लखनऊ, 11 जून। (उप्रससे)। मुख्यमंत्री
सुश्री मायावती ने आज प्रधानमंत्री डॉ0
मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर प्रदेश सरकार
द्वारा 2 जून, 2011 को लागू की गयी भूमि
अधिग्रहण सम्बन्धी नई नीति को भारत सरकार
के सरकारी प्रतिष्ठानोंउपमों में इस नीति
के प्राविधानों को लागू करने का अनुरोध
किया है।
सुश्री मायावती ने
प्रधानमंत्री से अनुरोध किया है कि
वर्तमान में प्रदेश में भारत सरकार के
सरकारी प्रतिष्ठानउपमों जैसे-रेल,
राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, गैस अथॉरिटी
ऑफ इण्डिया लिमिटेड व एन0टी0पी0सी0 आदि
द्वारा किए जा रहे भूमि अधिग्रहण में इस
नीति के प्राविधानों को लागू करने की
व्यवस्था की जाए, ताकि प्रदेश में जिससे
भूमि अधिग्रहण के सम्बन्ध में एक रूपता बनी
रहे। मुख्यमंत्री ने नई भूमि अधिग्रहण नीति
से सम्बन्धित शासनादेश को अपने पत्र के
साथ संलग्न करते हुए प्रधानमंत्री जी से
अनुरोध किया है कि इस नई नीति के तहत आपसी
समझौते के आधार पर भूमि प्राप्त करने तथा
विकसित भूमि में किसानों को लाभान्वित किए
जाने की पहली बार व्यवस्था की गयी है। इसके
अतिरिक्त भूमिहीन किसानों को भी मुआवजा
देने का प्राविधान किया गया है। नई नीति
लागू करने से किसानों एवं भूमि अर्जन करने
वाली संस्था, दोनों को ही लाभ पहुंचेगा।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के कतिपय
विभागों, उपमों एवं प्राधिकरणों द्वारा
भूमि अधिग्रहण के लिए अपने-अपने अधिनियम
बनाये गये हैं, जिसके तहत किसानों से भूमि
अधिग्रहीत की जाती है। केन्द्र सरकार के
इन अधिनियमों में किसानों के साथ आपसी
सहमति एवं करार की व्यवस्था नहीं है। इसके
साथ ही भूमिहीन मजदूरों के लिए भी कोई
संरक्षण का प्राविधान नहीं है, जिससे
कभी-कभी कानून व्यवस्था की समस्या भी
उत्पन्न होती है और भूमि अधिग्रहण से
प्रभावित किसान तथा उनके परिवार मुकदमों
को लेकर कई वर्षों तक फंसे रहते हैं तथा
इससे परियोजनाओं के कार्य भी प्रभावित होते
हैं। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भूमि
अधिग्रहण के सम्बन्ध में घोषित नई नीति
में प्रदेश के किसानों तथा मजदूरों के हितों
के संरक्षण के लिए व्यापक प्राविधान किए
गए हैं। यह नई नीति देश की सबसे प्रगतिशील
एवं किसान हितैषी नीति है। नई नीति के
प्राविधान विभिन्न परियोजनाओं तथा भूमि
अधिग्रहण से प्रभावित किसानों व मजदूरों
दोनों के हित में है।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री
ने 02 जून, 2011 को राजधानी लखनऊ में भूमि
अधिग्रहण तथा किसानों की अन्य समस्याओं के
समाधान के लिए किसान प्रतिनिधियों के साथ
पंचायत की थी। इसमें प्रदेश के कोने-कोने
से किसान तथा किसान प्रतिनिधियों ने भाग
लिया था। इस पंचायत में उन्होंने भूमि
अधिग्रहण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर
विस्तार से किसानों से सीधे चर्चा करके
उनके सुझावों के अनुरूप एक नई प्रगतिशील
भूमि अधिग्रहण नीति की लागू करने की घोषणा
की थी। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की
थी कि भूमि अधिग्रहण की इस नई नीति को
राज्य सरकार की भांति पूरे देश में लागू
की जाए।
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