Lucknow
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लखनऊ।
केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा है कि यदि
' मैं गंगा को निर्मल और अवरिल नहीं कर सकीं तो अपने
प्राण त्याग दूंगीं"। सुश्री भारती बुधबार को यहां भाजपा
के प्रदेश में मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत कर रही
थीं।
चार हजार खर्च के बाद भी गंगा
मैली है
उन्होंने कहा कि
नमामि गंगे अभियान में अनेक कठिनाइयां आ रही हैं। सबसे
बड़ी कठिनाई तो यह है कि इस अभियान को नौकरशाह और मीडिया
को समझाना। इसके बाद इस अभियान को चलाने में कई तरह की
कठिनाइयां किन्तु हम अक्टूबर 2018 तक अभियान को सफल
करेंगे। नमामि गंगे अभियान के सम्बन्ध में पूछे गए
प्रश्न पर सुश्री भारती ने कहा कि 29 साल से गंगा की
सफाई का प्लान चल रहा है। इस पर अभी तक 4000 करोड़ रुपये
खर्च हो चुके हैं किन्तु गंगा अभी तक मैली ही है।
उन्होंने बताया कि गंगा सफाई अभियान में सफलता नहीं मिलने
पर प्रधानमंत्री ने पूछा तो हमने इसकी जानकारी की कि
आखिर यह अभियान सफल क्यों नहीं हो रहा है तो इसके तीन
कारण सामने आये। इसमें पहला कारण था,ट्रीटेट वाटर के साथ
अनट्रीटेट वाटर को भी छोड़ा जाना। दूसरा मानीटरिंग का
अभाव और तीसरा मैचिंग ग्राट की व्यवस्था। प्रधानमंत्री
को जब ये तीनों बातें बतायी गईं तो उन्होंने इनका समाधान
कर दिया। उन्होने कहा कि अब ट्रीटेट या अनट्रीटेट वाटर
गंगा में नहीं छोड़ा जाएगा। ट्रीटेट वाटर का भी उपयोग
अन्य कार्यों जैसे कृषि आदि के लिए किया जाएगा। और अन
ट्रीटेट वाटर किसी भी हालत में नहीं जाएगा। इसके साथ ही
गंगा सफाई अभियान को सेन्टर सेक्टर में ले लिया गया है।
नमामि गंगे से जुड़े इन प्रावधानों को 15 मई 2015 को
कैबिनेट ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।
यूपी के अधिकारियों ने एनओसी
देने पर रोक लगायी
जल संसाधन मंत्री
भारती ने कहा कि इस अभियान में राज्यों के डीपीआर में कई
तरह की कमियां रहीं। इस कारण इन पर काम शुरु नहीं हो सका।
राज्यों के डीपीआर डिफेक्टेट थे। सुश्री भारती ने बताया
कि उत्तर प्रदेश सरकार ने नमामि गंगे अभियान में बाधा
उत्पन्न की। यहां के एक अधिकारी ने प्रदेश के
जिलाधिकारियों को परिपत्र भेजा जिसमें कहा गया था कि
नमामि गंगे अभियान में किसी भी तरह की एनओसी जारी नहीं
की जाए। इससे काम में बहुत बड़ी बाधा हुई। उन्होंने बताया
कि बड़ी मुश्किल से जुलाई 2016 में उत्तर प्रदेश से एनओसी
मिल सकी है। इसके बाद काम शुरु हुआ है। उन्होंने बताया
कि 13000 करोड़ से एसटीपी और 8000 करोड़ से अन्य कार्य
चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि अक्टूबर 2018 तक रिजल्ट
सामने आ जाएंगे।
गोमती रिवर
फ्रंट में धांधली की जांच कराएंगे
सुश्री उमा भारती
ने कहा कि लखनऊ मे बनाए गए गोमती रिवर फ्रंट की सरकार
बनने पर जांच कराएंगे। उन्होंने कहा कि गोमती रिवर फ्रंट
का निर्माण सिर्फ भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए
किया गया है। इसका उद्देश्य गोमती किनारे की जमीन कब्जाने
का है। इसके किनारे बने फ्रंट पर दुकानें तथा जमीनों पर
माफियाओं की नजर है। उन्हीं के लिए इसका निर्माण किया गया
है। उन्होंने कहा कि किसी भी नदीं के फ्लड प्लेन को बाधना
गलत है। इसे मुक्त रखा जाना चाहिए। फ्लड प्लेन को बांधने
से तमाम तरह की समस्याएं आती हैं। ये जनहानि तथा सम्पत्ति
के लिए भी हानिकारक है। उन्होंने बताया कि इस सरकार ने
वाराणसी में कछुआ पार्क के निर्माण के लिए इसी तरह की
जमीन कब्जाने की कोशिश की थी। इसे रुकवाया गया है। जबकि
गढ़मुक्तेश्वर में भी इन्होंने रिवर फ्रंट बनाने की
कोशिश की। उन्होंने कहा कि हमारी स्पष्ट नीति है कि किसी
भी नदी के फ्लड प्लेन को बांधा नहीं जाएगा। केवल उन्हीं
स्थानो घाट बनेंगे जहां पहले बने हुए हैं तथा जहां पहले
फ्लड प्लेन को बांधा गया है। क्योंकि पहले के लोगों ने
बहुत सोच समझकर घाट बनबाये थे। उन्होंने यह देखा था कि
कहीं बाढ़ आदि का क्षेत्र तो नहीं है।
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