लखनऊ
,10 जुलाई 2020 (उप्रससे)।
दुर्दांत विकास दुबे को उत्तर प्रदेश पुलिस और एसटीएफ ने मुठभेड़ के बाद
गया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानपुर ने विकास दुबे के मुठभेड़ मे मारे जाने की पुष्टि कर दी है। वह पुलिस से हथियार छीनकर भागने की कोशिश कर रहा था। विकास को पुलिस उज्जैन से कानपुर लेकर आ रही थी।
जानकारी के अनुसार पुलिस विकास दुबे को गाड़ियों के काफिले के साथ उज्जैन से बीती शाम चली थी। आज सुबह करीब पौने आठ बजे जब गाड़ी कानपुर बार्डर पर पहुंची तो रास्ते में बारिश के चलते एक गाड़ी पलट गई । इसी में विकास दुबे भी सवार था। गाड़ी पलटते ही विकास ने भागने
की कोशिश की। इस दौरान उसने एक पुलिसकर्मी का हथियार भी छीन लिया। लेकिन, तत्काल भी पुलिस के अन्य जवानों ने विकास
पर फायरिंग कर दी। गंभीर रूप से घायल विकास को चिकित्सालय लाया गया जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कानपुर नगर दिनेश कुमार पी ने मुठभेड़ की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि गाड़ी पुलटी थी। किसी तरह बाहर
निकल कर विकास ने घायल पुलिसकर्मियों की पिस्टल छीन ली और भागने की कोशिश की। इसी बीच एसटीएफ ने मोर्चा लिया। गोली लगने से विकास घायल हुआ। चिकित्सालय पहंचने पर उसकी मृत्यु हो गई। एसएसपी के अनुसार चार पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।
गुरुवार को उज्जैन में हुआ था गिरफ्तार
विकास दुबे गुरुवार को उज्जैन में महाकाल के दर्शन करने के बाद नाटकीय घटनाक्रम में गिरफ्तार हुआ था। हालांकि चर्चा थी कि उसने सरेंडर किया है किन्तु उज्जैन पुलिस ने कहा कि उसे गिरफ्तार किया गया था। शाम को उसे यूपी एसटीएफ को सौंप दिया गया था। एसटीएफ ने उसे उसे
मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। इसके बाद सड़क मार्ग से पुलिस और एसटीएफ विकास को लेकर कानपुर आ आयी। सुबह कानपुर से पहले एक गाड़ी पलट गई। इसी मे विकास सवार था। यह टाटा सफारी कार थी। बताया जाता है कि पुलिस और एसटीएफ के काफिले के पीछे कुछ मीडिया वालों की गाडियां भी लगी थीं। किन्तु उन्हें टोल
प्लाजा पर रोक दिया गया था।
तीन जुलाई को मार दिये थे सीओ समेत आठ पुलिस वाले
विकास दुबे ने तीन जुलाई को अपने गांव बिकरु में पुलिस के साथ मुठभेड़ में सीओ समेत आठ पुलिसकर्मियों को मार दिया था। उसने मुठभेड़ की भनक लगते ही अपने पूरे गैंग को बिकरू में बुला लिया था। सभी को आसपास के घरों की छतों पर तैनात कर दिया था। अपने घर के रास्ते पर
जेसीबी खड़ी करा दी थी। जैसे ही पुलिस आयी जेसीबी देखकर गाडियों से उतरी ताबड़तोड़ फायरिंग करके पुलिस पर हमला कर दिया था।
इस हमले में सीओ बिल्हौर देवेन्द्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। विकास गैंग ने सीओ को बड़ी ही निर्ममता से मारा था। उनकी एक टांग कुल्हाड़ी से काट दी थी। सिर को छत बिक्षत कर दिया था। दीवार से सटाकर उन्हें निकट से गोलियां मारी गई थीं। इसी तरह अनय
पुलिसकर्मियों को भी मार गया था। घटना के बाद पुलिस के हथियार लूट कर विकास और उसका पूरा गैंग फरार हो गया था। तभी से पुलिस उसका पीछा कर रही थी। किन्तु वह चकमा देकर उज्जैन पहुच गया।
ग्राम प्रधान और जिला पंचायत सदस्य रहा विकास
विकास दुबे को राजनीति का भी शौक था। अपराध की दुनिया मे दबदबा बनाने के बाद उसने राजनीति शुरु की थी। वह 14 साल तक बिकरू गांव का प्रधान तथा क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य रहा। उसका नाता बहुजन समाज पार्टी था। जबकि उसने अपनी पत्नी रिचा दुबे को समाजवादी पार्टी के
टिकट पर जिला पचायत सदस्य चुनवाया था। उसका पूरे कानपुर इलाके में दबदबा था आसपास के तमाम मसलों को वह अपने गऱ पर पंचायत लगाकर निपटाता था। कई थानों में उसके लोग थे। थानेदारों को वह सीधे आदेश देता था।
करोड़ों की समप्ति अर्जित की
विकास दुबे ने राजनीतिक दबदबा और अपराध में नाम कमाने के बाद जमीनों का धंधा शुरु कर दिया ता। उसके कहने पर ही जमीनों की खरीद बिक्री होती थी। वह विवादित जमीन खरीदता था। इस धंदे से उसने कोरोड़ों की सम्पत्ति अर्जित की थी। इसी के चलते उसके गांव मे महलनुमा मकान
बनाया। इसके साथ ही शिबली, कानपुर नगर और लखनऊ में भी उसने कई मकान बनाये थे।
राज्यमंत्री की थाने में हत्या कर आया चर्चा में
राजनीतिक प्रतिद्वन्दिता में उसने वर्ष 2001 में शिबली थाने में घुसकर तत्कालीन दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री संतोष शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस मामले में वह बरी हो गया था। क्योंकि किसी भी पुलिसकर्मी ने उसके खिलाफ गवाही नही दी थी। इसके अलावा उसने एक
कालेज प्रधानार्चा की हत्या भी की थी। अपने सगे रिश्तेदार को मरवाया तथा गांव के दलित की भी हत्या की थी। प्रधानाचार्य की हत्या मामले मे उसे सजा हुई थी। इसमें वह इलाहाबाद हाईकार्टे से जमानत पर था। |