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एएमयू में दीखती है मिनी इण्डिया की झलकः नरेन्द्र मोदी |
एएमयू की शिक्षा भारत की मूल्यवान विरासत है- प्रधानमंत्री |
Tags: U.P Samachar Sewa |
Publised on : 2020:12:22 Time 21:12 Last
Update on : 2020:12:22 Time 21:12 |
अलीगढ़ ,
22 दिसंबर 2020 ( उ.प्र.समाचार सेवा)
। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक मिनी इंडिया का प्रतिनिधित्व करता है, इसका परिसर अपने आप में एक शहर जैसा है। हम विभिन्न विभागों, दर्जनों छात्रावासों, हजारों शिक्षकों और प्रोफेसरों के बीच एक मिनी इंडिया को देखते हैं। विविधता जो हम यहां देखते हैं यह न केवल इस विश्वविद्यालय की
बल्कि पूरे देश की ताकत है। उक्त बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह में वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने सम्बोधन में कहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियोकांफ्रेंसिंग के माध्यम से विश्वविद्यालय में शताब्दी समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि 1920 में स्थापित एएमयू ने उच्च शिक्षा के केंद्र के रूप में 100 साल पूरे कर लिए हैं। प्रधान मंत्री ने आयोजन में एक विशेष स्मारक डाक टिकट
भी जारी किया, जिसमें अतिथि के रूप में केंद्रीय शिक्षा मंत्री, रमेश पोखरियाल निशंक भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में एएमयू के राष्ट्र-निर्माण में योगदान दिया। विश्वविद्यालय में किए गए व्यापक शोधों के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का स्थान ऊंचा किया। उन्होंने कहा कि
एएमयू में यदि छात्र उर्दू में शिक्षा प्राप्त करते हैं तो क्या वे हिंदी में पढ़ सकते हैं और यदि एक तरफ विश्वविद्यालय में अरबी का अध्ययन करते हैं, तो वे संस्कृत में भी अध्ययन और शोध करते हैं। यह विश्वविद्यालय के मौलाना आजाद लाइब्रेरी में हिंदू, मुस्लिम और अन्य धर्मों के धार्मिक ग्रंथों
को एक साथ देखने के लिए प्रेरित है। यह भारत के बारे में सब कुछ है और एएमयू हर दिन इस सिद्धांत पर काम करता है। एएमयू में, उर्दू, अरबी और फारसी भाषा में किया गया शोध सराहनीय है। विशेष रूप से इस्लामी इतिहास में किए गए शोध, इस्लामी दुनिया में भारत की स्थिति को बढ़ाते हैं और उनके साथ भारत
के संबंध को नई ऊर्जा देते हैं। उन्होंने विस्तार से बताया कि सर सैयद अहमद खान ने कहा था कि जब आप शिक्षा प्राप्त करते हैं और कार्य क्षेत्र में आते हैं तो आपको बिना किसी भेदभाव, जाति, पंथ या धर्म को देखे बिना सभी के लिए काम करना चाहिए। यह एक सोच है जो कि हमें हमेशा अपने साथ रखनी चाहिए।
इसके साथ ही हमें विविधता की इस शक्ति को नहीं भूलना चाहिए। न ही इसे कमजोर होने देना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की भावना अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के परिसर में दिन-प्रतिदिन बढ़े। एएमयू ने लाखों लोगों का भविष्य तैयार किया है। लोगों
को आधुनिक और वैज्ञानिक सोच प्रदान की है। उन्हें समाज और राष्ट्र के लिए कुछ करने के लिए प्रेरित किया है। प्रधान मंत्री मोदी ने कोविद-19 को लेकर कहा कि इस कठिन समय के दौरान जिस तरह से एएमयू ने समाज की मदद की वह अभूतपूर्व है। लोगों का परीक्षण किया, अलगाव वार्ड बनाए और पीएम-फण्ड के लिए
