लखनऊ।
उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री
रहे वयोवृद्ध कांग्रेस नेता पं. नारायण
दत्त तिवारी अब उज्जवला शर्मा के साथ
लिव-इन-रिलेशनशिप में रहेंगे। उज्जवला
शर्मा भारी हंगामे के बाद शनिवार को
राजधानी स्थित तिवारी जी के माल एवेन्यू
स्थित सरकारी आवास में प्रवेश कर गई हैं।
उन्हें तिवारी जी ने कथित तौर पर साथ रहने
की अनुमति दे दी है। उधर उज्जवला शर्मा के
तिवारी आवास में प्रवेश के विरोध में उनके
विश्वासपात्र विशेषकार्याधिकारी भवानी
दत्त भट्ट ने पद से त्यागपत्र दे दिया है।
भट्ट ने तिवारी का साथ छोड़ने की सूचना
उत्तर प्रदेश के गृह विभाग को भी दे दी
है। उन्होंने भविष्य में पूर्व मुख्यमंत्री
की सुरक्षा और अन्य दायित्व से स्वयं को
अलग करते हुए कहा है कि आगे की जिम्मेदारी
अब उज्जवला शर्मा की होगी। हालांकि भट्ट
ने तिवारी की जान-माल को खतरे में भी बताया
है। अलबत्ता उम्र के इस दौर में जब तिवारी
डीमेंशिया और पारकिंशन जैसी बीमारियों का
सामना कर रहे हैं, तो अचानक हुए पारिवारिक
बदलाव और विश्वसनीय व्यक्ति के चले जाने
से विकास पुरुष की छवि वाले व्यक्तित्व का
चौथा चरण असहज हो गया है।
हंगामा कर घर में घुसीं उज्जवला शर्मा
तिवारी आवास में
प्रवेश की प्रक्रिया के लिए घटनाक्रम एक
मई को शुरु हुआ। जब तिवारी उत्तराखण्ड से
यूपी की राजधानी लखनऊ आ रहे थे। उसी दौरान
उन्हें सूचना मिली कि पूर्व में उनके साथ
विवाहेत्तर संबंधों में रही उज्जवला शर्मा
माल एवेन्यू स्थित आवास पर पहुंची हुई
हैं। सूचना पाकर तिवारी जी असहज हो गए और
उन्होंने आवास पर नहीं आने का फैसला किया।
वह दो घण्टे के लिएर रास्ते में ही कहीं
रुक गए। जब तिवारी जी आश्वस्त हो गए कि
उज्जवला शर्मा चली गई हैं तो वह अपने आवास
आये। लेकिन, यही घटना क्रम फिर दोहराया गया।
उज्जवला शर्मा 2 मई शुक्रवार को फिर तिवारी
के आवास आरोही पर पहुंच गईं। उज्जवला शर्मा
लखनऊ के मीडिया के पूर्व सूचना देकर आयी
थीं। इसलिए भारी संख्या में मीडियाकर्मी
भी मौके पर पहुंच गए थे। तिवारी आवास का
गेट बंद होने पर उन्होंने उसे जबरन धकेलकर
खोलने की कोशिश की। दरवाजे पर उन्होंने
काफी देर तक समर्थकों के साथ हंगामा भी
किया। इसी दौरान पुलिस को सूचना दे दी गई।
सीओ हजरतगंज दिनेश यादव के नेतृत्व में
पहुंचे पुलिस दल ने तिवासी से सम्पर्क करके
उज्जवला शर्मा को प्रवेश दिला दिया और उनकी
तिवारी जी से मुलाकात भी करवा दी। बताते
हैं कि तिवारी जी ने उज्जवला शर्मा को साथ
रहने की अनुमति दे दी। तिवारी जी के
स्वास्थ्य और न्यूरो फिजिशियन की सलाह के
मुताबिक उनके ओएसडी भवानी दत्त भट्ट ने
उज्जवला शर्मा के आवास पर रहने का
विरोध किया। उन्होने कहा कि तिवारी जी को
उज्जवला शर्मा के साथ रहने से तनाव पैदा
होता हैजोकि उनके स्वास्थ्य के लिए घातक
है।
तिवारी जी ने
