एटा 16 अप्रैल उप्र समाचार सेवा। एटा लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी देवेश शाक्य ने नामांकन दाखिल किया। इसके बाद उन्होंने कहा कि जनता ने उनको चुनने का मन बना लिया है। एटा लोकसभा के सपा नेताओं के बीजेपी ज्वाइन करने पर उन्होंने कहा कि जनता सब जानती है। इसका कोई नुकसान नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि पिछले 15 सालों में राजवीर सिंह और उनके पिता कल्याण सिंह एटा से सांसद रहे, लेकिन जब मैं क्षेत्र में जाता हूँ तो कोई विकास नहीं दिखता। उनकी किसी से लड़ाई नहीं है। एटा की जनता इस बार भारतीय जनता पार्टी का सूपड़ा साफ करना चाहती है। आज बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या है। यदि समाजवादी पार्टी और इंडिया गठबंधन की सरकार बनती है तो सबसे ज्यादा ध्यान युवाओं का रखा जाएगा। बीजेपी के 80 सीट जीतने के सवाल पर उन्होंने कहा कि ये झूठे लोग हैं। इन्होंने क्या-क्या वादे किए थे वो पूरे नहीं किए, लेकिन जनता अब समझ चुकी है अब वो इनके बहकावे में आने वाली नहीं।
एटा लोकसभा सीट पर बीजेपी के वर्तमान सांसद राजवीर सिंह तीसरी बार जीत हैट्रिक बनाने की कोशिश करेंगे और उनका मुकाबला समाजवादी पार्टी उम्मीदवार देवेश शाक्य से होगा। समाजवादी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन होने के चलते सपा और कांग्रेस यहां पर मिलकर चुनाव लड़ रही है।
2009 में एटा लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह बीजेपी से बाहर होने पर सपा के समर्थन से निर्दलीय चुनाव लड़े और विजयी रहे। कल्याण सिंह को कुल 275717 वोट मिले थे। जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी बसपा के देवेंद्र सिंह यादव को 147449 वोट मिले थे। कल्याण सिंह ने देवेंद्र सिंह यादव को 128268 मतों से पराजित कर दिया था। बीजेपी यहां तीसरे स्थान पर रही थी। बीजेपी के डॉ. श्याम सिंह शाक्य को 88562 वोट मिले थे। इसके बाद 2014 में कल्याण सिंह ने अपनी विरासत अपने बेटे राजवीर सिंह को सौंप दी। कल्याण सिंह की बीजेपी में वापसी के बाद उनके बेटे को बीजेपी ने एटा लोक सभा सीट से प्रत्याशी बनाया और राजवीर सिंह ने अपने प्रतिद्वंदी सपा के देवेंद्र सिंह यादव को 201001 मतों से हराकर अपने पिता कल्याण सिंह की विरासत को बचा लिया। इसमें राजवीर सिंह को 474978 मत मिले थे। जबकि देवेंद्र सिंह यादव को 273977 मत मिले थे। उसके बाद 2019 में बीजेपी के टिकट पर फिर राजवीर सिंह ने सपा और बसपा गठबंधन के उम्मीदवार देवेंद्र सिंह यादव को 122670 मतों से हराकर एटा लोकसभा पर लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। राजवीर सिंह को कुल 545348 वोट मिले जब कि देवेंद्र सिंह यादव को 422687 वोट मिले। इस बार देवेंद्र सिंह यादव को पिछले चुनाव की तुलना में 13 फीसदी मत अधिक मिले फिर भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा।
अब इस बार सपा उम्मीदवार देवेश शाक्य राजवीर सिंह को कितनी कड़ी टक्कर देते हैं। इस बार सपा ने शाक्य उम्मीदवार उतारकर कुछ हद तक बीजेपी की परेशानी बढ़ा दी है।
देवेश शाक्य बिधूना औरैया के रहने वाले हैं और सपा सरकार में कई बार मंत्री रहे विनय शाक्य के छोटे भाई हैं। देवेश एक बार औरैया से जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ चुके हैं। उसमे ये मात्र एक वोट से चुनाव हार गए थे। इसके अतिरिक्त देवेश 2012 में बीएसपी के उम्मीदवार के रूप में बिधूना से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इसमें ये दूसरे नम्बर पर रहे थे।
देवेश कहते हैं कि एटा मेरे लिए नया नहीं है। मैं यहां का प्रभारी रहा हूँ और बूथ स्तर तक की कमेटी मैंने यहां गठित की हैं। इस चुनाव में विकास, शिक्षा, रोजगार, चिकित्सा आदि चुनाव के मुख्य मुद्दे है। इस बार जनता पीडीए और सपा को वोट करेगी।