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बदरीनाथ।
श्री बदरीनाथ धाम के कार्यवाहक रावल के
तिलपात्र के बाद अब बदरीनाथ धाम के कपाट
खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
नरेंद्रनगर स्थित टिहरी महाराजा के दरबार
से लक्ष्मीनारायण मंदिर सिमली के बाद गाडू
घड़ा यात्रा योग ध्यान बदरी मंदिर पहुंच
गई है। जोशीमठ नृसिंह मंदिर से आदि गुरु
शंकराचार्य गद्दी भी इस यात्रा के साथ
पांडुकेश्वर लाई गई। आज कुबेर जी और उद्धव
की उत्सव डोली के साथ शंकराचार्य गद्दी व
गाडू घड़ा बदरीनाथ धाम पहुंचेगा।
शनिवार सुबह नृसिंह मंदिर जोशीमठ में पूजा
अर्चना के बाद भगवान को भोग लगाया गया।
ठीक 11 बजे नृसिंह मंदिर मठांगण से आदि
गुरु शंकराचार्य की गद्दी के साथ गाडू घड़ा
यात्रा कार्यवाहक रावल ईश्वरी प्रसाद
नंबूदरी के संरक्षण में योगध्यान बदरी
मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हुई। इस
मौके पर गढ़वाल स्काउट के जवानों ने बैंड
से धार्मिक धुन बजाकर धार्मिक नगरी जोशीमठ
को भक्तिमय बना दिया। विष्णुप्रयाग में इस
यात्रा के सदस्यों ने भगवान विष्णु मंदिर
में पूजा अर्चना की। पांडुकेश्वर में
यात्रा का फूल वर्षा के साथ श्रद्धालुओं
ने स्वागत किया। योगध्यान बदरी मंदिर में
पहुंचने के बाद सबसे पहले कार्यवाहक रावल
ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी व उसके बाद अन्य
श्रद्धालुओं ने भी पूजा अर्चना की। इस
अवसर पर बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन
चंद्र उनियाल, वेदपाठी राधाकृष्ण थपलियाल,
सत्य प्रसाद चमोला, कुशलानंद बहुगुणा, रमा
भंडारी, भगवती प्रसाद नंबूदरी, प्रकाश
भंडारी समेत कई श्रद्धालु शामिल थे।
रविवार सुबह 10 बजे उद्वव, कुबेर,
शंकराचार्य गद्दी व गाडू घड़ा कार्यवाहक
रावल की अगुवाई में बदरीनाथ धाम के लिए
रवाना होगा।
पंचतीर्थो का जल ग्रहण करेंगे पुजारी
भले ही नायब रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी
का तिलपात्र कर बदरीनाथ धाम के कार्यवाहक
रावल की जिम्मेदारी सौंपी जा चुकी हो।
लेकिन, बदरीनाथ मंदिर में पूजा करने से
पहले रावल को पंचतीर्थो का जल ग्रहण करना
पड़ेगा। बदरीनाथ में ऋषिगंगा, कुर्मधारा,
प्रह्लाद धारा, तप्तकुंड व अलकनंदा का जल
ग्रहण करने के बाद ही रावल मंदिर की पूजाओं
में शामिल हो सकते हैं। यह परंपरा रविवार
को यात्रा के बदरीनाथ पहुंचने के तुरंत
बाद निभाई जाएगी।
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने उलटी गिनती
शुरू
गोपेश्वर। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने
उलटी गिनती शुरू हो गई है। बामुश्किल 24
घंटे को बचे हैं, लेकिन व्यवस्थाएं अभी
पूरी तरह पटरी पर नहीं हैं। हालांकि
बदरीनाथ धाम तक हाईवे पूरी तरह खुला हुआ
है, लेकिन श्रद्धालुओं के रास्तेभर हिचकोले
खाने की मजबूरी बनी हुई है। यहां हाइवे पर
21 से अधिक डेंजर जोन लोगों की परेशानी का
कारण बन सकते हैं। धाम में स्थायी विद्युत
आपूर्ति के लिए बनाई गई जल विद्युत
परियोजना शुरू न होने से फिलहाल आंख मिचौनी