उज्जवला को दी घर में रहने की परमीशन
पुलिस के हस्तक्षेप
के बाद तिवारी जी ने उज्जवला शर्मा को अपने
आवास में रहने की परमीशन दे दी है। उन्हें
पुलिस ने जब अवगत कराया कि उज्जवला शर्मा
मिलना चाहती हैं तो उन्होंने कहा कि उन्हें
किसने रोका। तिवारी जी ने इसके साथ ही
शर्मा से कहा कि वह अब उनके साथ रहेंगीं।
इस पर उज्जवला शर्मा ने ओएसडी भवानी दत्त
भट्ट की शिकायत की।
भट्ट ने दिया इस्तीफा, कहा अब
जिम्मेदारी उज्जवला की
ओसडी के विरोध के
बावजूद तिवारी जी ने उज्जवला को रहने की
परमीशन दे दी और भवानी भट्ट को दस दिन के
अवकाश पर जाने को कहा। इस पर भवानी भट्ट
ने त्यागपत्र दे दिया और इसकी सूचना उत्तर
प्रदेश शासन के गृह विभाग को दे दी। साथ
ही अपने त्यागपत्र की प्रति लखनऊ के मीडिया
और विभिन्न समाचार पत्रों को जारी कर दी।
अब स्थिति यह है कि तिवारी जी का उज्जवला
शर्मा के साथ कभी भी विवाह नहीं हुआ है,
अलबत्ता उनके साथ सम्बन्ध होने तथा रोहित
शेखर के पुत्र होने का पुष्टि दिल्ली उच्च
न्यायालय ने कर दी है।ऐसी स्थिति में
उज्जवला शर्मा के तिवारी जी के साथ निवास
करने तथा पत्नी जैसा अधिकार जताने को
लिव-इन-पार्टनर ही कहा जा सकता है।
उत्तर प्रदेश और
उत्तराखण्ड की सरकारें मौन
इस पूरे घटनाक्रम
पर उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड की सरकारें
मौन हैं। दोनों सरकारे घटनाक्रम को सिर्फ
देख रही हैं और नजर रख रही हैं। किसी भी
सरकार ने इस मामले में हस्तक्षेप नहीं किया
है। जबकि मामला पूरी तरह से यूपी के
चार बार और एक बार उत्तराखण्ड
के मुख्यमंत्री आन्ध्र प्रदेश के राज्यपाल
तथा केन्द्रीय मंत्री रहे व्यक्ति से जुड़ा
है। तिवारी के आवास पर जो कुछ भी घटित हुआ
वह बेहद चिंतनीय और दुखद है। क्योंकि
विकास पुरुष की छवि रखने वाले व्यक्ति को
दो राज्यों की सरकारों ने अपने हाल पर छोड़
दिया है। उनके विश्वनीय ओएसडी के चले जाने
तथा उज्जवला शर्मा के साथ रहने से तिवारी
जी कितना सुकून पाएंगे यह तो समय ही बताएगा।
क्योंकि भट्ट और उज्जवला शर्मा के बीच
लम्बे समय तक वाद विवाद चला है। दोंनों एक
दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते रहे हैं।
उज्जवला शर्मा का तिवारी जी के साथ लम्बा
मुकदमा भी चला था जोकि उनके पुत्र रोहित
शेखर की ओर से दायर था। उक्त स्थिति में
काफी कड़ुवाहट भी रही है।
सरकार की
जिम्मेदारी बढ़ी
ओएसडी के गृह विभाग
को सूचित कर देने के बाद उत्तर प्रदेश
सरकार की जिम्मेदारी बढ़ गई है। क्योंकि
पूर्व मुख्यमंत्री की सुरक्षा राज्य का
दायित्व है। इसलिए अब सरकार को ऐसी
व्यवस्था करनी पड़ेगी ताकि तिवारी के आवास
और उन से जुडे घटनाक्रम पर सुरक्षा की
दृष्टि से नजर रखी जा सके। कारण कोई भी
अप्रिय घटनाक्रम दो राज्य सरकारों की
सतर्कता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाएगा। |