नई दिल्ली , 26 सितंबर 2020 ( उ.प्र.समाचार सेवा)। भारतीय
जनता पार्टी के सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल ने उसका साथ छोड़ दिया है। अकाली दल ने आज रात कोर कमेटी की बैठक के बाद भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ( राजग) से अलग होने का फैसला कर लिया। इसकी घोषणा अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने कर दी। बादल ने किसान हितों की
अनदेखी करने तथा किसान बिलों को बगैर सहमति के लाने पर नाराजगी जतायी है।
बादल ने गठबंधन से बाहर आने की घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने किसानों के मुद्दों पर बिल लाने से पहले सहयोगियों के साथ बातचीत नहीं की। इसके अलावा उन्होंने बिलों को किसान विरोधी बताया। उन्होंने कहा कि बिल किसानों के लिए घातक हैं। ये पहले से संकट में घिरे किसानों के लिए विनाशकारी हैं।
उन्होंने कहा अकाली दल भाजपा का सबसे पुराना सहयोगी है लेकिन भाजपा ने किसानों की भावनाओं का ध्यान नहीं रखा और न ही हमारी बात सुनी।
केन्द्र सरकार में अकाली दल के कोटे से मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने पहले ही मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था। उन्होंने उसी दिन त्यागपत्र दिया था जिसदिन बिल लोकसभा में प्रस्तुत हुए थे। हालांकि वे किसान के मुद्दों पर 5 जून को लाये गए तीन अध्यादेशों के समय मौन बनी रही थीं और उस कैबिनेट
बैठक में शामिल थीं जिसमें तीनों बिलों पर अध्यादेश स्वीकृत किये गए थे।
अकाली दल के साथ भाजपा का पांच दशक पुराना गठबंधन था। यह उस समय से था जब गठबंधन की राजनीति का दौर शुरु ही हुआ था। भाजपा की पूर्ववर्ती पार्टी जनसंघ के बीच गठबंधन हुआ था। पंजाब की राजनीति में दोनों हमेशा एक साथ खड़े रहे हैं। हालांकि एक समय ऐसा भी था जब प्रकाश सिंह बादल को कांग्रेस सरकार
ने गिरफ्तार किया था और उन पर अलगाववाद की राजनीति करने का आरोप लगाया था किन्तु भाजपा ने तब भी अकाली दल का साथ नहीं छोड़ा था।
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