लखनऊ
26 नवम्बर
2019 (उत्तर प्रदेश
समाचार सेवा)।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संयुक्त
क्षेत्र प्रचार प्रमुख श्री कृपाशंकर
जी ने कहा है कि मीडिया की ताकत अपार
है। आवश्यकता इस बात की है कि इसका
विवेकपूर्ण ढ़ंग से उपयोग किया जाए। आज
प्रिंट,
इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया तीनों की
आवश्यकता है श्री कृपाशंकर जी मंगलवार
की सायं विश्व संवाद केन्द्र में
उत्तर प्रदेश समाचार सेवा द्वारा
आयोजित मीडिया की आजादी और संविधान
विषयक संगोष्ठी को सम्बोधित कर रहे
थे। संगोष्ठी का आयोजन संविधान दिवस
के अवसर पर किया गया।
उन्होने कहा कि आजादी के लिये
पत्रकारिता एक माध्यम थी। पहले
मन्त्रिमण्डल में अनेक पत्रकार,
लेखक और बुद्धिजीवी
शामिल हुये। उन्होने कहा कि गांधी जी
जिन विषयों की चर्चा करते थे उन्हे आज
संघ कर रहा है। संघ ने जल,
पर्यावरण के लिए आयाम
खड़े किए। आज आवश्यकता है कि जल और
पर्यावरण के लिए आन्दोलन खड़ा किया
जाये। उन्होंने कहा कि पत्रकार
देश को आजादी दिलाने के लिए लड़े थे।
आज उन्हें अपनी आजादी के लिए चिंतन
करना पड़ रहा है। पत्रकार जान हथेली
पर रखकर काम करते हैं। उन्होंने कहा
कि मीडिया में भी आज ऐसे विषयों पर
ध्नान देने की आवश्यकता है जो समाज के
लिए आवश्यक हैं। कुटुम्ब प्रबोधन,
पर्यावरण, ग्राम विकास के क्षेत्र में
पत्रकारिता को ध्यान केन्द्रित करने
की जरूरत है। श्री रामजन्मभूमि
आन्दोलन की चर्चा करते हुए उन्होंने
कहा कि इसका श्रेय भी मीडिया को ही
है।
संविधान की रक्षा कर रहा है मीडिया :
दीपक मिश्र
कार्यक्रम के अध्यक्ष श्री दीपक मिश्र
जी ने कहा कि संविधान को बचाने का काम
मीडिया ही कर रहा है।
मीडिया ने देश में संविधान की रक्षा
की है। जब भी किसी को
सहायता की जरुरत होती है तो वह
पत्रकारों के पास ही जाता है।
मीडिया को इस शक्ति को बनाये रखना
चाहिए।
आज मीडिया को ही आईना देखने की जरूरत:
प्रमोद गोस्वामी
वरिष्ठ पत्रकार श्री प्रमोद गोस्वामी
जी ने कहा कि
संविधान राष्ट्रधर्म पर आधारित है।
अभिव्यक्ति की आजादी ही मीडिया है।
अपनी बात कह सकें, इससे अधिक कोई बात
और जोड़ने की जरूरत नहीं है। उन्होंने
कहा कि आज बड़ी विषम स्थिति है कि
जो खुद आईना है उसे
ही आईना देखने की जरुरत पड़ रही है।
मीडिया को सोचना चाहिये कि जो सम्मान
उसने पाया है वो वह क्यों खोता जा रहा
है। मीडिया का सम्मान नहीं रह
गया है। उन्होने कहा
कि आज पत्रकार दलीय हो गए है। मीडिया
की आजादी पर अब कोई संकट नही है।
बल्कि पत्रकार खुद संकट बने हुए हैं।
फेक न्यूज सोशल मीड़िया से शुरु हुआ:
रजा रिजवी
प्रेस काउंसिल आफ इन्डिया के सदस्य
रजा रिजवी ने कहा कि पत्रकार की आजादी
