Publised
on :
2011:08:31
Time 22:55
Update on :
2011:08:31
Time 22:55
पटना।
बिहार एक बार फिर शहादत को लेकर चर्चा में है। याद
कीजिये राहुल राज को, जिसने बिना किसी खास विचारधारा
के मुंबई में घुसकर राज ठाकरे को दिनदहाड़े चुनौती थी,
शहीद होने के बाद उसकी बहन चीखती रही और उसके पापा
राष्ट्रपति से मिलने के लिए आकाश जमीन एक करते रहे
लेकिन मिला कुछ नही। दिनेश यादव को अगर राहुल राज के
परिप्रेक्ष्य में देखा जाए तो गलत नहीं होगा।
बिहार के सर्फुद्दीनपुर गांव, पंचायत सिंघारा कोपरा,
दुल्हिन बाजार, पटना के दिनेश यादव का पार्थिव शरीर
सड़क मार्ग द्वारा जब पटना स्थित बांसघाट पहुंचा तो
कोहराम मच गया। अन्ना समर्थक भी अपने आंसू रोक नहीं
पाए। जीएम फ्री बिहार मूवमेंट के संयोजक पंकज भूषण ने
कहा कि शहीद दिनेश की कुर्बानी व्यर्थ नहीं जायेगी और
जल्द ही सर्फुद्दीनपुर गांव अगला रालेगन सिद्धी बनेगा।
हालाँकि अन्ना समर्थकों ने दिनेश की दर्दनाक मौत पर
कुछ भी बोलने का नैतिक अधिकार खो दिया है लेकिन न अब
नैतिकता बची है और न ही सच्चाई। बचा है तो बस मीडिया
और उसका राज। निगमानंद को याद कीजिये। दिमाग पर जोर
डालियेगा तो गया के दशरथ मांझी भी याद आ जायेंगे और
कुछ और भी गुमनाम शहीद।
दिनेश यादव, दिनांक 21 अगस्त को अपने गांव से निकले और
अन्ना के समर्थन में पटना से दिल्ली को रवाना हो गए
थे। उनके गांव के मित्र सुनील कुमार सिन्हा ने पंकज
भूषण को बताया कि उसने 23 अगस्त को दिन में 02-30 बजे
दिल्ली से फोन से बताया कि वो अन्ना के समर्थन में वहां
पहुंचा हुआ है। उसके मित्र ने बताया, वही मेरी अंतिम
बात थी फिर शाम में जैसे ही टीवी देखा तब पता चला कि
दिनेश ने राजघाट के पास आत्मदाह कर लिया है।
उसी दिन उसे लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल में भरती कराया
गया। जहाँ 29 अगस्त को सुबह उसने दम तोड़ दिया और अन्ना
के समर्थन में बिहार का एक नौजवान शहीद हो गया। साथ
हीं जानकारी हुई कि शहीद की पत्नी मल्मतिया देवी और
माता श्रीमती माया देवी का बिलख बिलख कर बुरा हाल है।
दिनेश के छोटे भाई अमरजीत जो दिल्ली में एक इम्ब्रॉइडरी
कारखाने में काम करते हैं, ने बताया कि अस्पताल में
कोई देखने नहीं आया। ‘‘सिर्फ हमारे इलाके के दो सांसद
आये थे, पुलिस वालों ने 3500 रुपयों की मदद की फिर एक
एम्बुलेंस में शहीद के शव को रखकर गांव होते हुए पटना
स्थित बांस घाट पर लाया गया, जहाँ उनके ज्येष्ठ पुत्र
गुड्डू, उम्र 10 वर्ष, ने मुखाग्नि दी।’’
स्व0 दिनेश ने अपने बाद पांच बच्चों, जिनमें तीन पुत्र
(गुड्डू, सोहेल व अमन) एवं दो पुत्रियों (पूजा एवं
भारती) को छोड़ा है। सबसे ज्येष्ठ पुत्र की उम्र 10
वर्ष और कनिष्ठ की उम्र 3 वर्ष है। शहीद के पिता विंदा
यादव ने बताया, हमारी आर्थिक स्थति बिलकुल खराब है और
दिनेश ही पूरे परिवार को खेती मजदूरी करके पल रहा था।
अब क्या होगा ! फिर उन्होंने बताया की हमारे चार लड़कों
