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  टिकट बंटवारे को लेकर भाजपा मे बढ़ी भितरघात
  टिकट कटने से नाराज भाजपा के दिग्गज
Tags: UP News, Gonda BJP
Publised on : 22 March 2014 Time: 20:50

मनकापुर गोण्डा, 22 मार्च ( टिकट वितरण को लेकर अब मंडल के कई सीटो पर विरोध के स्वर गूंजने लगे है जिसका खामियाजा भी उन दलों में उठाने की संभावनाये तेज हो गई हैै। भाजपा की ओर से लोकसभा चुनावो के लिये किये गये टिकट वितरण को लेकर न केवल विरोध के स्वर ही गूंजे बल्कि पार्टी कार्यालय मे नाराज लोगों ने तोड़ फोड़ भी किया। साल भर से जो पार्टी के कैडर के नेता थे चुनावी संध्या मे न केवल उनके टिकट काट दिये गये बल्कि प्रत्याषियों की योग्यता का निर्धारण वफादारी के बजाय चुनाव जीतने की छमता का दिल्ली मंे बैठकर टिकट दे दिया गया। यह नेता चुनाव जीतने का सारा दारोमदार भाजपा की हवा को भांप कर करते आ रहे है।
बात बदलाव की किया जाये तो मंडल की गोण्डा लोकसभा सीट से भाजपा ने एसे प्रत्याषी को चुनावी मैदान मे उतारा हैै जो वर्तमान मे रहे सपा के कैबिनट मंत्री कुुंअर आनन्द सिंह के बेटे हैै। और सपा के टिकट पर न केवल सांसद रह चुके हैे बल्कि बसपा से भी वे अपना दांव आजमा चुके हैें। यह अलग बात हैे कि वे बसपा से चुनाव नहीं जीत पाये थे। यही नही लोगो का तो यहां तक कहना हैे कि इनका राजघराना हवा पहचानने मे माहिर हैे जब जब जिस पार्टी की हवा रही उसका रूख पहचान कर ये उस दल से चुनाव लड़े। अब बात टिकट बदलने के बाद उपजे माहौल की करे तो इसको लेकर पार्टी मे नेतृत्व के खिलाफ आक्रोष की चिंगारी साफ दिखाई पड़ रही हैे। बगावती नेता कहीं खुलकर भले ही विरोध न करे मगर भितरघात कर प्रत्याषी को कमजोर करने मे कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे ऐसा अनुमान लगाया जा रहा हैे।
यही नही टिकट वितरण के बाद उपजे बदलाव से केवल कैडर कार्यकर्ता ही नही बल्कि भाजपा की सोच रखने वाला मतदाता भी अपने को ठगा सा महसूस कर रहा हैे जो यदि समय रहते घोशित प्रत्याषी द्वारा इन्हे अपने पक्ष मे नही किया गया तो कई मायने मे भाजपा के लिये खतरे की घंटी साबित हो सकती हैें। इसी क्रम मे बसपा ने भी साल भर पूर्व अपने घोशित प्रत्याषी का एैन चुनाव के कुछ माह पूर्व टिकट काट दिया जिससे पार्टी कार्यकर्ताओ मे जबर्दस्त आक्रोष हैे। उधर टिकट कट जाने के बाद निर्दलीय चुनाव लड़ने की यदि तैयारी हुई तो इसका खामियाजा बसपा को भी उठाना पड़ सकता हैैं। वही सपा ने इस सीट पर नन्दिता “ाुक्ला को अपना प्रत्याषी बनाया हैे मगर उन्हे भी जातीय समीकरण व पार्टी के एक धड़े से भितरघात की अटकले लग रहीं हैैं जिसका असर चुनावी नतीजो को लेकर देखा जा रहा हैे। फिलहाल कांग्रेस प्रत्याषी को भी अपने कैडर मतदाताओ व बिरादरी के मतदाताओ पर भरोसा जरूर हैे मगर ऊंट किस करवट बैठेगा अभी कहना जल्दबाजी ही होगी।
वहीं कैसरगंज सीट पर भी मुकाबला बेहद रोचक हो गया हैे । जहां एक तरफ इसी सीट पर अब तक सपा सांसद रहे बृजभूशण “ारण सिंह, अब भाजपा से अपनी किस्मत आजमायेंगे वही इनके मुकाबले मे सपा के राज्यमंत्री विनोद कुमार सिंह होंगे । यहां भी जहां भाजपा को भितरघात झेलने की संभावनाये बलवती हो गई हैे, वहीं सजातीय वोटो का भी तेजी के साथ ध्रुवीकरण होना तय माना जा रहा हैै। यहां भी भाजपा नेतृत्व को पार्टी बदलना भारी पड़ सकता हैें। इस सीट पर भी भाजपा को अपने समर्थको के विरोध को झेलना पड़ रहा हैे चुनाव के कुछ दिनो पूर्व भगवा रंग मे रंगे प्रत्याषी को जहां आम कार्यकर्ता नहीं पचा पा रहा वहीं मतदाता कितना हजम कर पायेंगे यह भी वक्त तय करेगा। इस सीट पर जहां बसपा व कांग्रेस ने अपने अपने विधायको पर चुनावी दांव लगाया हैैं वहीं आप पार्टी ने मुस्लिम प्रत्याषी खड़ा किये हैे। जबकि संभवतः पीस पार्टी ब्राहमण प्रत्याषी उतारने की फिराक मे हैे। एैसे मे बाजी किसके हाथ लगेगी यह भी वक्त तय करेगा।
मंडल के श्रावस्ती लोकसभा सीट पर भी भाजपा को जीत हासिल कर पाना किसी लोहे के चने चबाने से कम नहीं रह गया हैें क्योकि टिकट वितरण से जहां कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैे वही भाजपा का कैडर मतदाता भी केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा घोशित प्रत्याषी को फिलहाल कितना हजम कर पायेगा कुछ कहा नही जा सकता। सूत्रो की माने तो भाजपा प्रत्याषी जहां चुनाव से पूर्व बसपा के मंत्री भी रह चुके हैें वही क्षेत्रीय भाजपाइयो मे इसको लेकर गहरा आक्रोष हैे और वे इसका खुलकर विरोध भी जता चुके है।
फिलहाल टिकट बंटवारे को लेकर देवीपाटन मंडल मे भाजपा की मुसीबत कई मोर्चो पर मुंह फैलाये खड़ी हो गई हैे । एक तरफ पार्टी से विद्रोह करने वालो से निपटना भी उसके लिये आसान नहीं रह गया हैैं वहीं कैडर नेताओ का भितरघात भाजपा की मुष्किले बढ़ा रहा है।