और समाचार पत्र की आजादी दोनों
अलग-अलग विषय है। मीडिया शब्द अत्यन्त
पवित्र शब्द है सोशल मीडिया में इस
शब्द का उपयोग ठीक नही है इसके स्थान
पर इसे सोशल टूल कहा जाये तो अच्छा
होगा। फेक न्यूज सोशल मीडिया से ही
शुरू हुआ है और बदनाम समाचार पत्र
होते है।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता में
व्यापार नहीं आना चाहिए। मीडिया की
आजादी ने वह काला समय भी देखा है जब
इस पर सेंसरशिप लगी। वह कांग्रेस के
कारण आया। आज फेक न्यूज और पेड न्यूज
से पत्रकारिता में गिरावट आ रही है।
आजादी की अति भी वर्जित है: डा. एसके
पाण्डेय
वरिष्ठ
पत्रकार डा0
एस के पाण्डेय ने कहा
मीडिया के साथी आज आजादी चाहते है
लेकिन अति सर्वत्र वर्जते कहा गया है।
मीडिया की आजादी में भी अति अच्छी नही
है। उन्होंने कहा कि संविधान
से अभिव्यक्ति की आजादी मिली है।
लेकिन अलग से मीडिया के लिए कुछ नहीं
है। सोशल मीडिया एक ताकत के रूप में
उभरा है।
मीडिया में भारतीय दृष्टिकोण की
आवश्यकता : सर्वेश चन्द्र द्विवेदी
राष्ट्रधर्म प्रकाशन के निदेशक श्री
सर्वेश चन्द्र द्विवेदी ने कहा कि आज
मीडिया का स्वरूप व्यावसायिक हो गया
है हमने पश्चिमी दृष्टिकोण अपना लिया
है जो कि संवाद के लिए उचित माध्यम
नही है।
उन्होंने कहा कि क से छ तक संविधान
में बोलने की स्वतंत्रता प्रदान की गई
है। प्रेस के लिए जो कानून लागू हैं
वे 1935 में बने। लेकिन, ये सभी
पश्चिमी अवधारणा पर आधारित हैं। जबकि
भारत की दृष्टि अलग है। हमारी दृष्टि
धार्मिक है। हमारे यहां संवाद और
प्रश्न पूछने की बात कही गई है। हमारे
यहां मीडिया को चौथा स्तम्भ कहा गया
है किन्तु यह है नहीं। चौथा स्तम्भ
कहना गलत धारणा है। मीडिया को चौथा
स्तम्भ बनाने के लिए संविधान में
व्यवस्था करनी पड़ेगी। हम देश को
धर्मनिरपेक्ष कहते हैं जब हम धर्म
सापेक्ष हैं। उन्होंने कहा कि
अभिव्यक्ति को आत्मसात करना पडता है
यह पढ़ने से नहीं आएगी।
सच कहने की हिम्मत और सलीका चाहिए :
नरेन्द्र भदौरिया
वरिष्ठ
पत्रकार नरेन्द्र भदौरिया ने कहा कि
सूचना का उदय देवकाल से है। नारद पहले
पत्रकार थे। उनका पूरा सूचना तंत्र
था। वे प्रेस की मूल भावना सच्चाई पर
चलते थे। उन्होंने कहा कि आज दो तरह
की पत्रकारिता हो रही है। एक है
पत्रकार की बोलने और लिखने की आजादी
के लिए लड़ाई और दूसरी नहीं बोलने तथा
नहीं लिखने के लिए संघर्ष । दूसरी तरह
की लड़ाई सुविधाओं के लिए हो रही है।
इसके दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं।
वायस्ड जर्नलिज्म हो रही है। राष्ट्र
मंगल और विश्व मंगल की चर्चा तो हम
करते हैं किन्तु विचारमीय यह है कि हम
जूझ किन परिस्थितियों से रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पत्रकारिता
