देहरादून, 27 अप्रैल 2020, आज प्रातः
बाबा केदार की पंचमुखी प्रतिमा व
विग्रह को शीतकालीन प्रवास स्थल ऊखीमठ
औंकारेश्वर मंदिर से नियत पूजा अर्चना
के बाद केदारनाथ धाम के लिए विदायी दी
गयी। फूलों से सजी एक गाड़ी में बाबा
केदार की विग्रह मूर्ति को रवाना किया
गया। ताकि अब अगले छह माह केदारनाथ
में भगवान शिव की पूजा अर्चना र्निबाध
रूप से जारी रहे।
कल
शाम डोली की विनिर्विघ्न यात्रा के लिए भैरवनाथ की विशेष पूजा अर्चना ऊखीमठ
मंदिर में आयोजित हुई। केदारनाथ धाम के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने रीति
रिवाजों के अनुरूप धार्मिक अनुष्ठान कराये। केदारनाथ रावल के शिष्य और पंच
केदार के पुजारी अब ऊखीमठ में बसे हुए हैं सो कोरोना के बीच उन के क्वारंटीन की
समस्या नहीं उभरी है। केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग ने क्वारंटीन में रहते हुए
विधि - विधान से बाबा केदारनाथ को पूजा - अर्चना के बाद विदायी दी है।
केदारननाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि में परिवर्तन की अपील सतपाल महाराज ने की
थी। जिसे रावल ने धार्मिक व सनातन परंपरा के विरूद्ध मानकर अस्वीकार कर दिया
था। अब पहली बार राजनेताओं के हैलीकाप्टर कोरोना कहर के चलते केदारनाथ धाम में
नहीं उतर पा रहे हैं।
देवभूमि व देश -विदेश में फैले करोड़ों - करोड़ जनमानस की सनातन आस्था के अनुसार
चार में से तीन धाम गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ में धार्मिक अनुष्ठान
कोरोना जंग के बीच आरंभ हुए हैं। अब कोरोना की जंग में सनातन आस्था और अर्चना
भी योद्धा बन कर खड़े हैं। धर्म प्रचार के लिए केदारनाथ का स्र्वण मुकुट शीतकाल
में रावल को पहनाया जाता है और कपाट खुलने पर केदारनाथ की सांय श्रृंगार पूजा
में स्वर्ण मुकुट का नित्य अलंकरण रहता है।
आज
एक विशेष वाहन को फूलों से सुंदर सजाकर उसमें स्र्वण मुकुट से सुसज्जित पंचमुखी
केदारनाथ विग्रह डोली को सड़क मार्ग से गौरीकुंड के लिए रवाना किया गया। इस बार
पंचमुखी डोली के कहारों के साथ मुख्यपुजारी, देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि,
पुलिसकर्मी व केदारसभा तीर्थ पुरोहित के 14 लोगों को ही मौका मिला है। विगत
वर्षों में पहले दिन गढ़वाल स्काउट के बैंड व गाजे - बाजे के साथ डोली को पैदल
शोभा यात्रा में भक्तजनों के साथ पहले रात्रि पड़ाव में फाटा पहुंचाया जाता रहा
है और आसपास के लोग अपने ईष्ट देव बाबा केदारनाथ को भेंट पूजा अर्पित करते रहे
हैं।
इस
बार केदार बाबा की डोली का पहला रात्रि पड़ाव गौरीकुंड स्थित गौरी मंदिर बना है
और कल सुबह पैदल डोली भीमबलि मंदिर के लिए प्रस्थान करेगी। देवस्थानम बोर्ड ने
अब बीकेटीसी का स्थान ले लिया है और मंदिर समिति के अनेक कर्मचारियों की भूमिका
कोरोना वैश्विक महामारी के चलते अभी स्पष्ट नहीं हैं। कुछ कर्मी तो अभी
देहरादून में लाकडाउन के चलते फंसे बताये जा रहे हैं।
पूजा
अर्चना में कोरोना प्रोटोकोल को निभाते हुए साफ - सफाई, देह दूरी, मास्क और
