UP Samachar Sewa
मुरादाबाद,
07 जनवरी 2020, ( यूपी समाचार सेवा )।
भगवान महावीर में अटूट
आस्था। ब्रहमचर्य का संकल्प। माता-पिता
के आध्यात्मिक संस्कार। गुरू मां और
उनके संघ के अनुशासन का ही चमत्कार रहा,
महाराष्ट्र के औरंगाबाद के चार्टर्ड
एकाउण्टेंट नवनीत जैन ने मोक्ष मार्ग
पर चलने का दृढ़ संकल्प लिया है। CA
Navneet Jain Gangwal के दिगम्बर जैन
मुनि बनने की दीक्षा भले ही 23 जनवरी
को सम्मेर शिखरजी में दिलाई जाए,
लेकिन बिनौली और गोदभराई की रस्में
सोमवार 06 जनवरी को तीर्थंकर महावीर
यूनिवर्सिटी के कैम्पस में पूरी हुई।
औरंगाबाद के निवासी नवनीत जैन
गंगवाल बरसों से ब्रह्म्चर्य व्रत का
पालन कर रहे है, लेकिन वह चार वर्षो
से माता ज्ञानमती जी के संघ में शामिल
हैं। हालाँकि संघ में शामिल होने से
पहले वह 19 वर्षो तक सीए के तौर पर
मुंबई की एमएनसीज में काम कर चुके
हैं। ब्र. गंगवाल में आस्था बचपन से
ही है। नतीजन शिरडी में उन्होंने
भगवान पार्श्वनानाथ की मूर्ति के लिए
इक्कावन लाख रूपए दान दिए हैं। 23
जनवरी को नवनीत जैन झारखण्ड स्थित जैन
धर्म के बडे तीर्थ-सम्मेर शिखरजी में
दिगंबर मुनि अनिकान्त सागर जी महाराज
Anikant Sagar Ji Maharaj से दीक्षा
लेंगे। अपनी लाखो की कमाई छोड़ कर वह
वैराग्य के राह पर चल पड़े हैं। इनकी
दीक्षा की प्रक्रिया के तहत टीएमयू
में कल शाम जिनालय से बिनौली निकली।
हार मुकुट से सजे सीए नवनीत जैन को
घोड़े की बग्घी पर बिठा कर दिव्य घोष
के साथ संत भवन लाया गया। संत भवन में
इनकी भव्यता से गोदभराई की गयी।
गोदभराई के इस शुभावसर पर टीएमयू के
कुलाधिपति सुरेश जैन, फर्स्ट लेडी
श्रीमती वीना जैन, मनीष जैन, उनकी
धर्मपत्नी श्रीमती ऋचा जैन, मुरादाबाद
जैन समाज के अध्यक्ष अनिल जैन,
महिला जैन समाज की अध्यक्षा श्रीमती
नीलम जैन, प्रो. आर के जैन, डॉ अर्चना
जैन, डॉ अर्पित जैन, डॉ कल्पना जैन,
डॉ नम्रता जैन, डॉ अक्षत जैन, डॉ
विपिन जैन, विपिन जैन, एसपी जैन, डॉ
एसके जैन, डॉ अश्विनी जैन, पवन जैन आदि
मौजूद रहे। इन्होंने तिलक, श्रीफल,
फ्रूट्स, डॉयफ्रूट्स, नकदी आदि से
गोदभराई की। गोदभराई का यह अवसर और
पावन हो गया जब आचार्य श्री 108 श्रुत
सागर जी महाराज को दिव्य घोष के साथ
संत भवन में लाया गया। श्री श्रुत
सागर जी महाराज बोलें, ब्र. नवनीत जैन
जिनसे दीक्षा लेने जा रहे है वह मेरे
शिष्य रहे हैं। इस मौके पर
क्षुल्लकरत्न श्री समर्पण सागर जी की
भी गरिमामयी मौजूदगी रही। गोदभराई से
पूर्व टीएमयू के कुलाधिपति सुरेश जैन
और उनके परिजनों के संतों और उनके संघ
में शामिल साध्वियों को साड़ियाँ,
स्मृति चिन्ह और अन्य तोहफे देकर
