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Border Security laps
:भारत के आकाश में नेपाल की घुसपैठ,
चीन का नया दांव
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Tags: National Security,
China-Nepal-India Border,
Intrusion in Uttakahand, Aitel, BSNL
Mobile network, |
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Publised
on : 24 July 2013, Time: 22:51 |
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- भूपत सिंह
बिष्ट- Dehradun. 25 July
13 , Bhupat Singh Bist-Uttar
Pradesh Samachar Sewa- देहरादून
(उप्रससे)।
उत्तराखंड प्रदेश के पिथौरागढ़
जनपद में जोलजीबी, बलुआकोट, नई
बस्ती, गोठी और धारचूला में नेपाल
स्थित मोबाइल टावर भारत की आकाशीय
सीमा में घुसपैठ कर चुके हैं।
नेपाल की ओर से भारतीय क्षेत्र
में मोबाइल दूरसंचार की यह घुसपैठ
रक्षा संस्थानों, स्थानीय प्रशासन,
सेना - पुलिस अधिकारियों की जासूसी
और आम नागरिकों को गैर कानूनी धंधों
से जोड़ने के लिये उपयोगी हो रही
है। स्थानीय लोग नेपाली सिम का
इस्तेमाल भारत भूमि में बिना
रोकटोक धड़ल्ले से कर रहे हैं।
आपदा की मार झेल रहा उत्तराखंड
प्रदेश एक ओर चीन की सीमा से घिरा
है और दूसरी ओर काली नदी के पार
नेपाल की सीमा है। आज नेपाल में
चीन का प्रभाव चरम पर है। भारत के
प्रति नेपाल के नज़रिये में निरंतर
परिवर्तन आता जा रहा है। नेपाल की
भूमि से भारत का मुखर विरोध होना
और माओवादी गुट की गतिविधियां का
संचालन एक बड़ी चिंता का विषय है।
सूत्र बताते हैं कि नेपाल के
मोबाइल टावर की पकड़ भारत की
सीमांत चौकियों तक है। समझा जा
सकता है कि नेपाल के बहाने हमारी
सीमा और सेना की जासूसी करने के
लिये ऐसे मोबाइल टावरों और तकनीक
का उपयोग करना चीन के लिये कितना
सहूलियत भरा है। बीएसएनएल द्वारा
इस मामले में हो रही लापरवाही कभी
भी बड़ी घटना का कारण बन सकती है।
पिथौरागढ़ में बलुआकोट के पास
एयरटेल मोबाइल पर देहरादून से आयी
एक फोन काल को रिसीव करने पर एक
सौ रुपया का चार्ज लगा। एयरटेल
हेल्पलाइन से बात करने पर पता चला
कि यह चार्ज इंटरनेशनल रोमिंग के
लिये था। एयरटेल कर्मी यह मानने
को सरलता से तैयार नहीं हुए कि
पिथौरागढ़ जनपद उत्तराखंड प्रदेश
और भारत का अटूट हिस्सा है।
एयरटेल ने पिथौरागढ़ जनपद को विदेश
मानते हुए 68 रुपये का इंटरनेशनल
रोमिंग का किराया भी वसूला।
बात इतनी सी नहीं है कि आपदा
ग्रस्त लोगों का हालचाल जानने के
लिये गये प्रतिनिधिमंडल सदस्य के
साथ यह घटना हुई और भारत की
एयरटेल मोबाइल सेवा ने उत्तराखंड
प्रदेश के पिथौरागढ़ जनपद को विदेश
का हिस्सा मान लिया है। चिंताजनक
तथ्य यह है कि नेपाल का मोबाइल
टावर आसानी से भारत के मोबाइल फोन
के संदेश पकड़ रहा है और इस के
दुरुपयोग की पूरी आशंका बनी हुई
है।
उत्तराखंड प्रदेश के पिथौरागढ़
जनपद की धारचूला तहसील की सीमा
चीन के साथ जुड़ी हुई हैं। धारचूला
तहसील के स्थानीय जनजाति के लोग
“शोका" कहलाते हैं। “शोका" यानि
रंग समाज ; चौदास, व्यास और दारमा
घाटी में बसा है। सर्दियों में
बर्फबारी से पहले ““शोका" लोग
धारचूला और बलुआकोट में अपने घरों
को लौट आते हैं। 15 से 17 जून तक
हुई अतिवृष्टि से बलुआकोट, नई
बस्ती और गौठी के अनेक भवन काली
नदी में समा गये तथा धारचूला से
आगे दारमा, चौदास ओर व्यास घाटी
का संपर्क “ शेष भारत से कट गया
है। धारचूला नगर अब काली नदी के
खतरे से अछूता नही है। स्थानीय
लोगों का मानना है कि प्रकृति के
इस प्रकोप के पीछे मानव आचरण का
पतन भी एक कारण है। कीड़ाजड़ी और
अन्य बहुमूल्य वन उपजों को हासिल
करने के लिये परंपराओं का खुला
उल्लंघन हो रहा है।
उधर व्यास घाटी में लिपूपास और
पार्वती मुकुट पर भारत तिब्बत सीमा
पुलिस और सीमा सुरक्षा बल के जवान
विषम परिस्थितियों में सीमा पर
घुसपैठ रोकने के लिये हर मौसम में
मुस्तैद हैं। जयोलिंगकांग और
नाबीढांग इस इलाके की सीमांत
चैकियां हैं। जहां हर साल छह से
सात माह तक बर्फ रहती है। 1962 से
पहले “शोका" लोग तकलाकोट के मुख्य
व्यापारी थे। आज तकलाकोट चीन का
प्रमुख नगर बन चुका है और यहां
सारी आधुनिक सुख - सुविधायें
उपलब्ध हैं। लीपू पास तक चीन की
ओर से मोटर सड़क निर्माण हो चुका
है।
कैलास मानसरोवर यात्रा धारचूला की
चौदास और व्यास घाटी से होकर
गुजरती है। भारत - चीन युद्ध 1962
के बाद कैलास यात्रा पर चीन द्वारा
पाबंदी लगायी गयी थी। तब कई वर्षों
तक व्यास घाटी में छोटा कैलास -
जयोलिंगकांग तक तीर्थ यात्रियों
का आवागमन होता रहा। आजकल जून से
सितंबर माह तक कैलास मानसरोवर
यात्रा का आयोजन विदेश मंत्रालय
की ओर से होता है। आपदा के कारण
इस वर्ष कैलास मानसरोवर यात्रा
रोक दी गयी और अब 25 जुलाई के बाद
इस यात्रा का भविष्य तय होने की
आशा है।
10 - बी, एकता विहार,
पंडितवाड़ी, देहरादून।
976058221
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News
source: U.P.Samachar Sewa |
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upsamacharsewa@gmail.com
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