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किसी के गले नही उतर रहा क्रूतापूर्ण
जीनत हत्याकांड का खुलासा?
फतेहपुर, 09 सितम्बर। (उप्रससे)। Uttar
Pradesh News सनसनीखेज एवं ूरतापूर्ण
की गयी फरहत उर्फ जीनत की हत्या और फिर
उसके बाद पुलिसिया खुलासे को लेकर रची गयी
कहानी की चर्चा शहरवासियो के दिलो-दिमाग
पर छायी रही। सूत्रो के हवाले और पडोसियो
एवं परिवारीजनो के अनुसार दोपहर लगभग
12.20 बजे जीनत अपनी दवा लेने के लिए घर
से निकली थी और रोजे से थी। जिस तरह
हत्यारे ने रटी-रटायी हत्या की वारदात की
कहानी को बयां कर सभी को सोचने पर मजबूर
कर दिया कि जीनत की हत्या और उसके शव के
टुकडे घर में न कर कहीं और किए गये और
हत्यारा अकेले उसका चचेरा भाई इरफान न
होकर उसमें और कई लोग शामिल है।
पारिवारीजनो के अनुसार दो दर्जन से अधिक
सदस्यो वाले पूरे परिवार में आने जाने वालो
का तांता लगा रहता है। 29 अगस्त से ईद के
मात्र दो दिन शेष थे। गली-मोहल्ले, कूचो
मे हर जगह चहलकदमी हो रही थी, वहीं मस्जिदो
में शबे कद्र की रात जगी जा रही थी। उसके
बाद भी जिस कमरे में हत्या कर टुकडे की
घटना को हत्यारे ने स्वीकारा है उस कमरे
के सामने गली के पार रहने वाले लोग गर्मी
के दिन होने के कारण गली में ही अपनी
चारपाई बिछाकर सोते है। अगर हत्यारा उस
कमरे मे जीनत की हत्या करता और उसके शव को
बेरहमीं से टुकडे-टुकडे करता तो कहीं न कहीं
किसी को खबर अवश्य लगती। वहीं गली में
रात्रि को भोकने वाले कुत्ते भी शव के काटे
जाने की दुर्गंध को कैसे नही भांप पाए।
इतना ही नही शव के टुकडे बोरी में भरकर
साइकिल द्वारा भोर के समय कुत्तो की
मौजूदगी में हत्यारा कैसे ले गया इस
पुलिसिया खुलासे मे सवालिया निशान लगा रहा
है।
हत्यारे द्वारा इकबाल-ए-जुर्म के अनुसार
जीनत की हत्या उसने अपने कमरे में रात्रि
साढे नौ बजे गला दबाकर की थी। तत्पश्चात्
उसके शव के टुकडे-टुकडे कमरे मे ही किए
थे। क्या ऐसा संभव है कि साढे बारह बजे के
लगभग गायब हुई जीनत को परिवारीजनो के अलावा
पास पडोसियो ने बाजार से लौटते एवं हत्यारे
के कमरे मे प्रवेश करते क्यों नही देखा।
जबकि परिवारीजनो के अनुसार जीनत के घर न
लौटने के दो घंटे बाद से ही उसकी खोज शुरू
कर दी थी और जीनत के न मिलने पर परिजनो ने
29 अगस्त की रात्रि को ही कोतवाली में
तहरीर गुमशुदगी की दे दी थी, अब इन हालातों
में हत्यारा घर में ही जीनत की हत्या कैसे
कर सकता है यह भी पुलिसिया खुलासे मे छेद
होने का साफ संकेत देता है। सूत्रो की माने
तो खुलासे की पूरी कहानी में छेद ही छेद
है। सत्यता इस खुलासे से काफी परे है।
हत्या की पूरी वारदात को अंजाम देने में
इरफान का अकेले होना यह किसी के गले नही
उतर रहा है, क्योकि जीनत स्वयं में हत्यारे
से कद-काठी में अधिक थी। शहर में चारो ओर
लोगो का इशारा सत्ता पक्ष की ओर रहा कि
खुलासे को लेकर सारा खेल पुलिस द्वारा किसी
के इशारे पर तो नही किया गया।
दिगामी जहनियत की धनी फरहत उर्फ जीनत बचपन
से ही काफी प्रतिभाशाली थी। पढाई-लिखायी
मे उसकी लगन ने ही उसको शिखर पर पहुंचाया
था। हमेशा अव्वल दर्जा से पास होने वाली
जीनत अपने भाई-बहनो में बडी थी और उनके
लिए आदर्श थी। अभी हाल मे ही उसने बी.एड.
किया था और पूर्व में नूरूलहुदा इंग्लिश
मीडिएम स्कूल में शिक्षिका भी रह चुकी थी
और कुछ ही दिनो में उसका विशिष्ट बीटीसी
मे चयन होने वाला था। जीनत के पिता
कमरूलहुदा, चाचा फकरूलहुदा के अनुसार यदि
हत्यारा इरफान से जीनत के रिश्ते के विषय
में कोई भी चर्चा प्रकाश मे आती तो उस पर
विचार किया जाता। पिता ने बताया कि हत्यारे
द्वारा प्रेम-प्रसंग की बात को कहना सफेद
झूठ एवं मनगढंत कहानी है। वहीं जीनत के
मामा जो जीनत से बेहद मुहब्बत करते थे उनका
भी जीनत को खो देने को लेकर बुरा हाल है
और वह हत्यारे एवं पुलिस द्वारा किए गये
खुलासे को लेकर बेहद क्षुब्ध है। उनका कहना
है कि हत्यारे को बचाने के लिए पुलिस ने
इस कहानी को रचकर अदालत से हत्यारे को बचने
का अवसर प्रदान कर दिया है।
जीनत के घर में पसरा सन्नाटा परिवारीजनो
के झलकते आंसुओं से उनके दु:खो का अंदाजा
लगाया जा सकता है कि उन्होने जीनत को किस
तरह से पाल पोसकर बडा किया और हत्यारे ने
एक ही पल मे सबकुछ खत्म कर अपने रिश्ते को
भी दागदार कर दिया। जीनत के मासूम छोटे
भाई-बहन जिनका रो-रोकर बुरा हाल है, मां,
चाची चाचा सभी सुदबुध खो बैठे है। उनक
जेहन से जीनत की इस दर्दनाक मौत की घटना
कब निकलेगी यह अब किसी को पता नही है।
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