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जनकर्फ्यू में अभूतपूर्व एकजुटता

Publised on : 23.03.2020/ आज का सम्पादकीय/ सर्वेश कुमार सिंह

‘बाइस मार्च दो हजार बीस’ देश ही नहीं बल्कि विश्व इतिहास की तारीख बन गई है। इस दिन भारत ने आत्मानुशासन की संकल्प शक्ति और दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय कराया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आह्वान पर देश ने रविवार को अभूतपूर्व एकजुटता दिखायी। सम्पूर्ण भारत स्वंप्रेरणा से बंद रहा। लोग घरों में रहे, बाजार, संस्थान, यातायात साधन, शिक्षण संस्थाएं बंद रहे। सड़क पर केवल पुलिस और अति आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग ही निकले। यह अभूतपूर्व एकता संक्रमण से लड़ने के लिए एक बड़ा अस्त्र साबित होने जा रही है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक और गुजरात से आन्ध्र प्रदेश तक समूचा भारत एक लय, ताल और सुर में बंध गया। सुबह सात बजे से रात साढ़े नौ बजे तक देश भर में ‘जनकर्फ्यू’ ने कोरोना वायरस के खिलाफ युद्ध में पहला पड़ाव सफलता से पूरा किया है।  इसे आगे बढ़ाना है, क्योंकि यह वायरस, जिसने चीन से शुरु होकर यूरोप और मध्य एशिया के देशों को भंयकर रूप से अपनी चपेट में लिया है, उसे हराने का एकमात्र तरीका है “सामाजिक दूरी” । हम एक दूसरे से जितना दूर रहेंगे,उतना ही सुरक्षित रहेंगे। अति निकटता और संपर्क में ही खतरा है। यह वैज्ञानिक पहलू है कि वायरस को मानव शरीर से दूर रखना है, तो उसे उसी सतह पर मरने के लिए छोड़ देना है जहां वह मौजूद है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संदेश में 19 मार्च को रात आठ बजे जब देश की जनता से यह आह्वान किया कि 22 मार्च को जनता कर्प्यू में रहना है तो देश ने संकल्प को पूरा करने का आश्वासन दिया। संवाद और संचार के सभी माध्यमों समेत हर वर्ग ने प्रधानमंत्री को संकल्प के साथ खड़े होने का भरोसा दिलाया। लेकिन, कुछ लोग इस मौके पर ऐसे भी सामने आये, जिन्होंने मोदी की इस अपील का मखौल उडाया। इसे अवैज्ञानिक बताया। कई राजनीतिक दलों ने भी इसे एक षडयन्त्र करार दे दिया। ये लोग यह नहीं समझ पाये कि यह आज के लिए बल्कि कल को सुरक्षित करने के लिए उठाया गया कदम है। दूसरी ओर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत के इस फैसले का स्वागत किया और कोरोना से लड़ने के लिए इसे कारगर हतियार बताया। हम देख रहे हैं कि चीन के बाद इटली, स्पेन, ईरान और कई अन्य देशों में कोरोना किस तरह कहर बरपा रहा है। विश्व में मृतकों की संख्या 13 हजार को पार कर चुकी है। अकेले इटली में चार हजार से ज्यादा लोगों गी जान चली गई है। इन देशो के लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि क्या करें और क्या न करें। जबकि भारत ने इस बीमारी को रोकने के लिए दो मोर्चों पर लड़ाई शुरु की है। पहला मोर्चा है उन लोगों को बीमारी वाले देशों से निकालकर भारत लाना जो हमारे नागरिक हैं, और वहां फंस गए। इसी क्रम में सबसे हमारी सरकार ने बुहान में फंसे छात्रों और नागरिकों को निकाला। इसके बाद लगभग तीन सौ लोगों को ईरान से निकाल कर भारत लाया गया। दूसरा मोर्चा देश के अन्दर संक्रमित लोगों को उपचार प्रदान करना। संक्रमिकत लोगों की पहचान करके उन्हें एकांतवास में भेजने के लिए काम किया। भारत पहला ऐसा देश साबित हुआ है जिसने इस बीमारी को दूसरे चरण में आने से पहले ही तीसरे औच चौथे चरण की स्थिति वाले सुरक्षा और चिकित्सा उपचार के साधन अपना लिये। इसी में एक उपाय जनकर्फ्यू भी है। देश की जनता का जनकर्प्यू में स्वयंप्रेरणा से भागीदारी के अभिवादन । (उप्रससे)

Janata Curfew in India against Corona crisis, Compeet lockdown

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