बिजनौर: किसानों के इंतजार में सूने पड़े हैं गेहूं खरीद केन्द्र
बिजनौर, 13 मई 2020
( U.P.Samachar Sewa) >
किसानों
के इंतजार में जनपद के अधिकांश गेहूं क्रय केंद्र सूने पड़े हुए हैं जिसका मुख्य कारण किसानों का खेती के दूसरे कार्यों में व्यस्त होना,गेहूं खराब होना और उत्पादन में गिरावट होना माना जा रहा है।
प्राप्त विवरण के अनुसार इस वर्ष मौसम के कई बार करवट बदलने से जहां फसलों को नुकसान हुआ है और हाल ही में आंधी और बेमौसम बारिश ने गेहूं की फसल को बर्बाद किया है, जिसका प्रभाव गेहूं की फसल पर सीधे तौर पर हुआ है। बार-बार बारिश के कारण गेहूं की बुआई इस वर्ष बहुत कम हुई थी। ऊपर से लगातार कई बार बारिश
के कारण किसान अपना गन्ना खेतों से समय से नहीं काट सके और गेहूं की फसल की बुवाई भी समय से नहीं कर पाए। जिसके कारण गेहूं की फसल खराब हुई और उत्पादन भी कम हुआ। जनपद बिजनौर में गेहूं खरीदारी के लिए मंडी समितियों के 43 खरीद केंद्र खुले हैं जिन पर 3 सप्ताह बीतने के बावजूद भी लक्ष्य के सापेक्ष खरीदारी
अभी भी बहुत कम हुई है। जनपद के सभी गेहूं खरीद क्रय केंद्रों पर गेहूं खरीद लक्ष्य की पूर्ति करना तो बहुत दूर लक्ष्य के सापेक्ष गेहूं की खरीदारी नहीं हुई है। जिसका मुख्य कारण मंडी समितियों के गेहूं क्रय केंद्रों पर किसानों द्वारा खेती के अन्य कामों जैसे गेहूं की गहाई, गहाई के बाद भूसे का पशुओं के
चारे के लिए भंडारण करना, पछेती गन्ने की बुवाई करना तथा गन्ने की निराई गुड़ाई आदि कार्यों में व्यस्त होने के कारण गेहूं क्रय केंद्रों पर गेहूं ना ले जाना भी माना जा रहा है। साथ ही गेहूं का सरकारी रेट और बाजार मूल्य में अधिक अंतर नहीं होना भी माना जा रहा है। जिसके कारण जिला खाद्य विपणन अधिकारी भी
असमंजस की स्थिति में है और इसके पीछे नवंबर और दिसंबर महीने में लगातार बारिश के साथ गेहूं कटाई के समय हुई बारिश भी एक मुख्य कारण माना जा रहा है। जनपद के अधिकांश किसान या तो मौसम खराब के चलते गेहूं बुवाई में पीछे रह गए थे या फिर कटाई के दौरान उनकी फसल भीगने के कारण काफी हद तक खराब और नष्ट हो गई थी।
कुल मिलाकर जनपद के किसानों सहित पश्चिमी उत्तर प्रदेश का किसान मौसम की मार एवं प्रदेश और केंद्र सरकार के सहयोग ना मिलने के आगे बेबस हो गया है। भारतीय गौ रक्षा वाहिनी के जिला अध्यक्ष विकुल मलिक ने बताया कि जनपद के किसानों की गेहूं की फसल इस बार बरसात ज्यादा होने के कारण या तो खराब हो गई है अथवा
उत्पादन कम हुआ है। जिसके चलते निकट भविष्य में पशुओं के चारे की भी समस्या किसानों के सामने हो सकती है। श्री विकुल मलिक ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा जनपद मे खोले गए कान्हा पशु आश्रय स्थलों मे पल रहे गोवंश की रक्षा एवं उनके चारे के लिए किसानों से अपनी सामर्थ्य के अनुसार गेहूं के भूसे को दान करने
की उनके द्वारा बार-बार अपील एवं तमाम प्रयासों के बावजूद भी किसान भूसा दान देने से बच रहे हैं। कई किसानों का इस संबंध में कहना है कि मौसम की मार के कारण गेहूं की फसल एवं उसका भूसा बर्बाद हो गया है, जिसके चलते किसानों के निजी पशुओं के चारे के लिए भी पर्याप्त भूसा इस वर्ष नहीं है। |