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  दो साल में 13 आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्याएं दुखदः वरुण गांधी
Tags: Varun Gandhi, Pilibhit
Publised on : 2011:09:03       Time 20:04                                   Update on  : 2011:09:03       Time 20:04 

आरटीआइ कार्यकर्ताओं की हत्या दुखद : वरुण

मझोला चीनी मिल कर्मचारियों के समर्थन में उतरे वरुण, कहा-हक दिलाकर रहेंगे

पीलीभीत: भाजपा के राष्ट्रीय सचिव, सांसद वरुण गांधी ने कहा कि दो साल के भीतर इस देश में तेरह आरटीआइ कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। इस मामले को वह जल्द ही लोकसभा में उठाएंगे। मंडी परिषद के गेस्ट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान श्री गांधी ने कहा कि जिन भी आरटीआइ कार्यकर्ताओं की हत्याएं हुईं, वे राष्ट्रीय मुद्दे नहीं बल्कि स्थानीय मुद्दों को उठा रहे थे। माफियाओं ने पुलिस की मदद से उनकी हत्याएं कराई हैं। श्री गांधी ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण देश पिछड़ रहा है। अन्ना हजारे की लड़ाई देश को बचाने की लड़ाई है। भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए श्री गांधी ने कहा कि हर जगह लूटखसोट मची है, जिससे किसान भी बुरी तरह बेहाल है। श्री गांधी ने कहा कि देशभर में हाल ही में आई भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना की आंधी ने यह बता दिया है कि हम सभी को किसी के आगे झुकना नहीं है।
मिल परिसर में एकत्र हुए सैकड़ों किसानों की सभा में वरुण गांधी ने कहा है कि बंद पड़ी मझोला चीनी मिल फिर चालू कराने को वे कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। कहा कि कानूनी लड़ाई में जो भी खर्च आएगा, उसका वह खुद वहन करेंगे और किसानों को उनका हक दिलाकर रहेंगे।
भाजपा सांसद ने कहा कि उन्होंने कभी काश्तकारी नहीं की, लेकिन एक किसान के पसीने की कीमत क्या है, वह इसे बखूबी जानते हैं। भाजपा सांसद ने मझोला चीनी मिल दोबारा शुरू कराने की लड़ाई का ऐलान करते हुए कहा कि यह काम बेहद चुनौती पूर्ण है। इसके बावजूद वह इस लड़ाई को अंत तक लड़ने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वे इस बाबत रणनीति को जल्द ही वह क्षेत्र के कुछ जानकार लोगों को दिल्ली बुलाएंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता गन्ना समिति के पूर्व चेयरमैन डॉ कुलदीप सिंह ने की और संचालन पार्टी नेता संजीव प्रताप सिंह ने किया। भाजपा किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष जगजीत सिंह जग्गू ने चीनी मिल शुरू कराने के लिए वरुण गांधी को ज्ञापन सौंपा।
यहां बता दें वर्ष 2008-09 में यह चीनी मिल 37 दिन और वर्ष 2009-10 में महज सात दिन ही चल सकी। इतना ही नहीं वर्ष 2010-11 में इस चीनी मिल का संचालन पूरी तरह से ठप हो गया।

समाचार स्रोतः उप्रससे
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