देहरादून
/ लखनऊ। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह
ने अपने अन औपचारिक रिश्ते को स्वीकार कर
महिला सशक्तिकरण दावे की हवा निकाल दी है।
उनकी इस वीरता या बेशर्मी ने कांग्रेसी
नेताओं के रंगरसिया मिज़ाज को खुली हवा दी।
67 साल के दिग्विजय की बेसब्री अमृता के
तलाक लेने तक इंतजार क्यूं नही कर सकी ?
यह सब सक्रिय राजनीति से रिटायरमेंट लेकर
भी किया जा सकता है। आम जनता 67साल से अपने
भाग्य को कोस रही है। उधर नेतागण निजी
जिंदगी में ऐश के लिये संविधान को धता
बताते आ रहे हैं।
नारायण दत तिवारी
अर्से तक उज्जवला शर्मा से अपने रिश्ते को
नकारते रहे। रोहित के डीएनए टेस्ट और
कोर्ट के निर्णय से एनडी तिवारी को अब भला
पूरा परिवार मिल गया है। आजकल तिवारी और
उज्ज्वला को लखनऊ माल में एक साथ घूमते
देख युवा जोड़े शर्मिंदा हो रहे हैं। भले
ही ओएसडी मीडिया के आगे फरियाद करेे -
तिवारी जी को इस उम्र में लिव इन रिलेशन
का क्या फायदा है ? भारतीय संस्कृति में
ऐसी चर्चायें कभी दबी जुब़ान से होती थी।
दिल्ली, लखनऊ,
भोपाल, देहरादून के राजनीतिक गलियारों में
भाजपा और कांग्रेस नेताओं के रंगीन किस्से
अब आम सुने जाते हैं। प्रेम प्रसंगों में
हुई हत्याओं में कहीं अमर मणी त्रिपाठी
जैसे अपनी पत्नी के साथ मधुमिता हत्याकांड
के लिये आजीवन कारावस की सजा काट रहे हैं
तो कुछ सीबीआई जांच में साफ बच निकले।सोशल
मीडिया फेसबुक और ट्वीटर नेताओं के लिये
आज गज़ब की फंास बन चुके हैं। नेताओं की
रंगरलियों के किस्से अब सबसे पहले सोशल
मीडिया में आम होते हैं। कुछ लोग इस मीडिया
पर अपनी भड़ास निकालते हैं तो कुछ हिसाब -
किताब बराबर करने के लिये फेसबुक की शरण
लिये हैं।
उत्तराखंड राज्य
बनने के बाद कांग्रेस ओर भाजपा नेताओं की
महिलाओं से निकटता कई बार सुर्खिया बनी और
नेताओं को इस के लिये कीमत भी चुकानी पड़ी
है। एनडी तिवारी सरकार (2002 से 2007) में
मंत्री रहे हरक सिंह रावत को जेनी प्रकरण
में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। सीबीआई से
क्लीन चिट के बाद भी हरक सिंह रावत तिवारी
कैबिनेट में नही लौट पाये।पिछले दिनों
कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के खिलाफ
मेरठ की एक महिला ने पुलिस में उत्पीडन की
शिकायत दर्ज़ करायी। माननीय मंत्री जी की
मिट्टी पलीद कर इस महिला को ना जाने क्या
मिल गया कि अब सारे शिकवे - शिकायत दूर हो
गये। महिला को माफी देकर हरक सिंह रावत ने
अपने खिलाफ दुष्प्रचार को और हवा दे दी।
उत्तराखंड भाजपा के पूर्व संगठन मंत्री धन
सिंह रावत ने तो अपने विवाह के लिये
त्रिजुगीनारायण का चुनाव किया।
केदारनाथधाम के करीब त्रिजुगीनारायण को
शिव - पार्वती विवाह स्थली माना गया है।
मध्य
प्रदेश में भाजपा के चर्चित विधायक रहे
ध्रवनारायण सिंह, आरटीआई एक्टिविस्ट शहला
मसूद और इंटीरियर डिजायनर जाहिदा परवेज का
प्रेम त्रिकोण महीनों मीडिया की सुर्खियां
बना रहा। जिसमें शहला मसूद को जान से हाथ
धोना पड़ा तो एमएलए की प्रतिष्ठा नहीं बची।
और जाहिदा परवेज की आजादी छिन गई, उन्हें
हत्या के षडयन्त्र में जेल की हवा खानी पड़ी।
अपनी शोहरत और प्रतिष्ठा के लिए कभी लोगों
की आंख की किरकिरी बना रहने वाला यह एमएलए
प्रेम त्रिकोण में फंसने से पहले प्रेम
विवाह भी कर चुका था। उसने प्रेम विवाह
करने वाली महिला को जीवन संगिनी बनाने के
बाद भी फुलस्टाप नहीं लगाया था। अलबत्ता
भाजपा को इसकी कीमत चुकानी पड़ी।
नेताओं के लिये
राजनीति महज़ सत्ता प्राप्ति की चाबी नही
रही। आज राजनीति के मायने बिना पढ़े -लिखे
” ज़र - जोरु -ज़मीन “ जैसे सुख लुटने का
सबसे सरल धंधा है। महिला मित्रों को अपनी
पार्टी में नेता मनोनीत करना, लाल बती
दिलाना या जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव लड़ाने
का ख़म ठोकना यह सब तिवारी और दिग्विजय
सिंह के कारवां को आगे बढ़ाने के लिये सारे
नेता पूरे देश में कर रहे हैं। |