नई दिल्ली , 13 सितंबर 2020 ( उ.प्र.समाचार सेवा)।
कोरोना संक्रमण ने रविवार को एक ऐसे नेता को देश से छीन लिया, जो गांवों की अर्थव्यवस्था को बदल देने वाली योजना का शिल्पी था। इस नेता ने ग्रामीण मजदूरों को सुनिश्चित रोजगार देने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून ( मनरेगा) को लागू किया था। ये थे बिहार के समाजवादी नेता
रघुवंश प्रसाद सिंह, जिनका आज एम्स दिल्ली में निधन हो गया। वे कई दिनों से यहां कोरोना संक्रमण के चलते भर्ती थे। उन्हे पटना एम्स से यहां लाया गया था। केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री, राजद के लोकसभा में नेता रहे रघुवंश प्रसाद सिंह ने 74 वर्ष की आयु में अंतिम सांस ली।
उनके निधन पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, बिहार, उत्रर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने शोक व्यक्त किया है।
श्री सिंह को दो महीने पहले कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी। इसके बाद उन्हें पटना एम्स में भर्ती कराया गया लेकिन, वहां तबियत बिगडने पर यहां लाकर एम्स में भर्ती किया गया। उनके फेफडों में संक्रमण के चलते सांस लेने में दिक्कत थी। इस कारण उन्हें कई दिनों से बेंटिलेटर पर रखा गया था। आज
अपरान्ह उनका निधन हो गया। श्री सिंह उच्च शिक्षा ग्रहण करके राजनीति में आये थे। वे विज्ञान स्नातक थे. उन्होंने गणित में एम.एससी किया था। वर्ष 1977 के जेपी आन्दोलन से राजनीति में आये थे। वे कई बार बिहार विधान सभा के सदस्य, विधान परिषद के सदस्य तथा विहार सरकार में मंत्री रहे। इसके
बाद उन्होंने लोकसभा चुनाव ल़ड़ा। वे वैशाली लोकसभा क्षेत्र से पांच बार सांसद रहे तथा एचडी देवगौड़ा तथा डा. मनमोहन सिंह की सरकार मे राजद कोटे से केन्द्रीय मंत्री बने। हालांकि निधन से तीन दिन पहले ही उन्होंने राजद से त्यागपत्र दे दिया था।
उनके निधन पर लालू प्रसाद यादव ने मार्मिक ट्वीट किया तथा उन्हें श्रद्दांजलि अर्पित की। कहा रघुवंश बाबू कहां चले गए, मैनें कहा था आपको कहीं नहीं जाना है। निशब्द हूं। ये उद्गार व्यक्त किये लालू प्रसाद यादव ने।
रघुवंश प्रसाद सिंह को देश में मनरेगा को लागू करने के लिए याद किया जाएगा। संयुक्त प्रगतिशील सरकार ने जब मनरेगा को कानून बनाकर लागू करने का फैसला किया तो रघुवंश बाबू केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री थे। उन्होंने कानून बनवाया तथा इसे लागू कराया। यह कानून 2 फरवरी 2006को लागू कियि गया। पहले
दो सौ जिलों में सौ दिन का रोजगार देने का निर्ण हुआ। बाद में इसे पूरे देश में लागू कर दिया गया। इस योजना ने गांवों से मजदूरों का शहरों की ओर पलायन रोक दिया तथा काफी हद तक गरीबी को कम करने तथा भुखमरी पर नियंत्रण का प्रयास हुआ। योजना को संप्रग की दूसरी सरकार बनाने का श्रेय दिया जाता है।
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