यथा स्व। दिनेश यादव (30 वर्ष), मिथिलेश कुमार (28
वर्ष) दिल्ली में बल्ब फैक्ट्री में कार्यरत है,
ब्रजमोहन (26 वर्ष) गांव में ही रहता है) तथा छोटा
अमरजीत (19 वर्ष) दिल्ली में काम करता है। उक्त पंचायत
के मुखिया के पति बादशाह ने कहा, ‘‘हमलोग भी देख रहे
हैं पर पारिवारिक स्थिति बहुत ही इनकी खराब है, जिस
कारण सबों से मदद की अपील है।’’
मौके पर उपस्थित अन्ना समर्थक प्रो। रामपाल अग्रवाल
नूतन नें तत्काल अंत्येष्ठी के समय 1100 रुपये एवं
मनहर कृष्ण अतुल जी ने 500/= की सहायता परिवार को दी।
साथ में वहां उपस्थित जीएम फ्री बिहार मूभमेंट के
संयोजक पंकज भूषण ने परिवार को सान्तावना देते हुए कहा,
‘‘शहीद की शहादत बर्बाद नहीं होगी, हम सभी आपके साथ
हैं और हर परिस्थिति में मदद को तैयार हैं। साथ में
उपस्थित इंडिया अगेंस्ट करप्शन के साथी तारकेश्वर ओझा,
डा0 रत्नेश चौधरी, अतुल्य गुंजन, प्रकाश बबलू,
शैलेन्द्र जी, रवि कुमार आदि ने भी शोकाकुल परिवार को
सांत्वना दी साथ ही अन्य बिहार वासियों से भी अपील की
इस मौके पर अमर शहीद दिनेश के परिवार के देखरेख के लिए
अधिक से अधिक मदद करें।
इसी बीच पटना स्थित एक चैनल द्वारा आयोजित एक
कार्यक्रम में उपस्थित प्रो0 रामपाल अग्रवाल नूतन नें
शहीद के पिता विंदा यादव को 1100 रुपये का चेक दिया और
शहीद के माता पिता के जीवन भर के निर्वाह का बीड़ा
उठाया। उनकी ही पहल पर रोटरी पटना मिड टाउन के अध्यक्ष
इंजिनियर केके अग्रवाल ने उनकी बड़ी लड़की पूजा जिसकी
उम्र 9 वर्ष है, जो उत्क्रमित मध्य विद्यालय
सर्फुद्दीनपुर के वर्ग 6 की छात्रा है, के पढाई के साथ
साथ जीवन भर के निर्वाह का बीड़ा उठा लिया। साथ ही
रोटरी पटना से विजय श्रीवास्तव ने दूसरी लड़की भारती
कुमारी के जीवन भर का बीड़ा उठा कर एक साहसिक कदम उठाया
है और हमारे समाज को एक सन्देश भी दिया है।
इंडिया अगेंस्ट करप्शन से जुड़े तारकेश्वर ओझा ने जन
मानस से अपील की है कि जहाँ तक हो सके हर कोई इस
परिवार की मदद करे, लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या हजार-दो
हजार और पांच सौ रुपए की मदद से दिनेश का परिवार पल
जाएगा। करोड़ों का चंदा उठाने वाले टीम अन्ना के लोग
एक बार लोगों से दिनेश के परिजनों की मदद करने के लिए
अपील भी कर देते तो शायद कुछ सम्मानजनक राशि जमा हो
जाती।
इधर दिनेश यादव के मौत की निष्पक्ष जाँच कि मांग भी
तूल पकड़ने लगी है। फेसबुक ऐक्टिविस्ट दिलीप मंडल ने
मांग की है कि दिनेश यादव के मौत कि जाँच कराई जाए।
गौरतलब है कि मंडल आदोलन के समय एक कथित छात्र ने
आत्महत्या की थी जिसे मीडिया ने आरक्षण विरोधी आन्दोलन
के पक्ष में छवि बनाने के लिए दिखाया था बाद में पता
चला कि मीडिया के अन्दर एक रणनीति के तहत ऐसी
रिपोर्टिंग की गई थी और दरअसल वो पान बेचने वाला
दुकानदार था।
(पोस्ट पटना से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए मेल पर
आधारित) साभारः मीडिया दरबार डाट काम
|