दिया जाए, पूरी तैयारी
की थी। उसने ही कश्मीर से पत्थरबाजों को
आमंत्रित किया। इनके राजधानी में ठहरने की
व्यवस्था होटलों और लाजों मे की गई थी।
शाम को पत्थरबाजी और आगजनी के बाद ये युवक
राजधानी से योजनाबद्ध ढंग से फरार होने
में भी सफल रहे। इसके अलावा अगले दिन जब
20 दिसम्बर को कानपुर में प्रदर्शन हुआ तो
वहां भी हिंसा की गई। कई वाहनों और पुलिस
चौकी को फूंक दिया गया। यहां के उपद्रव
में प्रतिबंधित संगठन सिमी की सक्रियता
सामने आयी है। सिमी से जुड़े लोगों की
सक्रियता से कानपुर अशांत हो गया । यहां
नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर हिंसक
प्रदर्शन और घटनाओं को अंजाम दिया गया। ये
लोग भी पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरे
थे। पुलिस की तैयारियां यहां भी लखनऊ की
तरह ही नाकाम साबित हुईं। सबसे बड़ी विफलता
राज्य के खुफिया तंत्र की रही, जो यह पता
ही नहीं लगा सकी कि राज्य को अशांत करने
के लिए कश्मीर, असम और पश्चिम बंगाल से
उपद्रवी बुलाये गए हैं तथा वे राजधानी मे
डेरा डाल चुके हैं। साथ ही कानपुर में सिमी
ने बड़ी साजिश रची है। यदि राज्य के खुफिया
तंत्र ने समय रहते सूचनाएं एकत्र की होतीं
और सरकार तक पहुंचायी होतीं तो ये
साजिशकर्ता और इसमें शामिल लोग पहले ही
पकड़ लिये जाते। हालांकि अब उत्तर प्रदेश
पुलिस ने कड़ाई शुरु की है तो साजिश की
परतें खुलने लगी हैं। यह भी आशंका है कि
प्रदेश के अन्य जिन जिलों में हिंसक
प्रदर्शन हुए हैं। आगजनी और गोलीबारी की
घटनाएं हुई हैं। उनमें भी राज्य के बाहती
तत्वों का हाथ हो सकता है। इसमें मेरठ,
रामपुर और संभल प्रमुख हैं जहां आगजनी और
हिंसा हुई। मेरठ में पांच लोगों की जान भी
चली गई। जबकि मुजप्फरनगर और रामपुर में एक
एक व्यक्ति की जान गई। उन्नीस दिसम्बर के
प्रदर्शन को राज्य सरकार और प्रशासन ने
शायद गंभीरता से नहीं लिया। उसने इसे
सामान्य प्रदर्शन मान कर तैयारी की थी।
प्रशासन का पूरा जोर समाजवादी पार्टी को
रोकने पर लगा था। जबकि वह यह भूल गया कि
उत्तर प्रदेस सिमी का गढ रहा है। यहां के
कई जिलों कानपुर, आजमगढ़, बहराइच, लखनऊ,
मुरादाबाद, बरेली और मेरठ में सिमी की
गतिविधिया रही हैं। प्रतिबंध के बावजूद
इनके सिलीपिंग माउड्यूल अभी सक्रिय हैं तथा
कोई भी राष्ट्रविरोधी और समाज विरोधी
कृत्य करने के लिए सक्रिय हो जाते हैं। यह
उत्तर प्रदेश का कानपुर ही है जहां 2001
के दंगे में एक एडीएम सीपी पाठक की गोली
मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकाण्ड
में सिमी से जुड़े तत्वों का ही नाम सामने
आया था। इसलिए यूपी में विशेष सतर्कता बरती
जानी चाहिए थी। इसी के मद्देनजर तैयारी
होनी चाहिए थी। ( उप्रससे ) |