किसान की खुशहाली के लिए विदेशी कंपनियों को रोकना जरूरी
बिजनौर/लखनऊ। , 17 मई 2020
( उत्तर प्रदेश समाचार सेवा ) > देश का किसान एवं मजदूर खुशहाल होगा तभी देश में रुक सकेगी विदेशी कंपनियों की राह। यह विचार भारतीय किसान मजदूर मंच (अराजनैतिक)
के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी नीरपाल सिंह ने आज यहां भारतीय किसान मजदूर मंच (अराजनैतिक)के कैंप कार्यालय पर प्रदेश कार्यकारिणी विस्तार के समय पत्रकारों के समक्ष कहे। भारतीय किसान मजदूर मंच, उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी नीरपाल सिंह ने कहा की प्रदेश एवं केंद्र सरकारो की गलत नीतियों के कारण आजादी
के बाद भी देश का किसान लगातार उपेक्षित और कमजोर हुआ है। जबकि भारत के प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह जी का भी मत था कि देश की खुशहाली का रास्ता खेत और खलिहानो से होकर गुजरता है। आज जब देश में कोरोना जैसी महामारी के चलते देश संकट के दौर से गुजर रहा है ऐसे में भारत सरकार को स्वदेशी वस्तुओं की
चिंता हुई, यदि यही चिंता आजादी के बाद की सरकारों को हुई होती और किसान को देश में मजबूत किया जाता तो अपने ही देश में बने तमाम उत्पादों को देश का आम नागरिक इस्तेमाल करता। जिससे देश का किसान तो मजबूत होता ही साथ देश की आर्थिक व्यवस्था भी मजबूत होती और आम नागरिक को भी लाभ होता। देश के किसानो को सस्ती
बिजली, पानी, खाद, कीटनाशक दवाइयां एवं किसानों की फसलों के उचित दाम यदि सरकार अध्यादेश लाकर तय कर दे, तो देश की आधी समस्या स्वत ही समाप्त हो जाएंगी। चौधरी नीरपाल सिंह ने कहा कि देश का अन्नदाता देश के लिए सर्दी, गर्मी और बरसात के दिनों में अपने स्वास्थ्य की चिंता किए बिना, भूखा प्यासा रहकर भी
प्रत्येक वह सुविधाएं देने के लिए तैयार और तत्पर रहता है जिसकी देश के आम और खास व्यक्ति को हर समय आवश्यकता होती है। लेकिन देश के किसानों की लगातार उपेक्षा इस बात का सबूत है कि देश में किसानों की खुशहाली के बिना देश की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं हो सकती। और ना ही स्वदेशी उत्पादों को बल मिल सकता है।
स्वदेशी उत्पादों के लिए कच्चा माल तैयार करने में देश का किसान सक्षम था और रहेगा। बशर्ते कि सरकारें देश के किसान को सम्मान के साथ-साथ सहयोग प्रदान करें। भारतीय किसान मजदूर मंच (अराजनैतिक) के प्रदेशाध्यक्ष चौधरी नीरपाल सिंह ने भारत सरकार के माननीय प्रधानमंत्री, गृहमंत्री एवं कृषि मंत्री को एक पत्र
जारी कर सुझाव दिया कि देश के किसानों एवं मजदूरों की समस्या एवं जरूरतों का पक्ष रखने के लिए भारत में *किसान सम्मान बोर्ड* का भी गठन अनिवार्य रूप से हो, जिसमें समय-समय पर भारत के किसानों के प्रतिनिधियों से विचार आमंत्रित किए जाएं और उन विचारों पर विचार विमर्श करते हुए भारत के किसानों को खेती करने
के लिए वैज्ञानिक तरीके से मार्गदर्शित किया जाए। भारतीय किसान मजदूर मंच प्रदेश कार्यकारिणी का विस्तारीकरण के समय प्रदेश के कई पदाधिकारी मौजूद रहे। इस अवसर पर सामाजिक दूरी बनाए रखने का विशेष ध्यान रखा गया।
हर्बल फार्मिंग का स्वागत, मिलेगा आयुर्वेद को बढ़ावा
बिजनौर। भारतीय गौ रक्षा वाहिनी के जिला अध्यक्ष विकुल मलिक ने भारत सरकार द्वारा कोरोना काल में नदियों एवं गंगा के किनारे औषधीय पौधे लगाने की योजना के तहत नमामि गंगे परियोजना को औषधीय पौधे लगाने हेतु विशेष आर्थिक पैकेज देने की मांग का हार्दिक स्वागत किया है
तथा कहा है कि देश में गंगा किनारे एवं नदियों के किनारे औषधीय पौधा रोपण से देश आर्थिक रूप से सुदृढ़ होगा, साथ ही देश में आयुर्वेद को बढ़ावा मिल सकेगा। श्री विकुल मलिक ने बताया की राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन भारत सरकार और नेशनल मेडिसिन प्लांटेशन बोर्ड भारत सरकार के बीच वर्ष 2017 में देश की नदियों एवं
गंगा किनारे औषधीय पौधों को लगाने के लिए एक समझौता भी हो चुका था, लेकिन किन्ही कारणों से इस पर अमल नहीं हो सका था। वर्तमान में कोरोना काल में भारत सरकार द्वारा उठाया गया औषधीय पौधे लगाने हेतु यह कदम अति महत्वपूर्ण है श्री विकुल मलिक ने भारत सरकार से यह भी मांग की कि भारत गांवों का देश है और भारत
मे 80 फ़ीसदी जनता आज भी गांवो में निवास करके खेती बाड़ी का कार्य करती है, गांवों में तालाबों की भी भरमार है, ऐसी स्थिति में यदि भारत सरकार प्रत्येक ग्राम सभा को अनिवार्य रूप से तालाबों के किनारे औषधीय पौधे लगाकर उनकी देखभाल करने के सख्त निर्देश दे तो निश्चित रूप से देश को बहुत बड़ा आर्थिक लाभ हो
सकता है तथा देश में आयुर्वेद के कच्चे माल का भी बहुत बड़ा भंडारण हो सकता है। साथ ही औषधीय पौधे लगाने के कारण ग्राम सभाओं द्वारा तालाबों की देखभाल के चलते भूगर्भ जल स्तर का संतुलन भी बना रहेगा।
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