एक बड़ी राशि का योगदान दिया। प्रधान मंत्री ने कहा यह देखना आकर्षक है कि एएमयू भवनों से जुड़ी शिक्षा का इतिहास भारत की मूल्यवान विरासत है। मैं अक्सर अपनी विदेश यात्राओं के दौरान एएमयू के पूर्व छात्रों से मिलता हूं जो बहुत गर्व से कहते हैं कि उन्होंने एएमयू में अध्ययन किया है। उन्होंने
आगे बताया कि देश उस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है जहां हर नागरिक को बिना किसी भेदभाव के देश में हो रहे विकास का लाभ मिलेगा। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि धर्म, जाति और पंथ के बावजूद कोई भी नागरिक सबका साथ, सबका विकास के रास्ते पर नहीं छोड़ा जाएगा, प्रधान मंत्री ने कहा कि सभी को अपने सपनों
को पूरा करने के लिए समान अवसर मिलेंगे।
महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण रहा अमुवि
गैस्ट ऑफ ऑनर केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि एएमयू ने 1920 में विश्वविद्यालय के रूप में अपनी स्थापना के बाद से एक लंबा सफर तय किया है। एएमयू फ्रंटियर गांधी, अब्दुल गफ्फार खान और डा. जाकिर हुसैन की तरह भारत रत्न का निर्माण करने वाले राष्ट्र के सबसे प्रमुख भारतीय
संस्थानों में से एक के रूप में उभरा है। सफलता की कहानी में अपने छात्रों और संकाय सदस्यों के ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान शामिल हैं। शिक्षा मंत्री ने कहा कि एएमयू के वैज्ञानिक पूर्व छात्रों ने राष्ट्र की प्रशंसा की है। उन्होंने बताया कि एएमयू ने 1920 में बेगम सुल्तान जहान को
अपना पहला चांसलर बनाया था और यह एक समय में महिला सशक्तिकरण का एक अनूठा उदाहरण था। रमेश पोखरियाल ने जोर देकर कहा कि भारत एक विश्व गुरु बन रहा है। यह हमारे शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे शिक्षा और विचारों के क्षेत्र में आगे बढ़ें और हमारी बौद्धिक विरासत की समझ को गहरा करें।
एएमयू से निकलने वाली शिक्षा की रोशनी से भारत (न्यू इंडिया) के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
प्रधानमंत्री की जीवन कहानी प्रत्येक भारतीय के लिए एक प्रेरणा
एएमयू के कुलपति प्रोफेसर डा. तारिक मंसूर ने कहा कि आज एक ऐतिहासिक दिन है क्योंकि हमारा विश्वविद्यालय न केवल अपनी स्थापना से 100 शानदार वर्ष पूरे किए हैं। बल्कि यह 56 वर्षों के अंतराल के बाद देश के प्रधानमंत्री विश्वविद्यालय के समारोह में भाग ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज आधिकारिक
आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सीढ़ी के सबसे निचले पायदान पर हैं। उन्हें उत्थान के लिए भारत सरकार और विभिन्न अन्य एजेंसियों के समर्थन की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री की जीवन कहानी प्रत्येक भारतीय के लिए एक प्रेरणा है, क्योंकि यह अनुकरणीय कार्य नैतिकता समर्पण से भरा
है। कठिनता और बाधाओं से पार पाते हुए उन्होंने विश्व स्तर पर भारत की छवि को ऊंचा उठाने और अपनी दूरदृष्टि और दूरदर्शिता के साथ भारत में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। कुलपति ने कहा कि एएमयू जो राष्ट्रीय महत्व की एक संस्था है उसे राष्ट्र की भलाई के लिए अपने ऐतिहासिक, विशेष और संवैधानिक
चरित्र को बनाए रखने के लिए निरंतर समर्थन की आवश्यकता है। इस शताब्दी वर्ष समारोह ऑनलाइन कार्यक्रम में एएमयू के प्रो. वाइस चांसलर प्रो. जहीरुद्दीन और प्रो चांसलर नवाब इब्ने सईद खान ने भी भाग लिया। एएमयू के रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया। डॉ फैजा अब्बासी ने कार्यक्रम का
संचालन किया। |
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