पटना।
विश्व हिन्दू परिषद् अगले पांच वर्षों में देश के एक लाख
गांवों तक पहुंच बनाएगी। यह जानकारी परिषद् के प्रवक्ता
सुरेन्द्र जैन ने यहां पत्रकारों को बातचीत में दी। श्री
जैन विहिप की केन्द्रीय कार्यकारिणी समिति की 25 से 26
जून तक आयोजित बैठक के पूर्व पत्रकारों से वार्ता कर रहे
थे।
दोपहर बाद परिषद द्वारा आयोजित
प्रेस वार्ता में इसके सेवा कार्यों पर प्रकाश डाला गया
। प्रमुख प्रवक्ता डॉ. सुरेन्द्र जैन, ग्राम शिक्षा
मंदिर अभियान के अध्यक्ष बजरंग बागड़ा, अखिल भारतीय सेवा
प्रमुख अरविंद ब्रह्मभट्ट एवं अ0भा0 सहसेवा प्रमुख आनंद
प्रकाश हरबोला इसमें उपस्थित थे ।
बजरंग बागड़ा ने बताया कि भारत में लगभग 51,000
सुदूर वनवासी गांवों में निःशुल्क प्राथमिक शिक्षा के
अतिरिक्त स्वास्थ्य, ग्राम विकास, संस्कार और कौशल
उन्नयन पर भी कार्य हो रहा है ।
भारत के 21 राज्यों के 50,947 एवं नेपाल के 1,912
गाँवों में कार्यरत है । बालकों की प्राथमिक षिक्षा से
यह अभियान प्रारंभ हुआ । जिसमें भाषा व गणित के साथ
संस्कार ज्ञान पर आग्रह रहता है । स्थानीय भाषा में
स्थानीय आचार्य द्वारा निःषुल्क षिक्षा देकर बिहार में
3,300 गांवों में शिक्षा मंदिर संचालित जिनमें से 1,950
मगध भाग और 1,350 मिथिला भाग में हैं ।
प्राथमिक षिक्षा के साथ - साथ स्वास्थ्य, जैविक
कृषि, गौ आधारित खेती, और संस्कार निर्माण के अनेक आयामों
का संचालन किया जा रहा है । घरेलू इलाज बावत जागरुकता और
प्रषिक्षण दिया जा रहा है उन क्षेत्रों मे उपलब्ध जडी
बूटियों, वनस्पतियों को आधार बनाया गया है । 800 गाँवों
में महिलाओं और बालकों में रक्त अल्पता (एनीमिया) पर
विषेष प्रकल्प चलाकर अनेक रोगों को जन्मदायी इस समस्या
का समाधान किया । अनेक गाँवों में व्यक्तिगत एवं
सार्वजनिक स्वच्छता पर अनेक कार्यक्रम प्रारंभ किये गये
हैं ।
सांस्कृतिक चेतना जागृत करने के उददेष्य से हरि
कथा योजना के अंतर्गत 700 कार्यकर्ता राम कथा व भागवत कथा
के आयोजन तथा रथ योजना के तहत 23 रथ एक चल मंदिर के रुप
में तथा रामायण प्रदर्षन करते हुये गाँव गाँव विचरण करते
हैं । 42 हजार से अधिक गांवों में साप्ताहिक सत्संग का
आयोजन किया । धार्मिक पुर्नजागरण के अलावा अनेक सामाजिक
विषयों पर सघन चर्चा होती है, जिनमें नषा मुक्ति प्रमुख
है । कृमि गोबर खाद तथा गौमूत्र से कीटनाषकों का उत्पादन,
पोषण वाटिका, वृक्षारोपण, जल भंडारण आदि सम्मिलित हैं ।
वनांचलों के किषोर किषोरियों को सिलाई, कंप्यूटर, आदि का
प्रषिक्षण देकर उन्हें स्वावलंबी बनाने में मदद की जाती
है । अभी हाल ही में एक चल कंप्यूटर लेब प्रारंभ की गई ।
यह अभियान 53,859 अंषकालीन आचार्यों 6,100
पूर्णकालीन कार्यकर्ताओं और लगभग 2 लाख से अधिक सामाजिक
कार्यकर्ताओं के सहयोग से चल रहा हैं । यथा भारतीय
प्रबंधन संस्थान (प्प्ड) बैंगलुरु, टाटा धान अकादमी,
एस्पायरिंग माइंडस आदि जिनमें पाया गया है कि एकल की
विद्यालय और अन्य गतिविधियों से उस समाज में सकारात्मक
ऊर्जा का प्रसार हुआ है, षिक्षा व स्वास्थ्य का स्तर बढा
है और नषा मुक्ति में सफलता मिली है । अरविंद ब्रह्मभट्ट
ने परिषद के अन्य सेवा कार्यों पर प्रकाश डाला जिसमें
विद्यालय, स्वास्थ्य, बाल कल्याण केन्द्र आदि हजारों सेवा
प्रकल्प पूरे भारत में संचालित हैं ।
आगामी 2 दिनों में संगठन के विभिन्न्ा पहलुओं पर
चर्चा होगी तथा अभियान की योजना के तहत आगामी 5 वर्षों
में देष के 1 लाख गाँवों तक अपनी पहुँच का विस्तार किया
जावेगा ।