लखनऊ, 17 जून। (उप्रससे)। राजधानी के
चर्चित डा.बी.पी.सिंह हत्याकांड का एसटीएफ
ने खुलासा कर दिया है। हत्याकाण्ड में तीन
दो शूुटरों समेत तीन लोगों को गिरफ्तार
किया गया है। प्रदेश शासन ने हत्याकाण्ड
का साजिशकर्ता डिप्टी सीएमओ डा सचान को
बताया है। एसटीएफ की जांच के अनुसार
डा.बी.पी सिंह की हत्या सात लाख रूपये की
सुपारी देकर करायी गई थी। एस0टी0एफ0 ने
दोनों हत्याकाण्ड में संलिप्त 03 अभियुक्तों
को आज लखनऊ में मड़ियाव थाना क्षेत्र में
अपरान्ह 12:30 बजे गिरफ्तार कर घटना में
प्रयुक्त पिस्टल एवं मोटर साइकिलों को भी
बरामद कर लिया है। गिरफ्तार अभियुक्तों ने
डॉ0 विनोद कुमार आर्या तथा डॉ0 बी0पी0
सिंह की हत्या में अपनी संलिप्तता को
स्वीकार कर लिया है।
यह जानकारी आज प्रदेश के मंत्रिमण्डलीय
सचिव शशांक शेखर सिंह ने एनेक्सी स्थित
मीडिया सेन्टर में आयोजित प्रेसवार्ता में
दी। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार किए गए
अभियुक्त राम कृष्ण वर्मा, आनन्द तिवारी
तथा विनोद शर्मा हैं। इनकी गिरफ्तारी के
साथ ही एस0टी0एफ0 द्वारा .32 बोर की एक
पिस्टल मय 05 जीवित कारतूस, .315 बोर का
एक तमंचा मय 06 जीवित कारतूस तथा एक हीरो
होण्डा ग्लैमर मोटर साइकिल, एक टी0वी0एस0
अपाची मोटर साइकिल, एक हीरो होण्डा
डिस्कवर, एक आई-10 कार, दो हेलमेट तथा छ:
मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि यही कारण है
कि डॉ0 बी0पी0 सिंह की हत्या के मामले में
तेजी से कार्यवाही की गयी, जबकि इस
हत्याकाण्ड का कोई चश्मदीद गवाह नहीं था।
इस प्रकार यह एक ब्लाईन्ड केस था। उन्होंने
कहा कि इस सम्बन्ध में विगत 07 अप्रैल तथा
26 अप्रैल को केस की विवेचना की प्रगति से
मीडिया को अवगत कराया गया था। इस प्रकरण
से सम्बन्धित अन्य विभिन्न तथ्यों की
जानकारी के साथ-साथ उन्होंने यह भी बताया
था कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन
के विभिन्न कार्यमों हेतु किराये पर लिए
जाने वाले वाहनों, दवाओं की खरीद तथा मैन
पावर को रखे जाने आदि के सम्बन्ध में
सी0एम0ओ0, परिवार कल्याण, लखनऊ द्वारा
गम्भीर वित्तीय अनियमितताएं की गयीं थीं।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने यह जानकारी भी दी
थी कि जांच में यह तथ्य भी प्रकाश में आया
कि ऐसे भुगतान डिप्टी सी0एम0ओ0 परिवार
कल्याण, लखनऊ डॉ0 वाई0एस0 सचान, जिला
प्रशासनिक अधिकारी श्री सी0जे0 यादव तथा
वरिष्ठ लिपिक श्री पी0सी0 वर्मा आदि द्वारा
किए गए। तत्पश्चात इन्हें गिरफ्तार किया
गया तथा निलम्बित भी किया गया। इसके अलावा
मुख्य चिकित्सा अधिकारी, लखनऊ के कार्यालय
में भी घोर अनियमितताएं मिली थीं, जिसके
चलते लखनऊ के तत्कालीन सी0एम0ओ0 डॉ0 ए0के0
शुक्ला को पद से हटा दिया गया और लिपिक
श्री संजय आनन्द को गिरफ्तार कर लिया गया।
श्री आनन्द को निलम्बित भी कर दिया गया
था। यह सब इसलिए किया गया, ताकि
