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यूपी पुलिस की पहलःमहिला सुरक्षा के लिए डीजी के विशेष निर्देश
Tags:  U.P.Samachar Sewa , DG Police S. Javeed Ahemad, Special Instruction for women safty
Publised on : 14 April 2016,  Last updated Time 19:25
लखनऊ। पुलिस महानिदेशक एस जावीद अहमद ने प्रदेश में महिलाओं को विशेष सुरक्षा प्रदान करने के निर्देस दिये है। उन्होंने परिपत्र जारी कर सभी जिलों के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक एवं अन्य अधिकारियों को निर्देश दिये हैं कि महिलाओं को प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षा प्रदान की जाए। उन्होंने महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों विशेष रूप से बलात्कार, सामूहिक बलात्कार, छेड़छाड़ आदि घटनाओं को अत्यन्त निंदनीय बताया है।
पुलिस महानिदेशक ने परिपत्र में कहा है कि महिलाओं के विरूद्ध होने वाली घटनाओं की प्रभावी रोकथाम आवश्यक है। इस संबंध में समय-समय पर इस मुख्यालय द्वारा परिपत्रों द्वारा आवश्यक निर्देश निर्गत किये गये है। निर्देशों का अनुपालन कर महिलाओं के विरूद्ध अपराधों की प्रभावी रोकथाम की जाये। इसके अतिरिक्त यह भी महत्वपूर्ण है कि महिलाओं के विरूद्ध होने वाले अपराधों के पंजीयन से लेकर विवेचना समाप्ति तक पुलिस द्वारा पर्याप्त संवेदनशीलता दर्शायी जाय। ऐसे अपराध की सूचना के पश्चात् पर्याप्त संवेदनशीलता बरतते हुए तथा इस सम्बन्ध में समय-समय पर दिये गये न्यायालय के आदेशों एवं विधि के प्रभावी नियमों का पालन करते हुए कार्यवाही करायी जाये ताकि किसी भी पीडि़ता का अनावश्यक उत्पीड़न न हो एवं उनके सम्मान की रक्षा हो सके।

तत्काल एफआईआ दर्ज हो

महिलाओं से सम्बन्धित अपराधों में संवेदनशीलता बरतने हेतु निर्देश दिये गये हैं कि महिलाओं के साथ घटित होने वाले अपराधों मंे सर्वप्रथम यह आवश्यक है कि बिना विलम्ब के प्रथम सूचना रिपोर्ट अंकित की जाय। इस हेतु प्रत्येक थाने पर महिला पुलिस अधिकारी की उपलब्धता अनिवार्य की गयी है। महिला सम्बन्धी अपराध की सूचना मिलने पर थाने का दिवसाधिकारी थाने पर उपलब्ध महिला पुलिस अधिकारी को सूचित करेंगे। थाने पर नियुक्त महिला पुलिस अधिकारी का प्रथम दायित्व होगा कि वह पीडि़त महिला एवं उसके परिवार को सान्त्वना देकर उसे षान्त करायेंगें। अभियेाग के पंजीकरण हेतु सूचना का अभिलेखीकरण संशोधित द0प्र0सं0 के अनुसार महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही किया जाएगा। धारा 161 द0प्र0सं0 के अन्र्तगत छेड़खानी व बलात्कार के प्रकरणांे में विवेचना के दौरान उसका बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा ही लिया जाएगा। पीडि़त महिला यदि षारीरिक या मानसिक रूप से विकलांग है तो सूचना का अभिलेखीकरण पीडि़ता के घर पर या उसके चयनित स्थान पर अनुवादक या विषिष्ट षिक्षक की मौजूदगी मंे महिला पुलिस अधिकारी द्वारा किया जाएगा सम्बन्धित अभिलेखीकरण की वीडियोग्राफी भी करायी जाएगी।

कानूनी सहायता उपलब्ध कराएं

यदि पीडि़ता को कानूनी सहायता की आवश्यकता हो अथवा पीडि़ता और उसके परिवार ने अपने किसी अधिवक्ता को नहीं बुलाया है, तो डियूटी आॅफीसर का यह दायित्व होगा कि वह कानूनी सहायता हेतु तत्काल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कानूनी सहायक स्वयंसेवी  या अधिवक्ता को बुलायेगा। प्रत्येक थाने पर ऐसे स्वयंसेवी अधिवकताओं की एक सूची होनी चाहिए, जो महिला सम्बन्घी लैंगिक अपराधों में पीडि़ता की मदद करते हैं। महिला सम्बन्धी अपराधों की सूचना तत्काल क्षेत्राधिकारी को दी जाएगी और क्षेत्राधिकारी का कर्तव्य होगा कि वह पूरी विवेचना का व्यक्तिगत रूप से परीक्षण कर आवष्यक कार्यवाही करायेंगे। प्रारम्भिक विवेचना की कार्यवाही कर विवेचक उपलब्ध महिला पुलिस अधिकारी के साथ तुरन्त पीडि़ता को चिकित्सीय परीक्षण हेतु अस्पताल ले जाएगा। बलात्कार के प्रकरणों में पीडि़त महिला का बयान धारा 164 द0प्र0सं0 के अन्र्तगत न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष भी तत्काल कराया जाएगा। बलात्कार के प्रकरणों में यदि पीडि़ता को मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करने में 24 घण्टे से अधिक समय लगता है तो विवेचक अभियेाग दैनिकी में इसका कारण अंकित करेगा और इसकी एक प्रति मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करेगा।