स्वास्थ्य दिशा निर्देशों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। जबकि रूद्रप्रयाग व
चमोली जनपद ग्रीन जोन में है और जहां कोरोना के मामले अभी तक शून्य हैं।
रूद्रप्रयाग जनपद में कल तक कुल कोरोना टेस्ट 20 हुए हैं, जबकि कल तक प्रदेश
में कुल टेस्ट का आंकड़ा 5194 है। इसी प्रकार चमोली जनपद में अभी तक कुल कोरोना
टेस्ट मात्र 21 हुए हैं। यह इस बात को इंगित करते हैं कि प्रशासनिक सजगता ने यहां
कोरोना पर पूरी तरह से अंकुश लगाया गया है।
केदारनाथ धाम में पंचमुखी विग्रह डोली 28 अप्रैल को पहुंचेगी और बुधवार की
प्रातः 6 बजकर 10 मिनट में भगवान केदारनाथ धाम के कपाट पूजा अर्चना के लिए खुल
जायेंगे। कोरोना लाकडाउन के तहद फिलहाल देवस्थानम बोर्ड, मुख्य पुजारी और
वेदपाठी पूजा व सभी धार्मिक अनुष्ठान के दायित्व निभायेंगे।
आज
धार्मिक परंपरा के अनुरूप गंगोत्री धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया
के अवसर पर खुल गए हैं। कल मुखबा, हर्षिल से गंगा मां की मूर्ति गंगोत्री धाम
के लिए रवाना हुई और रात्रि पड़ाव के लिए भैरवघाटी स्थित मंदिर में ठहरी थी । आज
गंगोत्री कपाट को वैदिक मंत्रों के बीच विधि विधान से पूजा अर्चना के लिए दोपहर
12 बजकर 35 मिनट पर खोला गया। जिस में कोरोना के चलते मुख्य पुजारी, देवस्थानम
बोर्ड और सीमित गंगोत्री मंदिर समिति के लोग शामिल हुए।
यमुनोत्री धाम के लिए खरसाली के शनि मंदिर में शनि देव की पारंपरिक पूजा अर्चना
की गई फिर इस सत्र के लिए यमुनोत्री धाम के कपाट खोलने के लिए शनि देव की
अगुवाई में पारंपरिक यात्रा आरंभ हुई। यमुनोत्री धाम के कपाट मुहूर्त अनुसार आज
दोपहर 12 बजकर 41 मिनट पर खोल दिये गए। यमराज की बहन मां यमुना की पूजा करने से
अकाल मुत्यु का दोष नहीं लगता है। यमुनोत्री धाम के कपाट खोलने के अवसर पर 6
किमी दूर खरसाली में शनि देव की विशेष पूजा का महत्व है। उल्लेखनीय है कि सूर्य
देव की संतान के रूप में यम, यमा, शनि की पूजा परंपरा आदिकाल से हैं।
उत्तराखंड सरकार कोरोना कहर के चलते दुविधा में रही कि चार धाम यात्रा
निर्धारित तिथियों पर हो या फेरबदल किया जाये। रावलों के क्वारंटीन का विषय
धार्मिक मान्यता के आड़े आ रहा था। अधिकांश विद्वानों का मत रहा कि देवभूमि
उत्तराखंड में सनातन परंपरा का निर्वहन करते हुए धार्मिक मान्यताओं में
हस्तक्षेप न हो और सूक्ष्म रूप से सीमित लोगों के बीच पूजा हेतु चार धाम कपाट
खोल दिये जायें। द्वारिका धाम के शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी ने कोरोना
के चलते श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खोलने की तिथि को बदलना अपशगुन और प्रकोप का
निमंत्रण बताया है। सरकार ने गंगोत्री व यमुनोत्री धाम को निर्धारित तिथि अक्षय
तृतीया पर्व पर 26 अप्रैल को खोलने की मंजूरी दे दी लेकिन बद्रीनाथ धाम के
कपाट खोलने की तिथि 30 अप्रैल से 15 मई के लिए स्थगित करने की सहमति बनायी।
केदारनाथ धाम के रावल ने कोरोना महामारी के चलते सूक्ष्म आयोजन कर नियत तिथि पर
कपाट खोलने की परंपरा का निर्वहन किया है। |