टिकट कटने से नाराज भाजपा के दिग्गज
गोण्डा, 22 मार्च । चुनावी संध्या पर देवीपाटन मंडल मे भारतीय जनता पार्टी संकट से घिर चुकी हैें।षीर्श नेतृत्व ने जो रणनीति बनाई और दूसरे दलो से आये प्रत्याषियो को बिना आम सहमति बनाये टिकट थमा देना मुसीबत बन गया है।
कैडर कार्यकर्ता व अब तक टिकट की आस जोह रहे प्रत्याषी टिकट कटने से तो दुखी हैे ही उन्हे गम इस बात का भी हैे कि जो पैसा उन्होने चुनाव के नाम पर एवं जो समय का नुकसान पार्टी को जिले मे संवारने व पहचान कायम करने मे लगा दिया उसका अब क्या होगा। लोकसभा की चैखट लांघने को आतुर भाजपा के स्थानीय उम्मीदवारो को अपनी जीत सुनिष्चित भी लगने लगी थी। वही हाल मे हुए पांच राज्यो के चुनाव मे जिस तरह भाजपा को आप्रत्याषित सफलता मिली उससे भाजपा के संभावित उम्मीदवार अपने जीत के सपने सजोने लगे थे। इधर यह जहां अपने जीत के प्रति आष्वस्त थे उधर विरोधी दल हवा का रूख भांप कर भगवा रंग मे रंगने को बेताब हो चले और “ाुरू हो गया भाजपा मे इनके आने का सिलसिला। इस तरह जब जिले के गोण्डा लोकसभा के सपा सांसद रहे राजा कीर्तिबर्धन ने पाला बदला तभी लोगो को लगने लगा था कि टिकट के वही प्रबल दावेदार भी होंगे। मगर जब इन्हे टिकट मिला तो अब तक लाइन मे लगे आधा दर्जन संभावित प्रत्याषियो के चेहरे न केवल लटक गये। बल्कि लोगो ने अपने गुस्से का भी इजहार कर ही दिया।
 

   

News source: UP Samachar Sewa

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