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आलेख /
डॉ. ओ. पी. मिश्र
दशरथ माँझी-प्रेम और
पुरुषार्थ की प्रतिमूर्ति
दशरथ
माँझी द्वारा निर्मित मार्ग हजारों-लाखों किसानों,
विद्यार्थियों, बीमारों, व्यापारियों आदि के लिए बहुत
उपयोगी है। क्या उपयोगिता सौंदर्य पर भारी नहीं है।
दशरथ माँझी का उक्त कार्य हमे कई तथ्यों से रूबरू कराता
है। प्रथम, कर्म और पुरुषार्थ से कोई भी असम्भव कार्य
सम्भव हो जाता है। आर्ष ग्रन्थों में लिखा है ‘‘कृत मे
दक्षिणो हस्ते जयो मे सब्य आहितरू’’ अर्थात कर्म तुम्हारे
दायें हाथ में है तो विजय बाएं हाथ में। द्वितीय, धैर्य
अभीष्ट को पाने में साधक है। माँझी 22 वर्ष तक धैर्य के
साथ परिश्रम करते रहे।
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डॉ. ओ. पी. मिश्र
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लेखक, विचारक एवं
चिंतक
OP Misra,
Writer, Columnist & Auther
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