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समय आने पर अपनाउंगी बौद्ध धर्मः
सुश्री मायावती |
बी.एस.पी. का मानवतावादी मूवमेन्ट आगे बढ़ा रहा
है। परन्तु आर.पी.आई. के श्री रामदास अठावले जैसे लोग,
भाजपा की गुलामी में व अपने स्वार्थ में इस कारवाँ को
आघात ना पहुँचायें: सुश्री मायावती। |
रामदास अठावले
जैसे गुलामी की मानसिकता रखने वाले लोग भाजपा के हाथों
में खेलकर दलितों की एकजुटता को खण्डित करने का
षड़यन्त्र न करें। सुश्री मायावती। |
‘‘जहाँ तक बौद्ध-धर्म अपनाने का सवाल है, तो मैं वक्त
आने पर, बौद्ध-धर्म जरूर अपनाऊँगी’’ लेकिन देश के करोड़ों
दलितों के साथ, तभी मान्यवर कांशीराम जी की भी, यह इच्छा पूरी हो सकती है: सुश्री
मायावती। |
Tags: U.P.Samachar Sewa, U.P.
News , New Delhi, Ms Mayawati, BSP |
Publised on : 30 July 2016, Last
updated Time 21:40 |
नई दिल्ली, 30 जुलाई,
2016
।
(बहुजन समाज पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय द्वारा जारी
मूल विज्ञप्ति)। परमपूज्य बाबा साहेब डा.
भीमराव अम्बेडकर के देहान्त के बाद उनके आत्म-सम्मान व
स्वाभिमान के मानवतावादी मूवमेन्ट के बिखरे व रुके हुये
कारवाँ को आगे बढ़ाने वाली बी.एस.पी. मूवमेन्ट की
राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद (राज्यसभा) व पूर्व मुख्यमंत्री,
उत्तर प्रदेश सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ कहा कि
रिपब्लिकन पार्टी आफ इण्डिया (आर.पी.आई.) के नेता श्री
रामदास अठावले को भाजपा के बहकावे में आकर बौद्ध धर्म
अपनाने के सम्बन्ध में बाबा साहेब की भावना को आहत करने
वाली बात नहीं बोलनी चाहिये और ना ही दलितों को अपने
पाँव पर खड़ा होकर अपने नेतृत्व में ही आगे बढ़ने के
संघर्ष में बाधा बनकर खड़े होने का प्रयास करना चाहिये।
देश के अन्य प्रदेशों की तरह ही उत्तर प्रदेश में भी
भाजपा व प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दलितों
के वोटों को बांटकर उन्हें दूसरी पार्टियों का गुलाम
बनाकर रखने की मानसिकता के तहत् ही मन्त्रिमण्डल में
विस्तार करके जो कुछ गुलाम मानसिकता वाले लोगांे को
मंत्री बनाया गया है, उनमें से ही एक श्री रामदास अठावले
के इस बयान पर कि, ’अगर सुश्री मायावती सच्ची
अम्बेेडकरवादी हैं तो वे अब तक क्यों हिन्दू हैं व बौद्ध
धर्म अब तक क्यों नहीं अपनाया’ पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया
व्यक्त करते हुये सुश्री मायावती जी ने कहा कि वास्तव
में बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर व उनके मानवतावादी
मूवमेन्ट के सम्बन्ध में अज्ञानता का ही यह परिणाम है जो
उन्होंने लोगों को वरगलाने की ख़ास नीयत से यह बात कही
है। इस प्रकार के ग़लत, मिथ्या व भ्रमित करने वाले बयानों
के लिये ही इस्तेमाल करते रहने की नीयत से ही भाजपा ने
केन्द्र में उन्हें मंत्री बनाया है और वह इस प्रकार उनके
हाथों में खुले तौर पर खेल रहे हैं। श्री अठावले को इस
बात का गहन अध्ययन करना चाहिये कि बाबा साहेब डा.
