बिजनौर, 11 मई 2020> (उत्तर प्रदेश समाचार सेवा)।
जिलाधिकारी के तमाम आदेशों के बावजूद जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा प्रेक्टिस बेरोकटोक धड़ल्ले से, स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में उसकी मिलीभगत से करने की सूचना लगातार मिल रही है। जिसके चलते आशंका व्यक्त की जा रही है कि कहीं कोरोना महामारी इन अपंजीकृत चिकित्सकों
की करतूतों का कारण ना बन जाए और जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों को अपनी गिरफ्त में ना ले ले। झोलाछाप चिकित्सकों की करतूतों के कारण कोरोना महामारी से गांवो को बचाए रखना जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।
प्राप्त विवरण के अनुसार जनपद में पिछले दिनों 17 हॉटस्पॉट एरिया घोषित करने के बाद सील चल रहे थे, पुलिस के जवान, स्वास्थ्य कर्मी, सफाई कर्मी आदि बड़ी मुस्तैदी से अपने कार्यों को शासनादेश के अनुरूप बड़ी जिम्मेदारी से अंजाम दे रहे हैं। लेकिन अनाधिकृत रूप से चांदपुर नगर में प्रैक्टिस करने वाले चिकित्सक के खुद
संक्रमित होने एवं अन्य लोगों को संक्रमित करने के बाद जिला प्रशासन द्वारा जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में अनाधिकृत रूप से चिकित्सकीय कार्यों में लगे झोलाछाप डॉक्टरों की कुंडली खंगालने के सख्त निर्देश जनपद के स्वास्थ्य विभाग को दिए गए थे, इन झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा कोरोना के प्रसार में बड़ी भूमिका नजर आ रही है।
लेकिन जनपद का स्वास्थ्य विभाग शासन प्रशासन के तमाम आदेशों की अवहेलना करते हुए, प्रशासन की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास करते हुए इन अनाधिकृत चिकित्सकों को बचाने में लगा हुआ है, तथा गैर पंजीकृत चिकित्सकों के विरुद्ध चलाए जा रहे अभियान में सेंधमारी करते हुए अनाधिकृत चिकित्सकों को अपने क्लीनिक बंद कर चोरी छिपे मरीज देखने की छूट
दे रहा है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में फैले झोलाछाप डॉक्टरों पर शासन प्रशासन के सख्त आदेशों के बावजूद कार्रवाई करने से बच रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में चांदपुर नगर जैसे हालातों को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग को भी शासन प्रशासन के आदेशों का पालन करना होगा और जनपद में स्वास्थ्य विभाग के
संरक्षण में फल फूल रहे अवैध रूप से चिकित्सकीय कार्यों में लगे अपंजीकृत चिकित्सकों पर कार्रवाई करनी ही होगी। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में कई हजार की तादाद में अपंजीकृत झोलाछाप डॉक्टरों के द्वारा शासन प्रशासन एवं भारत सरकार की तमाम गाइडलाइन को नजरअंदाज करते हुए धड़ल्ले से बेरोक टोक मरीजों का इलाज किया
जा रहा है, और यह सब गोरखधंधा जनपद के स्वास्थ्य विभाग की मिलीभगत के चलते हो रहा है, जो जिला प्रशासन के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है।