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रानियों के द्वन्द में अमेठी के राजा की प्रतिष्ठा दांव पर
Tag: Amethi Raja Sanjay Singh, Rani Garima Singh, Rani Amita Singh
Publised on : Last Updated on: 13 February  2017, Time 13:16

Rani Garima Singh - Rani Amita Singhअमेठी (Amrthi UP)। यह शायद अमेठी के इतिहास में पहला मौका है जब विधानसभा के चुनाव में पार्टी की जगह परिवार की लड़ाई रोंमांचक मुकाबले में पहुंच गई है आज यहा पार्टियों के मुकाबले परिवार के ही चर्चे हो रहे हैं अमेठी विधानसभा पर दो रानी आमने सामने हैं इन दोनों के बीच में फसे राजा हैं राज्यसभा सदस्य डा0 संजय सिंह जिन्हे काग्रेस नें यू0पी0 कैम्पेन का चेयरमैन बनाया है राजपरिवार की इस लड़ाई में हार भी राजा की होगी जीत भी राजा की होगी। उनकी ही दोना पत्नियां राजनीति के अखाड़े में आमने सामने हैं नामांकन पत्र में दोनो रानियों ने पति के रुप में डा0 संजय सिह का नाम लिखा है। 1200 साल पुराने अमेठी राजघराने में कुछ समय पहले छिड़ी विरासत की जंग आज सियासी रंग ले चुकी है। राज घराने के डा0 संजय सिंह की पहली पत्नी रानी गरिमा सिंह पहली बार भाजपा से प्रत्याशी हैं वहीं दूसरी पत्नी रानी डा0 अमिता सिंह कांग्रेस से प्रत्याशी हैं दोनो रानियां भले ही दो प्रमुख राजनीतिक दलों से चुनाव लड़ रही हैं लेकिन यहां तो असली लड़ाई परिवार की नजर आ रही है। अमिता सिंह के चुनाव प्रचार की कमान स्वयं पूर्व केन्दीय मन्त्री डा0 संजय सिंह ने सम्भाल रखी है। गुरुवार को जब अमिता सिंह नामांकन करने पहुची तो उनके साथ डा0 संजय सिंह व उनकी बेटी आंकंक्षा सिंह भी मौजूद रहीं दूसरी तरफ पूर्व प्रधानमन्त्री वी0पी0 सिंह के परिवार से ताल्ल्ुक रखने वाली गरिमा सिंह के चुनाव प्रचार की कमान उनके बेटे अनन्त विक्रम सिंह बहू शाम्भवी सिंह बेटियां महिमा सिंह व शैव्या सिंह ने सम्भाल रखी है ऐसे पहलीबार ही हो रहा है कि जब चुनाव में राज घराने के परिवार दो क्षेमों में बंटे हैं। राजनीति के कुशल खिलाड़ी डा0 संजय सिंह हालांकि किसी दुविधा में नहीं है। वह साफ कहते हैकि गरिमा सिंह अब हमारे परिवार की सदस्य नहीं हैं औश्र वे पूरी प्रतिष्ठा अमिता सिंह के लिये लगाये हुए हैं। अमिता सिंह भी राजनीति के लिये नई नहीं हैं वे सुलतानपुर से जिलापंचायत अध्यक्ष अमेठी से विधायक व सूबे मे मन्त्री रह चुकी है राजनीति में आने से पहले वे बैडमिन्टन की अन्तराष्ट्री खिलाड़ी रही हैं इसलिये राजनीति के सारे दांव पेच से पहले से ही वाकिफ हैं दूसरी तरफ गरिमा सिंह पहली बार राजनीतिक अखाड़े में उतरी हैं जिनके साथ लगे बेटे बेटियां बहू सभी अनभिज्ञ जरुर हैं लेकिन राजनीति तो उनके खून में शामिल हैं और उन्हे जनता की सहानुभूति पर पूरा भरोसा है गौर तलब है कि लगभग 20 वर्ष पूर्व डा0 संजय सिंह ने गरिमा सिंह को तलाक दे दिया था और अमिता सिंह से दूसरी शादी कर ली