महत्वपूर्म मुद्दे और घटनाओं से भी
आंखें मूंद रही है। राजस्थान की सांभर
झील में अभी कुछ दिन में 18 से 20
हजार साइबेरियन पक्षियों की मृत्यु हो
गई। किन्तु यह समाचार कहीं दिखायी नहीं
दिया। किसी छोटे से समाचार पत्र मे
गुमानामी जैसी स्थिति में प्रकाशित
हुआ। यहीं अभिव्यक्ति की आजादी की
लड़ाई का तो कोई प्रश्न नहीं था। किसी
तरह की कोई रोक भी नहीं थी किन्तु
चूंकि हम सुविधाओं के ढक्कन से ढके
हैं इसलिए इसतरह की संवेदनशील सूचनाओं
की भी अनदेखी कर देते हैं। उन्होंने
कहा कि हमें सच कहने
की हिम्मत और सलीका दोनो चाहिए।
मीडिया को संविधान से मिले शक्ति:
अशोक सिन्हा
लखनऊ
जनसंचार संस्थान के प्रमुख श्री अशोक
सिन्हा ने कहा कि
भारत में पत्रकारिता का इतिहास चार सौ
साल का है। बिलियम बोट ने 1780 में
पहला अखबार निकाला था। समाचार पत्रों
के प्रति अंग्रेजी शासन अत्यन्त क्रूर
रहा है। इसीलिए वह वर्नाकुलर एक्ट
लेकर आये। लेकिन समाचार पत्रों की
शक्ति को हमारे देश के स्वतंत्रता
सेनानियों ने पहचाना था। इसलिए सभी
स्वतंत्रता सेनानियों
ने समाचार पत्रों का प्रकाशन किया
। इसीलिये
संविधान सभा के समक्ष यह विषय आया था
कि प्रेस को विशेष अधिकार दिये जाए
परन्तु ऐसा कोई अधिकार नही मिला।
जो अधिकार आम लोगों के लिए हैं
वही प्रेस के लिए भी हैं। हालांकि
अमेरिका ने अलग से बिल लाकर प्रेस को
अधिकार प्रदान किये हैं। हमारे यहां
जनता को जानने का हक भी 2005 में सूचना
अधिकार अधिनियम के रूप में मिला।
प्रश्न पूछने की शक्ति ही मीडिया की
ताकत : डा. अपूर्वा अवस्थी
नवयूग
कालेज की प्रवक्ता डा.अपूर्वा अवस्थी
ने कहा कि प्रश्न पूछने की शक्ति ही
मीडिया की सबसे बड़ी ताकत है। यह शक्ति
और साहस मीडिया को बनाये रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि भारत का लोकतंत्र
दुनिया में सबसे अलग है। हमारे प्रेस
ही एकमात्र ऐसा माध्यम है जो सबकी बात
को अभिव्यक्ति प्रदान करता है।
संगोष्ठी में उत्तर प्रदेश समाचार
सेवा एवं मीडिया फाउन्डेशन द्वारा
प्रकाशित स्मारिका गान्धी
150 का विमोचन भी
किया गया। इस अवसर पर पत्रकार राजेश
माहेश्वरी,
अधिवक्ता शशि सिंह,
सम्पादक कृष्ण मोहन
मिश्र,
स्थानीय सम्पादक देवेन्द्र कुमार
सिन्हा,
विशेषांक सम्पादक सर्वेश कुमार सिंह
ने अपने विचार व्यक्त किए।
संगोष्ठी में अनेक वरिष्ठ पत्रकार
समाजसेवी और बुद्धिजीवी उपस्थित हुए।
इनमें प्रमुख रूप से अवध प्रहरी के
प्रबंध सम्पादक दिवाकर अवस्थी,
पत्रकार श्रीधर अग्निहोत्री, भारत
सिंह, राजेश सिंह, जेपी शुक्ल, एसपी
सिंह, श्रीमती अंजू, अभिषेक कुमार
उपस्थित थे। संचालन
कार्यकारी सम्पादक नीरजा मिश्र ने
किया।
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