सम्मानित किया। श्रावक और श्राविकाओं
में प्रयास जैन, विराग जैन, वैभव जैन,
मुदित जैन, संकल्प जैन, गोपाल जैन,
धार्मिक जैन, रिया जैन, अर्पित, विशेष,
आयुषी जैन मौजूद रहे। उल्लेखनीय है कि
उन्हें यह प्रेरणा उनके मामा जय भद्र
जी महाराज से बचपन में ही मिलीं।
नवनीत जैन इक्कीसवीं सदी के सबसे बड़े
संत आचार्य शांतिसागर महाराज के शिष्य
वीरसागर जी के परपोते हैं। यह दो भाई
हैं। दोनों ने ही ब्रह्म्चर्य व्रत ले
रखा हैं।
गुरु
माँ के जैनिज्म ऐप से जुड़ेगा टीएमयू
टीएमयू भी बहुत जल्द गुरु माँ के
जैनिज्म ऐप- इनसाइक्लोपीडिया ऑफ
जैनिज्म से जुड़ जाएगा। आर्यिकारत्न
श्री चंदनामती माताजी इस ऐप का
हस्तिनापुर से करती हैं। ऐप का निजी
सर्वर है। इसमें यूनिवर्सिटी का अपना
पेज होगा। इस एप के माध्यम से
यूनिवर्सिटी अपनी महत्वपूर्ण इवंेट्स
पोस्ट कर सकेगी। वर्तमान में पूरे
विश्व के लगभग 2.5 करोड़ लोग इस ऐप से
जुड़े हैं। यह ऐप जैन शोधकर्ताओं के
लिए भी बहुत उपयोगी है। श्री ज्ञानमती
माताजी की 400 प्रकाशित पुस्तकें इस
ऐप पर उपलब्ध हंै। सिविल इंजीनियरिंग
के एचओडी प्रो. आर के जैन ने बताया कि
बहुत जल्द टीएमयू में भी इस ऐप का एक
एडमिन नियुक्त हो जाएगा।
गणिनी
प्रमुख ससंघ का पांच साल बाद
हस्तिनापुर गमन
गणिनी प्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी
ससंघ आज सुबह हस्तिनापुर के लिए रवाना
हो गई। जिनालय और संत भवन में सुबह
शांतिधारा हुई। जिनालय में जीवीसी श्री
मनीष जैन जबकि संत भवन में फस्र्ट लेडी
श्रीमती वीना जैन इसमें शामिल हुई।
जिनालय में अष्टसहस्त्री का अभिषेक
होने के बाद गुरु माँ ने इस दुर्लभ
अनुदित गं्रथ -अष्टसहस्री के महत्व के
बारे में बतायासाथ ही बोलीं, तीर्थंकर
महावीर यूनिवर्सिटी मेरे लिए तीर्थ के
समान है। इसके बाद उन्होंनंे ससंघ
प्रशासनिक भवन में कुलाधिपति और जीवीसी
के नवनिर्मित्त कार्यालयों के अलावा
रिद्धि सिद्धि भवन, एमबीबीएस गर्ल्स
हॉस्टल, ब्वायज हाॅस्टल आदि में उनके
पावन चरणरज पड़े। गुरू मां के साथ
कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, फस्र्ट लेडी
श्रीमती वीना जैन, जीवीसी श्री मनीष
जैन, उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ऋचा जैन,
डाॅ. कल्पना जैन, ज्वाइंट डाॅ. वैशाली
ढींगरा, प्रो. आरके जैन आदि मौजूद रहे।
इसके बाद श्रद्धालु माताजी के 10 किमी.
तक विहार में शामिल रहे। गुरू मां की
डोली को कुलाधिपति श्री सुरेश जैन और
जीवीसी श्री मनीष जैन ने उठाया। जहाँ
से गुरु माँ ससंघ हस्तिनापुर के लिए
विहार कर गई।
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