अम्बेडकर ने काफी वर्षों पहले तहैया करने के बावजूद अपने
देहान्त के ठीक पहले ही बौद्ध धर्म को अपनाने का अपना
संकल्प क्यों पूरा किया था।
बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के परिनिर्वाण (देहान्त) के बाद
ऐसी ही बिकाऊ व स्वार्थ की मानसिकता रखने वाले लोगों के
हाथों में आर.पी.आई. आ गयी थी, जिस कारण ही यह आन्दोलन
ख़ासकर बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की जन्मभूमि व कर्मभूमि
महाराष्ट्र में ही बहुत जल्दी दम तोड़ गया और अपना
उद्धार स्वयं करने के लिये सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त
करने का बाबा साहेब डा. अम्बेडकर का जीवन भर का किया गया
कड़ा संघर्ष उनके अपने राज्य में भी सफल नहीं हो सका।
जबकि बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के परमभक्त व अनुयायी व
उनके मूवमेन्ट को एक नये बी.एस.पी. मूवमेन्ट के नाम से
शुरू करने वाले बी.एस.पी. के जन्मदाता व संस्थापक
मान्यवर श्री कांशीराम जी ने आजीवन देश भर में लोगों को
जागरुक करने का काम किया और बाबा साहेब डा. अम्बेडकर के
सपनों को साकार करते हुये, आबादी के हिसाब से देश के सबसे
बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में सत्ता की मास्टर चाबी स्वयं
अपने हाथ में लेकर सरकार बनायी व इस दौरान् जनहित व
जनकल्याण के अनेकों ऐतिहासिक काम हुयेे। उनके (मान्यवर
श्री कांशीराम जी) द्वारा भी बौद्ध धर्म की दीक्षा लेने
के मामले में वही रणनीति अपनायी गयी जो परमपूज्य बाबा
साहेब डा. अम्बेडकर ने अपनायी थी।
हालाँकि बाबा साहेब डा. अम्बेडकर ने अपने निधन से काफी
पहले यह तहैया करके अपने संकल्प को सार्वजनिक भी कर दिया
था कि मैं हिन्दू धर्म में पैदा ज़रूर हुआ हूँ, पर हिन्दू
धर्म में मरूँगा नहीं अर्थात् हिन्दू धर्म में वे पैदा
ज़रूर हुये जो उनके वश में नहीं था, परन्तु मरने से पहले
वे हिन्दू धर्म को त्यागकर बौद्ध धर्म को अपनायेेंगे, जो
उनके वश की बात है और फिर इसके बाद वे देश भर में व
खासकर महाराष्ट्र में समाज को जागरूक बनाने, शिक्षित
बनाने व संगठित करने के काम के लिये लम्बे कठिन संघर्ष
में लग गये। और कई वर्षों बाद जब उन्हें लगा कि उनका
स्वास्थ्य ठीक से उनका साथ नहीं दे रहा है, तो तब दिनांक
06 दिसम्बर सन् 1956 को अपनी मौत से कुछ ही दिन पहले
दिनांक 14 अक्टूबर सन् 1956 में उन्होंने बौद्ध धर्म की
दीक्षा ली। इस प्रकार हिन्दू धर्म को त्यागने व बौद्ध
धर्म को अपनाने में उन्होंने कोई हड़बड़ी नहीं दिखायी और
वे लोगों को तैयार करते रहे। इस कारण जब उन्होंने बौद्ध
धर्म अपनाया तो लाखों लोग उनके साथ थे। यह श्री अठावले
को समझाना चाहिये।
ठीक इसी प्रकार बी.एस.पी. के जन्मदाता व संस्थापक
मान्यवर श्री कांशीराम जी भी लोगों को जागरूक बनाने में