की स्थिति है। मोबाइल की घंटी बज तो रही
है, लेकिन अक्सर टावर में खराबी आने से
दिक्कतें बनी हुई हैं। सरकारी महकमे
व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जुटे हुए
हैं।
बदरीनाथ यात्रा को लेकर सरकारी स्तर से
किए जा रहे दावों की तस्वीर अभी काफी
धुंधली है। बदरीनाथ तक हाइवे पर गढ्ढे भरने
का काम अभी पूरा नहीं हो पाया है। लामबगड़
सहित अन्य डेंजर जोन पर भूस्खलन से राहगीरों
की मुसीबत भी बरकरार है। स्वास्थ्य सेवाएं
बेहाल हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती
न होने से सरकारी चिकित्सालयों में
स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर हालात पहले
जैसे हैं। सरकार की हर 15 किलोमीटर पर
स्वास्थ्य रिलीफ सेंटर के दावे भी अभी
धरातल पर नहीं दिख रहे। बाधित नेटवर्क के
बीच मोबाइल की घंटी बज तो बज रही है,
लेकिन लैंडलाइन फोन अभी डैड हैं। पैदल
मार्ग जरूर दुरुस्त कर लिया गया है।
शुभ मुहूर्त-
- श्री
बदरीनाथ धाम के कपाट पांच मई को प्रात:
4:05 बजे खुलेंगे
- इससे एक दिन पहले बदरीनाथ के मुख्य
पुजारी रावल के नेतृत्व में शंकराचार्य की
गददी, उद्वव, कुबेर की डोली पांडुकेश्वर
गांव से बदरीनाथ पहुंचेगी।
- कपाट खुलने से पूर्व हक हकूकधारी मेहता
व भंडारी थोक के प्रतिनिधि व मंदिर समिति
के अधिकारी मंदिर परिसर में एकत्रित होकर
तीनों तालों की सील व चाबी का अवलोकन
करेंगे।
- परंपरानुसार गर्भगृह के कपाट खोलकर पहले
लक्ष्मी जी को गर्भगृह से लक्ष्मी मंदिर व
उद्वव जी, कुबेर जी को गर्भगृह में
बदरीनारायण पंचायत में विराजित किया जाएगा।
इसके बाद श्रद्धालुओं को भगवान बदरी विशाल
व अखंड ज्योति के दर्शनों के लिए मंदिर
खोला जाएगा।
मौसम
- अभी श्री बदरीनाथ धाम में सांय को मौसम
खराब हो रहा है। हालिया दिनों में बदरीनाथ
की चोटियों में बर्फबारी हुई। यात्रा शुरू
होने के बाद साफ मौसम की उम्मीद जताई जा
रही है।
विद्युत व्यवस्था
-बदरीनाथ धाम में ऊर्जा निगम द्वारा ग्रिड
से विद्युत सप्लाई सुचारु कर दी गई है।
लेकिन कटौती के चलते बिजली गुल हो रही है।
बदरीनाथ धाम में विद्युत सप्लाई के लिए
स्थायी व्यवस्था के रूप में जल विद्युत
निगम की लघु जल विद्युत परियोजना अभी ठीक
नहीं हुई। उरेडा इसकी मरम्मत कर रहा है।
काम पूरा होने में अभी समय लगेगा। 2013
जून माह में आपदा के दौरान जोशीमठ -
बदरीनाथ के बीच विद्युत लाइन जगह-जगह
क्षतिग्रस्त हो गई थी। तब कपाट बंद होने
से पांच दिन पहले तक इसी लघु जल विद्युत
परियोजना ने बदरीनाथ को जगमग रखा था।
सुरक्षा
- आपदा से सबक लेते हुए प्रशासन व पुलिस
ने यात्रा मार्ग पर राहत एवं बचाव टीमें
गठित की हैं। पांडुकेश्वर में बेस कैंप
बनाकर 26 एसडीआरएफ के प्रशिक्षित जवान
तैनात किए गए हैं। इन जवानों को जरूरत पडऩे
पर गोविंदघाट, लामबगड़, बदरीनाथ, हेमकुंड
साहिब यात्रा मार्ग पर मदद के लिए भेजा
जाएगा। जोशीमठ से बदरीनाथ के बीच वनवे गेट
सिस्टम भी लागू किया गया है। जिसमें बड़े
वाहनों को जोशीमठ से आगे जाने की इजाजत नहीं
