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  डीएम से प्रधान तक डाटा जुटा रही है सीबीआई
  मनरेगा घोटाला जांच प्रकरण
Tags: MNREGA, CBI
Publised on : 25 February 2014 Time: 21:20

लखनऊ। महात्मा गांधी राष्टÑीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिये केन्द्र से आये धन में बसपा सरकार के दौरान 2007-2010 के बीच हुए घोटाले की जांच कर रही सीबीआई टीम ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। घोटाले की जांच करने के लिये सात टीमों का गठन किया गया है। जो जिलों में पहुंच चुकी हंै। इसके साथ ही कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू करते हुए प्रथम चरण में घोटाले की अवधि में तैनात रहे जिलाधिकारी से लेकर ग्राम प्रधान तक की सूची मांगी गई है। वहीं मनरेगा के लिये हुई खरीद ाुगतान के रिकार्डाी सीबीआई ने तलब किये हैं। मनरेगा घोटाले में सीबीआई ाी तक सात एफआईआर दर्ज कर चुकी है। इसमें से 5 लखनऊ सीबीआई, एक देहरादून की एंटी करप्शन शाखा द्वारा एक सीबीआई की स्पेशल क्राइम ब्रान्च द्वारा दर्ज की गई है।

मंगलवार को सीबीआई की टीमें गोण्डा, महोबा, सोनाद्र, बलरामपुर, कुशीनगर, संतकबीर नगर मिर्जापुर पहुंच गईं। टीम में शामिल जांच अधिकारियों ने वर्ष 2007 से 2010 के बीच इन जिलों तैनात रहे सीडीओ, डीडीओ, बीडीओ, ब्लाक प्रमुख, ग्राम प्रधान जिलाधिकारियों की सूची मांगी है। घोटाले के दौरान तैनात रहे अधिकारियों की सूची मिलने के बाद इनसे पूछताछ का सिलसिला शुरु होगा। इसके अतिरिक्त जांच टीमों ने मनरेगा के लिये सामान की खरीद फरोख्त किये जाने के रिकार्ड मनरेगा के लिये किये गयेाुगतान का लेखा जोखााी जांच के लिये मांगा है। बताते चलें कि माया सरकार के कार्यकाल के दौरान 2007-2010 तक मनरेगा में करोड़ों रूपये की हेराफेरी हुई। मनरेगा के तहत सम्पर्क मार्ग,बाढ़ नियंत्रण,जल संचय,छोटी बड़ी नहरों कि सफाई, निर्माण, सिंचाई के साथ ही खेल सामग्री, फावड़ा, गैती आदि खरीदने के मनचाहे तरीके से धनराशि खर्च की गई। वहीं मनरेगा से जुड़े कार्यालय में खर्च का कोई हिसाब-किताब तलाशने से नहीं मिलता। इसी तरह फर्जी जॉब कार्ड बनाकराुगतान किया गया। जबकि जॉब कार्ड पर जिसका नाम दर्ज किया गया, उसे ाी मनरेगा से एक रूपये कााुगतान ही नहीं हुआ। इस पूरे खेल में ग्राम प्रधान से लेकर तत्कालीन जिलाधिकारी तक शामिल रहे। मनेरगा में हुए घोटाले की बू केन्द्र सरकार को बहुत पहले ही लग गई थी। इसे लेकर केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने बसपा सरकार को मनरेगा घोटाले की जांच कराने के लिये कहा था। इस पर बसपा सरकार ने जांच ईओडब्लू को सौंप दी थी। लेकिन ईओडब्लू की जांच में केवल छोटे अफसरों कर्मचारियों को ही दोषी बता कर मामले का पटाक्षेप कर दिया गया था।

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News source: U.P.Samachar Sewa

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