हत्याकाण्ड की जांच प्रभावित न हो सके।
श्री सिंह ने कहा कि विगत 26 अप्रैल को
प्रेस ब्रीफिंग द्वारा, राष्ट्रीय ग्रामीण
स्वास्थ्य मिशन की वित्तीय अनियमितताओं को
दूर करने तथा हर स्तर पर पारदर्शिता बरतने
के सम्बन्ध में माननीया मुख्यमंत्री जी
द्वारा लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों की
जानकारी दी गयी थी। इसके साथ ही यह बताया
गया था कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार
कल्याण के कार्यालय में डॉ0 सचान के
कार्यकाल के दौरान विभिन्न मदों में
भुगतान को लेकर गम्भीर अनियमितताएं मिली
थीं। यह भी अवगत कराया गया था कि पुलिस
द्वारा की जा रही विवेचना तथा वर्णित
परिस्थितियों के मद्देनजर इस हत्याकाण्ड
में प्रथम दृष्टया डा0 वाई0एस0 सचान की
भूमिका अत्यन्त संदिग्ध प्रतीत हो रही थी।
उन्होंने यह भी कहा था कि इस प्रकरण में
डॉ0 सचान की विशिष्ट भूमिका होने के
सम्बन्ध में कोई भी निष्कर्ष विवेचना
पूर्ण होने के बाद ही निकाला जा सकता है।
मंत्रिमण्डलीय सचिव ने कहा कि डॉ0 सचान से
की गयी गहन पूछताछ तथा इनके निकट
सम्पर्कियों के बारे में गहराई से छानबीन
करने के बाद पुलिस को ज्ञात हुआ कि इनका
सम्बन्ध कुछ आपराधिक तत्वों से है। इस
मामले में तथ्यों को तस्दीक करने तथा
अभिसूचना तंत्र को विकसित करने के बाद
एस0टी0एफ0 को बडी सफलता मिली।
गिरफ्तार अभियुक्तों से पूछतांछ के बाद
सामने आये तथ्यों की जानकारी देते हुए श्री
सिंह ने बताया कि डॉ0 बी0पी0 सिंह द्वारा
सी0एम0ओ0 परिवार कल्याण का पद ग्रहण करने
के बाद से ही डॉ0 सचान अत्यन्त परेशान रहने
लगे थे। डॉ0 सचान के साढे चार महीने के
कार्यकाल के दौरान -दवा की खरीद, किराये
पर वाहन लेने, अंधता निवारण कार्यम, संविदा
पर की गयी नियुक्तियाें इत्यादि के बारे
में जितनी भी अनियमिततायें की थीं, डॉ0
बी0पी0 सिंह ने इस सम्बन्ध में गम्भीर
छानबीन शुरू कर दी और उनसे स्पष्टीकरण भी
मांगे। उन्होंने इस सम्बन्ध में डॉ0 सचान
से पूरा हिसाब-किताब स्पष्ट करने की बात
कहते हुए डॉ0 सचान के विरूध्द एफ0आई0आर0
दर्ज कराने की धमकी भी दी। इस बात से
परेशान डॉ0 सचान ने अपने करीबी दोस्त
रामकृष्ण वर्मा से सम्पर्क किया तथा ऐसे
व्यक्ति से मिलवाने की बात कही जो डॉ0
बी0पी0 सिंह की हत्या कर सके।
रामकृष्ण वर्मा ने डॉ0 सचान को पूरा
आश्वासन दिया तथा अपने एक करीबी आनन्द
तिवारी उर्फ शैलेन्द्र तिवारी से सम्पर्क
किया और उसकी मुलाकात भी डॉ0 सचान से करायी।
मुलाकात के दौरान डॉ0 सचान ने आनन्द तिवारी
को 07 लाख रूपया देने तथा संविदा पर रख
लेने का भरोसा दिलाया। डॉ0 सचान का यह भी
कहना था कि डॉ0 बी0पी0सिंह की हत्या के
बाद कोई दूसरा डॉ0 इस पद पर नहीं आयेगा और
उन्हें पुन: इस कार्यालय का चार्ज मिल
जायेगा, तब वे इन सभी लोगों की हर तरह की
मदद करने में पूरी तरह सक्षम हो जायेंगे।
आनन्द तिवारी द्वारा इस कार्य को करने में
