लखनऊ
30 जुलाई 2016
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(उ.प्र.समाचार सेवा)।
राष्ट्रीय निषाद संघ के नेता लौटन राम निषाद ने कहा है
कि समाजवादी पार्टी सर्वाधिक पिछड़े वर्ग की निषाद-मल्लाह,
केवट, बिन्द, धीवर, कहार, कश्यप, रैकवार, गोड़िया, तुरहा,
माझी, कोयरी, कुशवाहा, काछी, माली, सैनी, मुराव, मौर्य,
शाक्य, तेली, तमोली, बरई, बारी, राजभर, चैहान, नाई,
बियार, हज्जाम, बंजारा, नायक, गद्दी, घोसी, कुजड़ा, कसाई,
फकीर, जुल्लाहा, रंगरेज, मनिहार, माहीगीर, धुनिया, कुरैशी,
कलन्दर, मदारी, सपेरा, सिगलीगर, पाल, गड़ेरिया, लोहार,
बढ़ई, लोधी, किसान, खागी आदि सर्वाधिक पिछड़ी जातियों की
सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक विकास की विरोधी पार्टी है।
उन्होंने कहाकि सपा को वोट देने का मतलब सांप को दूध
पिलाना है। उन्होंने कहाकि जब-जब सपा की सरकार बनी तब-तब
अतिपिछड़ों के साथ अन्याय व अत्याचार चरम सीमा पर बढ़ गया।
उन्होंने कहाकि 17 अतिपिछड़ी जातियों को सपा केवल झासे
में डालकर गुमराह करती आ रही है। परन्तु अब सपा इन जातियों
को भ्रमित नहीं कर पायेगी। उन्हांेने कहाकि पूरे प्रदेश
में यादवी जोर जुल्म व अत्याचार बढ़ गया है।
श्री निषाद ने कहाकि जो सपा अतिपिछड़ों को कैबिनेट में
स्थान व राजनैतिक सम्मान नहीं दे सकती वह अतिपिछड़ों को
सामाजिक न्याय व आरक्षण का लाभ कैसे देगी। उन्होंने कहाकि
मुलायम सिंह यादव निषाद वंशीयों से महाभारत काल का बदला
ले रहे हैं। उŸार प्रदेश में 12.91 प्रतिशत निषाद,
मल्लाह, केवट, बिन्द, धीवर, कहार, रैकवार, तुराहा, मझवार
आदि तथा 3.60 प्रतिशत लोधी, किसान, खड़गवंशीय हैं परन्तु
इस समाज के एक भी कैबिनेट मंत्री न बनाकर सपा ने निषाद
विरोधी होने का चेहरा उजागर कर दिया है। यही नहीं मौर्य,
कुशवाहा, शाक्य, पाल, चैरसिया जाति के भी स्तर हीन
राज्यमंत्री बनाया गया है। सपा ने जो अतिपिछड़े मंत्री,
विधायक, राज्यसभा सांसद व एम.एल.सी. हैं, उनकी औकात यादव
जाति के ब्लाक अध्यक्ष के भी बराबर नहीं, इनकी औकात एक
चपरासी व बाबू का स्थानान्तरण करवाने व रूकवाने की भी नहीं
है। एम.एल.सी. व राज्यसभा सांसद से सादे लेटर पैड पर
हस्ताक्षर कराकर विधायक निधि बांटने के लिए सपा द्वारा
ले लिया जाता है। प्रदेश में अतिपिछड़ों की आबादी 10.22
प्रतिशत व अत्यन्त पिछड़ों की आबादी 33.34 प्रतिशत है,
परन्तु अतिपिछड़ा, अत्यन्त पिछड़ा व अकलियत/पसमान्दा
मुसलमान सामाजिक अन्याय व राजनैतिक उपेक्षा का शिकार हो
रहा है।
सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट के आधार पर राजनाथ सिंह
जी ने अतिपिछड़ों, अत्यन्त पिछड़ों व अतिदलितों को अलग-अलग
आरक्षण देने का कदम उठाया तो सपा प्रमुख ने अपने 67
विधायकों का सामूहिक इस्तीफा दिलवा दिया। 2001 में
राजनाथ सिंह सरकार ने बालू, मौरंग-खनन पट्टा में पुश्तैनी
पेशेवर निषाद, मछुवारा जातियों को प्राथमिकता देने का
शासनादेश किया था, जिसे सपा सरकार बनने पर सुप्रीमकोर्ट
से मुलायम ने रोक लगवा दिया। 03 अक्टूबर 2013 को अतिपिछड़ी
जातियों को विशेष आरक्षण देने का निर्णय उच्च न्यायालय
ने दिया तो मुलायम ने सुप्रीमकोर्ट द्वारा स्थगित करा
दिया। वर्तमान में निषाद, मछुआरा समाज अपने सभी
परम्परागत पेशों से वंचित हो बेकारी की स्थिति में पहुँच
गया है तथा बालू-मौरंग खनन पर मुलायम के रिश्तेदारों व
गायत्री प्रसाद प्रजापति के सिंडिकेट माफियाओं का कब्जा
हो गया है। सपा ने जो प्रत्याशी घोषित किया है उसमें
मात्र 12 अत्यन्त पिछड़े हैं, निषादवंशीय समाज के संजय
पहलवान व दलजीत निषाद का टिकट काटकर सपा ने निषाद समाज
के साथ अन्याय किया है।
श्री निषाद कहाकि मुलायम के समधियाने की जातियों की
रिश्तेदारी के दबाव में गोरखपुर में फूलनदेवी की प्रतिमा
नहीं लग पायी। डी.एम. ने स्पष्ट कहाकि मुलायम व अखिलेश
ने मुझे आई.ए.एस. नहीं बनाया और मैं अखिलेश का नौकर नहीं।
उन्होंने कहाकि दयाशंकर सिंह द्वारा मायावती को गाली
दिलवाने व विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता व बसपा के
राष्ट्रीय महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर कुबेरपुर आगरा
में हमला के पीछे समाजवादी पार्टी का ही हाथ है।