है। डेंजर जोन, भूस्खलन जोन में बोर्ड
लगाकर राहगीरों को सडक़ के संभावित खतरों
से अलर्ट भी किया गया है। लामबगड़, पैनी
बैंड सहित डेंजर जोन में होमगार्ड के जवान
भी वाहनों की आवाजाही में मदद करेंगे।
आवासीय व्यवस्था
-गौचर, कर्णप्रयाग, नंदप्रयाग, चमोली,
पीपलकोटी, हेलंग, जोशीमठ, पांडुकेश्वर,
गोविंदघाट, गोपेश्वर, बदरीनाथ में होटल,
धर्मशालाएं, ढाबे व विश्राम गृह मौजूद।
प्रतिदिन यात्रा रूट पर अलग अलग कस्बों
में एक लाख लोगों के रहने की पर्याप्त
व्यवस्था है।
डेंजर जोन
-चमोली जिले में बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर
अलग अलग जगह 21 से अधिक डेंजर जोन हैं।
चमोली के प्रवेश द्वार कमेड़ा के पास तीन
किलोमीटर सडक़ धंसने के कारण खतरनाक, लंगासू
के पास भूमि धंसाव से खतरा,नंदप्रयाग के
पास परथाडीप व मैठाणा पुरसाड़ी के बीच
लगातार भूस्खलन से दो किलोमीटर हाइवे
खतरनाक, छिनका व पीपलकोटी के बीच दो
भूस्खलन जोन फिलहाल शांत, पातालगंगा, लंगसी
के पास भूस्खलन जोन फिलहाल शांत, पैनी
बैंड में पांच किलोमीटर में सात जगह
भूस्खलन जोन हल्की बारिश में भूस्खलन का
खतरा, जोशीमठ से पांडुकेश्वर के बीच हाथी
पहाड़, बलदौड़ा, पटमिला, पिनौला,
तामचापयार में डेंजर जोन, तीन किलोमीटर
सडक़ ऊबड़ खाबड़, पांडुकेश्वर से आगे
लामबगड़ डेंजर जोन भूस्खलन रुक रुककर जारी
यहां पर सफर में रहें सतर्क, लामबगड़ से
बेनाकुली तक चार किलोमीटर डेंजर जोन
भूस्खलन जारी, पागलनाला, रड़ांग नाला व
कंचनगंगा में हिमस्खलन से खतरा है।
बदरीनाथ नेशनल हाईवे पर गड्ढे बने
जोखिम भरे
गोपेश्वर । श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने
में एक दिन शेष बचा है। लेकिन, लोक
निर्माण विभाग अभी तक ऋ षिकेश-बदरीनाथ
नेशनल हाईवे पर गड्ढे भरने का कार्य ही
पूरा नहीं कर पाया है। गौचर से लेकर माणा
तक अभी भी हाईवे पर बड़े-बड़े गड्ढे
दुर्घटना को आमंत्रण दे रहे हैं। साफ है
कि चमोली जिले में तीर्थयात्रियों को हाईवे
पर हिचकोले खाकर तीर्थयात्रा करनी पड़ेगी।
पांच मई को सुबह श्री बदरीनाथ धाम के कपाट
खुलने हैं। हालांकि, बदरीनाथ नेशनल हाईवे
के रख रखाव की जिम्मेदारी सीमा सडक़ संगठन
के पास है। लेकिन, गत वर्ष जून में आई आपदा
से हाईवे अधिकतर जगहों पर खराब हो गया था।
हाईवे पर गौचर से पांडुकेश्वर तक गड्ढे
भरने की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को
सौंपी गई है। पीडब्ल्यूडी अभी तक कुछ ही
स्थानों पर गड्ढे भर पाया है। विभाग का
कहना है कि बीच में मौसम खराब होने से
गड्ढे भरने में बाधा आई। इधर, जोशीमठ शहर
में सीमा सडक़ संगठन गड्ढे भरने का कार्य
कर रहा है। लेकिन, घटिया गुणवत्ता का
कार्य होने के बाद जन प्रतिनिधियों ने यहां
कार्य बंद करा दिया। जोशीमठ शहर में अभी
भी बड़े बड़े गड्ढे बने हुए हैं। लोक
निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता रमेश
चंद्र पाल का कहना है कि अधिकतर स्थानों
पर गड्ढे भरने का कार्य पूरा कर दिया गया
है। विभाग युद्ध स्तर पर कार्य में जुटा
हुआ है। |