रूचि दिखाने पर डॉ0 सचान ने उसे 50 हजार
रूपये अग्रिम दे दिये तथा बाकी का पैसा
काम होने के बाद देने की बात तय हुई। डॉ0
सचान ने इसके बाद पुन: आनन्द तिवारी को
बुलाया और सी0एम0ओ0 कार्यालय ले गये, जहां
उन्होंने सी0एम0ओ0 डॉ0 बी0पी0 सिंह की
पहचान करायी तथा डॉ0 बी0पी0 सिंह के घर का
पता भी बताया।
आनन्द तिवारी द्वारा डॉ0 बी0पी0 सिंह का
घर अच्छी तरह देखने के बाद दिनांक 31
मार्च 2011 को सुबह 05:00 बजे डॉ0 बी0पी0
सिंह के आवास के समीप पहुंचा, इसके साथ
उसका साथी विनोद शर्मा भी था, जो मोटर
साईकिल चला रहा था। इस दिन डॉ0 बी0पी0
सिंह सुबह टहलने निकले लेकिन घर से निकलते
ही 5-6 व्यक्ति और साथ हो गये, जिसके कारण
इन लोगों द्वारा डॉ0 बी0पी0 सिंह की हत्या
को अंजाम नहीं दिया जा सका। अगले दिन 01
अप्रैल 2011 को इन दोनों के द्वारा पुन:
प्रयास किया गया, लेकिन डॉ0 बी0पी0 सिंह
टहलने के लिए नहीं निकले। कुछ घण्टे
इन्तजार करने के बाद दोनों लोग वापस अपने
कमरे पर चले गये।
पुन: 02 अप्रैल 2011 को सुबह 05:00 बजे
डॉ0 बी0पी0 सिंह के घर के समीप मोटर
साईकिल से पहुंचे। लगभग 06:00 बजे डॉ0
बी0पी0सिंह अपने घर से टहलने निकले। थोड़ी
दूर चलने के बाद डॉ0 सिंह के साथ एक
व्यक्ति और टहलने लगा। इसी बीच विनोद शर्मा
मोटर साईकिल चलाते हुए डॉ0 सिंह के करीब
पहुंचा तभी आनन्द तिवारी ने पीछे से डॉ0
सिंह को पिस्टल से गोली मारी। तत्पश्चात्
डॉ0 सिंह के सामने मोटर साईकिल से उतर कर
दोनों हाथों से गोली चलाते हुए नौ-दस गोली
डॉ0 सिंह के उपर चला दी। इस दौरान डॉ0
सिंह के साथ टहल रहा व्यक्ति सडक के
बीचो-बीच स्थित नाले के अन्दर घबरा कर कूद
गया। विनोद शर्मा ने भी मोटर साईकिल पर
बैठे-बैठे अपने पिस्टल से दो गोलियां डॉ0
सिंह को मारीं। इसके बाद विनोद शर्मा की
पिस्टल लेकर आनन्द तिवारी ने तीन गोलियां
डॉ0 सिंह पर चलायीं। पूछताछ पर आनन्द
तिवारी ने इतनी गोलियां चलाने का कारण यह
बताया कि डॉ0 सचान ने उसे यह अवगत कराया
था कि डॉ0 बी0पी0 सिंह हमेशा अपने साथ
लाइसेन्सी रिवाल्वर रखते हैं।
इसके बाद मोटर साईकिल पर बैठ कर विनोद
शर्मा व आनन्द तिवारी अपने कमरे में चले
गये। वहां पहुंच कर आनन्द तिवारी ने अपने
फोन से आर0के0 वर्मा के फोन पर सिर्फ इतना
बता दिया कि 'काम हो गया, टी0वी0 देखो'।
इन तीनों अभियुक्तों ने यह भी स्वीकारा कि
डॉ0 सचान ने डॉ0 विनोद कुमार आर्या की
हत्या के सम्बन्ध में उनसे सम्पर्क किया
था और उस मामले में भी इनकी संलिप्तता थी।
विवेचना प्रचलित है, अभियुक्तों को पुलिस
रिमाण्ड पर लिये जाने की कार्यवाही शीघ्र
सम्पन्न की जायेगी। जो असलहे मिले हैं,
उनका भी मिलान दोनों घटनाओं के सम्बन्ध
मेें, विधि विज्ञान प्रयोगशाला से कराया
जाएगा। इसके अतिरिक्त अन्य विधिक कार्यवाही
भी त्वरित गति से सम्पन्न की जायेगी।
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