मुजफ्फरनगर दंगा: सवालों के
घेरे में सपा सरकार
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सर्वेश कुमार सिंह
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Publised on : 11 March 2016
Time: 22:21 |
उत्तर
प्रदेश के पश्चिमी जिले मुजफ्फरनगर में वर्ष 2013 में
हुए भीषण दंगे के एक सदस्यीय जांच आयोग की रिपोर्ट
सरकार ने छह मार्च (रविवार) को विधान सभा में प्रस्तुत
कर दी। हालांकि,जस्टिस विष्णु सहाय जांच आयोग ने
रिपोर्ट में सपा सरकार को ‘क्लीन चिट’ दी है, किन्तु
इस रिपोर्ट के आने के साथ ही प्रदेश की अखिलेश यादव
सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। क्योंकि, आयोग ने
तमाम ‘अनुत्तरित प्रश्न’ छोड़ दिये हैं।
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एकात्म मानववाद के प्रणेताः पं. दीनदयाल
उपाध्याय |
उ.प्र.समाचार सेवा |
एकात्म मानववाद के रूप में पं.दीनदयाल
उपाध्याय ने भारतीय राजनीति को अद्भुत चिंतन दिया। उन्होंने
समाज जीवन में गहरे उतर कर भारतीय राजनीति और आध्यात्म का
समन्वय किया। |
भगवान विश्क र्मा जिन्होंने संसार
को शिल्पकलासे अलंकृत किया |
संकलन सचिन धीमान |
भगवान विश्कर्मा
विश्व के रचयिता, जन-जन
की जीविका की कला के प्रणेता, पालनकर्ता एवं जीवनदाता हैं।
उन्होंने अपनी शिल्पकला से संसार को अलंकृत किया है। वे
देश, काल, जाति और धर्म की सीमाओं से परे, सम्पूर्ण मानव
जाति के हितकारी एवं लोकपूज्य है। |
स्वयं गीत गाती कविताएं है
ऋचा |
हृदयनारायण दीक्षित |
गीत
और काव्य भाव जगत का सौन्दर्य हैं। गीत गाए जाते हैं,
कविताएं भी। इसीलिए कवियों और गीतकारों की प्रतिष्ठा है।
लेकिन वैदिक कविताएं साधारण कविता नहीं है। उन्हें कविता
कहना भाषा की विवशता है। ऋषियों के सामने ऐसी कोई विवशता
नहीं थी। |
अन्ना'' केहि विधि जीतहॅु रिपु बलवाना |
नरेन्द्र सिंह राना |
'युगों-युगों से न्याय और अन्याय,
धर्म-अधर्म, सत्य-असत्य, साधु-असाधु, विष-अमृत व
जीवन-मृत्यु के बीच अनवरत संघर्ष होता आया है। आज भी हो रहा
है। देश काल परिस्थिति के अनुसार पात्र बदल जाते हैं परन्तु
परिणाम कभी नहीं बदलता वह अटूट, अटल व अडिग होता है।
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'वन्देमातरम' गीत का एक नवीन प्रयोग
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कृष्णमोहन मिश्र
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मध्य प्रदेश संस्कृति
विभाग एवं उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत कला अकादमी के
संयुक्त प्रयासों से प्रतिवर्ष चन्देल राजाओं की
संस्कृति-समृद्ध भूमि- खजुराहो में महत्वाकांक्षी- 'खजुराहो
नृत्य समारोह' आयोजित होता है। इस वर्ष के समारोह की तीसरी
संध्या में 'भरतनाट्यम' नृत्य शैली की विदुषी नृत्यांगना
डाक्टर ज्योत्सना जगन्नाथन ने अपने नर्तन को 'भारतमाता की
अर्चना' से विराम दिया। |
खबरों में मिलावट है पाठकों से
धोखाधड़ी |
डा.
रवीन्द्र अग्रवाल |
नीरा राडिया टेप
प्रकरण में जो टेप अब तक उजागर हुए हैं उनसे जाहिर है कि
कुछ ख्यातिनाम पत्रकार इस कार्पोरेट लॉबिस्ट की जी-हुजूरी
में जुटे रहने में ही अपनी शान समझते थे। इस कार्पोरेट
लॉबिस्ट के लिए बड़े कहे जाने वाले अखबारों की औकात किसी
छुटभइयै से ज्यादा नहीं है। |
पंचायत से पार्लियामेन्ट तक के चुनाव का सच
नरेन्द्र सिंह राना |
भारत का जन-जन चाहता है कि देश में सभी
चुनाव हों वहीं वे यह भी चाहते हैं कि सभी स्तरीय चुनाव
शांतिपूर्ण संपन्न हों, मतदाता निर्भीकता से अपने मताधिकार
का प्रयोग करें। मतगणना में धांधली न हो जिससे उनका
विश्वास चुनाव पध्दति पर बढ़े न कि घटे।...........Full Article |
दीपावली और पर्यावरण
विजय कुमार
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हर बार की तरह इस बार भी प्रकाश का पर्व
दीपावली सम्पन्न हो गया। लोगों ने जमकर आनंद मनाया; घर और
प्रतिष्ठान सजाए; मिठाई खाई और खिलाई; उपहार बांटे और
स्वीकार किये; बच्चों ने पटाखे और फुलझड़ियां छोड़ीं; कुछ
जगह आग भी लगी; पर दीप पर्व के उत्साह में यह सब बातें पीछे
छूट गयीं। |
पापांकुशा एकादशी : समस्त कष्टों से
मुक्ति औप मोक्ष प्रदान करती है
साभारःकल्याण |
आश्विन मास के शुक्ल
पक्ष की एकादशी को पापाकुंशा एकादशी ने नाम से जानते हैं।
यह एकादशी मनुष्यों को समस्त पापों एवं कष्टों से मुक्ति
प्रदान करती है तथा मोक्ष भी प्रदान करती है। इस एकादशी का
व्रत तथा इसका महात्म महाभारत में स्वयं भगवान वासुदेव ने
युधिष्टिर को बताया है।
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शक्ति ही तो शान्ति का आधार है |
शान्ति की आकांक्षा किसे नहीं होती; मानव
हो या पशु, हर कोई अपने परिवार, मित्रों और समाज के बीच
सुख-शांति से रह कर जीवन बिताना चाहता है। विश्व के किसी
भी भाग में सभ्यता, संस्कृति, साहित्य और कलाओं का विकास
अपनी पूर्ण गति से शांति-काल में ही हुआ है; लेकिन इस धारणा
को स्वीकार कर लेने के बाद, यह भी सत्य है कि सृष्टि के
निर्माण के समय से ही शांति के साथ-साथ अशांति, संघर्ष,
प्रतिस्पर्धा और उठापटक का दौर भी चलता रहा है।
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इनका दर्द भी समझें
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मेरे पड़ोस में मियां फुल्लन धोबी और मियां
झुल्लन भड़भूजे वर्षों से रहते हैं। लोग उन्हें फूला और झूला
मियां कहते हैं। 1947 में तो वे पाकिस्तान नहीं गये; पर
मंदिर विवाद ने उनके मन में भी दरार डाल दी। अब वे मिलते
तो हैं; पर पहले जैसी बात नहीं रही। अब वे दोनों काफी बूढ़े
हो गये हैं। फूला मियां की बेगम भी खुदा को प्यारी हो चुकी
हैं।Full Article |
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