कानपुर,
14 दिसम्बर 2019, ( यूपी समाचार सेवा
)। उत्तर प्रदेश सरकार केन्द्र से
नमामि गंगे परियोजना का समय बढ़वाना
चाहती है। यह मांग उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार
को यहां आयोजित राष्ट्रीय गंगा परिषद्
(नेशनल गंगा काउन्सिल) की पहली बैठक
में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के
समक्ष की। नमामि गंगे परियोजना की
प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए योगी
आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में गंगा
किनारे के 1638 गांव खुले में शौच से
मुक्त हो गए हैं।
National Ganga Council की पहली बैठक
में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा
कि एशिया के सबसे बड़े सीसामऊ नाले
को टेप करना बहुत बड़ी उपलब्धि है।
इस नाले से एक बूंद भी सीवर गंगा में
नहीं जा रहा है। उन्होंने कहा कि आठ
मार्च को प्रधानमंत्री ने सीसामऊ नाले
को टैप करने के कार्य का शिलान्यास
किया था। अब इसे पूरी तरह से टैप कर
दिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि
नाले के टैप स्थान पर सेल्फी लेना एक
सुखद अनुभव है। चन्द्रशेखर आजाद कृषि
एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
सभागार में हुई एनसीजी की बैठक में
सीएम ने कहा कि यह हमारे लिए गौरव की
बात है कि NGC की पहली बैठक उत्तर
प्रदेश में हो रही है। गंगा गंगोत्री
से बंगाल की खाड़ी तक 2523 किलोमीटर
की यात्रा करती हैं। मुख्यमंत्री ने
सभी सदस्यों को बताया कि नमामि गंगे
परियोजना के तहत प्रदेश में 10341.82
करोड़ की 45 परियोजनाएं स्वीकृत की गई
हैं। इनमें से 1292.52 करोड़ से 12
प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं। सात
परियोजनाएं मार्च तक पूरी होंगी। सीएम
आदित्यनाथ ने बताया कि 5727.90 करोड़
की लागत से 21 परियोजनाएं निर्माणाधीन
हैं और 3321.71 करोड़ के 12 प्रोजेक्टों
के टेंडर जारी किए जा चुके हैं। यूपी
के 32 शहरों में 104 एसटीपी का
निर्माण किया गया है। इनकी कुल शोधन
क्षमता 3298 एमएलडी है। सीएम ने बताया
कि यूपी के गंगा किनारे वाले 26 जिलों
के 1638 गांवों को खुले में शौचमुक्त
किया जा चुका है। ठोस कचरे की समस्या
से निपटने के लिए कानपुर, प्रयागराज,
वाराणसी, गढ़मुक्तेश्वर और
मथुरा-वृंदावन में घाटों की
आउटसोर्सिंग के तहत सफाई कराई जा रही
है। गंगा किनारे के 17 जिलों के 5100
एकड़ क्षेत्रफल में पौधरोपण कराया गया
है।
बैठक में उन्होंने बताया कि प्रदेश के
26 जिलों में डीएम की अध्यक्षता में
जिला गंगा समिति संचालित हो रही है।
इसकी गतिविधियां संचालित करने के लिए
बजट जारी कर दिया गया है। इसमें
रामगंगा किनारे स्थित मुरादाबाद भी
शामिल है। उन्होंने कहा कि गंगा एवं
सहायक नदियों के तट पर स्थित 10 लाख
से ज्यादा जनसंख्या वाले शहरों को
सीवरेज नेटवर्क तथा घरेलू सीवरेज
कनेक्शन दिए जाने की जरूरत है ताकि
बारिश में भी गंगा प्रदूषित न हों। |