लखनऊ,
01 दिसम्बर 2016। (उ.प्र.समाचार सेवा)। नगदी की समस्या
से जूझ रहे ग्रामीण बैंकों के प्रति उनके प्रवर्तक
बैंकों का व्यवहार दुर्भावनापूर्ण है। इस कारण ग्रामीण
बैंकों की नेतृत्व क्षमता पर प्रश्नचिन्ह लगा है। यह
बात ग्रामीण बैंक आफ आर्यावर्त अधिकारी एसोसिएशन के
अध्यक्ष राकेश कुमार शुक्ल ने कही।
उन्होंने कहा है कि बैंकों के
ग्राहक संयम बरतें तथा बैंक स्टाफ के साथ सहयोग करें।
एक बयान में शुक्ल ने कहा कि बैंक की प्रदेश में 7 सौ
से अधिक शाखाएं हैं। सभी शाखाएं नोटबंदी के बाद से नगदी
की कमी से जूझ रही हैं। इस कारण कई शाखाओं में ग्राहक
नोट की कमी के चलते आक्रोशित और आन्दोलित होकर नाराजगी
व्यक्त कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ग्रामीण अपने
प्रवर्तक बैंकों करेंसी चेस्ट से धनाहरण करते हैं।
उन्होंने कहा कि उनका सगठन स्थानीय स्तर पर अधिकारियों
तथा शीर्ष स्तर पर केन्द्र सरकार तथा रिजर्व बैंक के
साथ वार्ता करके हल निकालने की कोशिश कर रहा है।
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