थी तभी से दोनो रानियों के बीच अदावत चल रही है। बीते साल अमेठी रियासत में बिरासत को लेकर अदावत की चिन्गारी दस कदर भड़की जो आज इस मोड़ पर आ पहुंची है कोई झुकने को तैयार नहीं है दोनो तरफ से अमेठी की जनता का खुद के साथ होने का दावा किया जा रहा है। जनता के दिलों को जीतने की पुरजोर कोशिश भी हो रही है। यह तो समय ही बतायेगा कि दोनो रानियों की इस जंग में अमेठी की जनता राजा का साथ देती है या पूर्व रानी की तरफ अपना झुकाव जाहिर करती है। लेकिन एक बात यह तय है कि यह चुनाव ही तय करेगा कि भविष्य में अमेठी राजघराने की राजनीतिक विरासत को कौन सम्भालेगा।े
बाक्स- कभी सुलतानपुर जिला का हिस्सा रही अमेठी किसी परिचय की मोहताज नहीं है आज देश की परिधि के बाहर भी अमेठी का नाम है इसके पीछे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से अमेठी राजघराने का ही हाथ है गांधी परिवार को अमेठी लाने का श्रेय राजपरिवार को ही जाता है। राजीव गांधी सोनिया गांधी यहा से सांसद रहे है आज राहुल गांधी यहा से सांसद है। गांंधी परिवार व अमेठी राज घराने के राजनीतिक रिश्ते की शुरुआत जरुर हुई लेकिन आज यह राजनीति के लम्बे सफर तमाम उतार चढ़ाव होते हुए आज पारिवारिक रिश्तों में बदल चुका है। शासद ही कभी ऐसा मौका रहा हो जब गांधी परिवार के प्रत्येक सदस्य ने अपने भाषण में पारिवारिक रिश्ते की दुहाई न दी हो गांधी परिवार की नई व पुरानी पीढ़ी के लोग समय समय पर पारिवारिक रिश्ते की इस डोर को मजबूती देते रहे राजनीति में आने से पहले राहुल गांधी नें राजनीति का ककहरा इसी अमेठी से सीखा था प्रियंका गांधी राजनीति में सक्रिय भले न हो लेकिन अमेठी में उनकी सक्रियता हमेशा बरकरार रही है अभी कुछ दिन पहले प्रिंयका का बेटा अमेठी घूमने भी आया था जिसको लेकर सियासी गलियारों में खूब चर्चाओं रही। बूथ स्तर तक के कार्यकर्ताओं की 10 जनपथ तक आमद रहती है इन सबके बीच कांग्रेस के इस गढ़ को भेदने की फिराक में भाजपा ने एक नई चाल चली है भाजपा से इस सीट के लिये टिकट गरिमा सिंह के बेटे अनन्त विक्रम सिंह नें मांगा जरुर था लेकिन लड़ाई को रोमांचक मोड़ देने के लिये भाजपा ने उनकी जगह गरिमा सिंह को टिकट दिया है। वहीं सपा से पहली बार इस सीट से विधायक हुए सूबे के बहुचर्चित मन्त्री गायत्री प्रसाद प्रजापति भी ताल ठोक रहे हैं पूरे प्रदेश में काग्रेस सपा का यह गठबन्धन यहां दरकता दिख रहा है। प्रदेश के अन्य सीटों पर एक दूसरे का समर्थन कर रही सपाई व काग्रेसी यहां फ्रेण्डली फाइट कर रहे हैं जिसका लाभ भी भाजपा प्रत्याशी गरिमा सिंह को मिल सकता है।

दूसरे चरण से पहले क्यों बदली भाजपा ने अपनी रणनीति  
खूब फेल हुए हैं यूपी में चुनावी गठबन्धन हार चुके हैं दिग्गज नए प्रत्याशियों से
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News source: UP Samachar Sewa

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