लखनऊ, 13 अप्रैल 2024 (उप्रससे)। पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारतीय. जनता पार्टी को चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। इस त्रेत्र में पहले और दूसरे चरण में चुनाव होना है।
सबसे ज्यादा चुनौती की सामना पार्टी के प्रत्याशियों को सहरानपुर और मेरठ मंडल में करना पड़ रहा है। इन मंडलों में लोकसभा की तीन प्रमुख सीटें शामिल हैं। इसमें मुजफ्फरनगर, कैराना और सहारनपुर शामिल हैं। इन सीटों पर तीन जातियों के कुछ नेताओं ने भाजपा विरोध का बिगुल फूंका है। इनमें राजपूत, सैनी और त्यागी समाज के लोग शामिल हैं। विरोध पार्टी से अधिक प्र्तायशियों का है।
सहारनपुर जिले के नानौता और सरसावा में राजपूत और सैनी समाज की एक के बाद एक दो पंचायतें हुई हैं। इन पंचायतों में भाजपा के विरोध की बात कही गई है। दोनों ही जातियों के लोग भाजपा पर उपेक्षा का आरोप लगा रहे हैं। इन पंचायतों में मुजफ्फरनगर में संजीव बालियान और कैराना में प्रदीप कुमार जबकि सहारनपुर में राघवलखनपाल के विरोध की बात कही गई। इसके बाद से इस क्षेत्र में भाजपा के नेताओं की चिंता बढ़ गई है।
हालांकि राजनीतिक सूत्रों के अनुसार दोनों हीं पंचायतें राजनीतिक उद्देश्यों से प्रायोजित की गई थीं। बताया जाता है कि राजपूत पंचायत के पीछे कुछ नेताओं की अपनी महत्वाकांक्षा काम कर रही है। नेता कहीं न कहीं दूसरे दलों के सम्पर्क में बताये जा रहे हैं। हालांकि कहा जा रहा है कि सरधना क्षेत्र के राजपूत इसलिए नाराज हैं क्योंकि विधान सभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी संगीत सोम को संजीव बालियान ने चुनाव नहीं लड़ाया था। इसी कारण वे चुनाव हार गए।
इसी तरह सरसावा में हुई सैनी पंचायत के पीछे डा धर्म सिंह सैनी को माना जा रहा है। उन्होने खुलकर इस पंचायत में हिस्सा लिया। यहां भी सैनी समाज की उपेक्षा की बात कही गई। दरअसल कुछ समय पहले धर्म सिंह सैनी को भाजपा में शामिल किया जा रहा था किन्तु आखिरी समय पर उनकी ज्वाइनिंग रोक दी गई थी। इससे वे नाराज हो गए और मौके की तलाश में थे। अब वे खुलकर भाजपा के विरोध में आ गए हैं। कहीं न कहीं उनका सम्पर्क विरोधी दलो से भी बताया जा रहा है क्योंकि जिस सैनी पंचायत में भाजपा विरोध की आवाज बुलंद की गई उसमें सपा प्रत्याशी इकरा हसन का पोस्टर लगा हुआ था।
राजपूत और सैनी समाज के लोग अपनी उपेक्षा की बात करते हैं लेकिन उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं, जबकि पश्चिम क्षेत्र के अध्यक्ष सत्येन्द्र सिसोदिया हैं। वहीं सैनी समाज को भाजपा ने हाल ही में बड़ा पद दिया है। हरियाणा में नेतृत्व परिवर्तन करके नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सरकार में भी एक मंत्री को शामिल किया गया है।
भारतीय जनता पार्टी ने इन दोनों जातियों को साधने के लिए कोशिश शुरु कर दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लागतार इस क्षेत्र में सभाएं कर रहे हैं। साथ ही राजनाथ सिंह को भी पश्चिम के दौरे पर भेजा गया। भाजपा से इन जातियों की नाराजगी अगर दूर नहीं की गई तो सीधे सीधे समाजवादी पार्टी को फायदा मिलेगा। राजपूत और सैनी समाज की यह नाराजगी प्रदेश के राजपूत और नैनी नेताओं को कहीं न कहीं कमजोर करेगी। यदि भाजपा को इस क्षेत्र में थोड़ा भी नुकसान हुआ तो माना जाएगा कि राजपूत मुख्यमंत्री होते हुए भी पश्चिम के राजपूतों ने भाजपा का साथ नहीं दिया। इससे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ विरोधियों को माहौल बनाने का मौका मिलेगा।
वहीं भारतीय जनता पार्टी में प्रदेश महामंत्री संगठन के पद पर भी सैनी समाज से धर्मपाल सिंह हैं। वे भी पश्चिम उत्तर प्रदेश से आते हैं। कहीं न कहीं उन पर इसका असर हो सकता है। सैनी और राजपूत समाज स्थानीय मुद्दों और विरोध के चलते अपने बड़े नेताओं को भी कहीं कहीं नुकसान पहुंचने की संभावना से अनभिज्ञ हैं। |