पीडिता का बयान परिजन की मौजूदगी में हो

द0प्र0सं0 की धारा 157(ए) के अनुसार बलात्कार की पीडि़ता का बयान उसके आवास पर या उसके द्वारा इच्छित स्थान पर उसके माता-पिता, अविभावको, नजदीकी रिष्तेदारों या सामाजिक कार्यकर्ता की मौजूदगी में लिया जाएगा। पीडि़त महिला का 161 द0प्र0सं0 का बयान महिला पुलिस अधिकारी द्वारा लिया जाएगा इस बयान को लेने के लिए पीडि़त महिला को किसी भी दषा में धारा 160 दं0प्र0स0 का नोटिस देकर थाना एवं अन्यत्र स्थान पर नहीं बुलाया जायेगा यह बयान पीडि़त महिला के घर में एकान्त  मंे ही लिया जायेगा। पीडि़त महिला के परिवार के सदस्य बयान के समय पीडि़ता को निष्चिन्त करने हेतु उपस्थित रह सकते हैं। विवेचक इस बात का ध्यान रखेगा कि बयान में अकित तथ्यों को धारा 173 दं0प्र0सं0 के अन्र्तगत आरोप पत्र अथवा अंतिम रिपोर्ट प्रेषित किये जाने तक किसी के समक्ष प्रकट न किया जाए। इस सम्बन्ध में प्रभावी गोपनीयता बनायी रखी जाए। पीडि़ता के अन्तः वस्त्र आदि उसकी सहमति से ही यथा सुरक्षित कर नियमानुसार परीक्षण हेतु प्रयोगशाला भेजेे जायें। विवेचक का दायित्व होगा कि इन अपराधों की विवेचना बिना देरी के निस्तारित की जाये ताकि अभियुक्त को धारा 167 दं0प्र0सं0 का लाभ मिलकर जमानत न मिल सके। दं0प्र0सं0 की धारा 161(3) के अन्र्तगत गवाहो के बयान का आडियो/वीडियो बनाने का प्राविधान है। प्रत्येक बयान की आडियो/वीडियो रिकार्डिग की जाय। यदि विवेचना या ट्रायल के दौरान पीडि़त महिला को किसी से भी धमकी प्राप्त होती है तो थानाध्यक्ष का दायित्व होगा कि तत्काल अभियेाग पंजीकृत कर कार्यवाही की जाये। बलात्कार की घटनाओं मे संलिप्त अभियुक्त की गिरफ्तारी के उपरान्त 53(ए) द0प्र0सं0 के प्राविधानों के अनुसार चिकित्सीय परीक्षण कराया जाय। धारा 173(1ए) द0प्र0सं0 के अन्र्तगत बच्चियांे के साथ हुए बलात्कार के अभियोगों की विवेचना 03 माह के अन्दर अवष्य पूरी कर ली जाए। यदि पीडि़ता 18 वर्ष से कम उम्र की है तो च्तवजमबजपवद व िब्ीपसकतमद तिवउ ैमगनंस व्ििमदबमे ।बज 2012;च्ब्ैव्द्ध के अन्र्तगत भी उचित धाराओं में अभियोग पंजीकृत कराया जाय।

पीडिता को थाने पर नहीं रखा जाएगा

किसी भी दषा में अभियुक्त को कार्यवाही षिनाख्त के अतिरिक्त पीडि़त के समक्ष नहीं लाया जाएगा। किसी भी दषा मे पीडि़ता को थाने पर नहीं रखा जाएगा यदि चिकित्सा की आवष्यकता हो तो उसे चिकित्सालय मे भर्ती कराया जाएगा अन्यथा स्वेच्छा पर घर जाने दिया जाएगा। महिलाओं के साथ घटित बलात्कार, हिंसा एवं दुव्र्यहार आदि के प्रकरणों में मीडिया को ब्रीफिंग करते समय महिला के आचरण एवं रहन-सहन, कपड़े पहनने के तरीके एवं उसके व उसके साथी के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की अमर्यादित टिप्पणी न की जाय। घटना के सम्बन्ध में तथ्यों की पूरी जानकारी कर सत्य एवं प्रमाणित विवरण प्रस्तुत किये जायें। किसी भी दषा में पीडि़त महिला पर उसके साथ हुए अपराध का दोष न मढ़ा जाय। पीडि़त महिला के साथ घटित अपराधों के सम्बन्ध में पीडि़ता का नाम, पता, आदि का प्रचार किसी भी दषा में न किया जाय। यह महिला के निजी जीवन से सम्बन्धित है। धारा 166 भा0द0वि0 की उपधारा 166ए भा0द0वि0 (अपकम ब्तसण् स्ंू ।उमदकउमदज ।बज 2013) के अन्र्तगत यदि कोई पुलिस अधिकारी धारा 354 एवं धारा 376 भादवि व उनके अन्तर्गत उपधारा की सूचना मिलने पर प्रथम सूचना रिपार्ट दर्ज करने मे हीला हवाली करता है, तो उसके विरूद्ध 166क के अन्र्तगत दण्डित करने का प्राविधान किया गया है। यदि कोई पुलिस अधिकारी इस सम्बन्ध में दोषी पाया जाता है, तो इन प्राविधानों का उपयोग कर उसे दण्डित किया जाय।
पुलिस महानिदेशक द्वारा निर्देष दिया गया है परिपत्र की प्रति अधीनस्थ अपर पुलिस अधीक्षकों/क्षेत्राधिकारियों एवं थाना प्रभारियों को उपलब्ध करा दी जाये तथा एक कार्यषाला के माध्यम से निर्देषों को भली-भाॅति अवगत करा दिया जाये कि वे महिलाओं के प्रति घटित होने वाले अपराधों में संवेदनषील रहकर निर्देषो का अनुपालन किया जाये ।

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News source: UP Samachar Sewa

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