लगे रहे ताकि वह सही समय पर उनकी उत्तराधिकारी (सुश्री
मायावती जी) जब बौद्ध धर्म अपनाये तो देश भर के करोडों
लोग उनका अनुसरण करें ताकि यह घटना एक इतिहास बने और अपने
देश में सामाजिक परिवर्तन के वास्तविक युग की शुरूवात
हो।
उन्होंनेे कहा कि भाजपा को भी उत्तर प्रदेश के आगामी
विधानसभा आमचुनाव में अपनी बाज़ी हारती हुई साफ नज़र आ
रही है। इस कारण अब वह धर्म की आड़ में भी राजनीति करने
का प्रयास कर रही है, जिसके तहत् ही पर्दे के पीछे से
‘‘बौद्ध धर्म यात्रा‘‘ भी शुरू की गयी है। परन्तु उत्तर
प्रदेश में धर्म की आड़ में की जा रही उस राजनीति के
जबर्दस्त विरोध को देखते हुये अब भाजपा ने गुलामी की
मानसिकता रखने वाले कुछ दलित व पिछड़े वर्ग के नेताओं को
आगे करके अपनी स्वार्थ की राजनीति शुरू कर दी है।
सुश्री मायावती जी ने कहा कि वर्षों तक गुलामी व
शोषण-अत्याचार एवं हीनता का जीवन जीने वाले ख़ासकर दलित
व अन्य पिछड़े वर्ग के लोग अब राजनीतिक सत्ता की मास्टर
चाबी के महत्व के बारे में काफी जागरुक होकर सत्ता
प्राप्त करने के लिये लगातार संघर्षरत हैं ताकि
आत्म-सम्मान व बराबरी का जीवन जीते हुये अपना उद्धार वे
स्वयं कर सके, जो कि बौद्ध धर्म का भी अन्तिम लक्ष्य है।
इसलिये जनहित व जनकल्याण हेतु बौद्ध धर्म के मानवतावादी
लक्ष्यों को प्राप्त करना व बौद्ध धर्म के उपदेशों पर
चलना ज़्यादा ज़रूरी है। बौद्ध धर्म की प्रशंसा तो घोर
कट्टर हिन्दुवादी संगठन आर.एस.एस व उसके स्वयंसेवक
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी अपने राजनीतिक
स्वार्थवश हमेशा ही करते रहते हैं, परन्तु बौद्ध धर्म के
उपदेशों के ठीक विपरीत काम करके वे उनके मानने वालों का
हक़ छीनते हैं व उन लोगों पर किस्म-किस्म कि़स्म के शोषण
व अत्याचार करने वालों को हर प्रकार का संरक्षण प्रदान
करते हैं। उनके खिलाफ एक लफज़ बोलना भी उन्हें पसन्द नहीं
है। ऐसे सभी तत्वों के साथ-साथ श्री रामदास अठावले जैसी
स्वार्थपूर्ण व गुलामी भरी मानसिकता रखने वाले लोगों से
को ख़ासकर उत्तर प्रदेश के लोगों को बहुत ही सावधान रहने
की जरूरत है, ताकि वे लोग खासकर प्रदेश में होने वाले
विधानसभा के आगामी आमचुनाव में दलितों का वोट बांटने के
अपने षड़यन्त्र में कामयाब ना हो सकें।
इसके साथ ही, इसी ही मन्त्री द्वारा गुजरात के ऊना काण्ड
को लेकर यह कहना कि गौरक्षा के नाम पर दलितों का
उत्पीड़न करना या हत्या करना क्या जायज़ है, इस सम्बन्ध
में इसका जवाब इनको अपनी सरकार के मुखिया व प्रधानमंत्री
श्री नरेन्द्र मोदी से ही पूछना चाहिये तो यह ज्यादा
अच्छा होगा।
जारीकर्ता
बी.एस.पी. केन्द्रीय कार्यालय,
4, गुरूद्वारा रकाबगंज रोड,
नई दिल्ली - 110001
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News
source: UP Samachar Sewa |
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