नई
दिल्ली, 29 अक्टूबर। (उप्रससे)। यूरोप के 27 सांसदों का
मंगलवार को कश्मीर घाटी का दौरा चर्चाओं में है। इस पर
कई तरह की प्रतिक्रियाएं आयी हैं। दौरे का जहां विपक्ष
ने विरोध किया है, वहीं सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ सांसद
सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी सवाल उठाये हैं। उन्होंने तो
दौरा स्थगित करने तक की मांग कर दी है।
दरअसल इस दौरे के जरिये सरकार विश्व के सामने कश्मीर की
यथार्थ स्तिति को प्रस्तुत करना चाहती है। सरकार यह बताना
चाहती है कि अब काफी कुछ सामान्य हो गया है और आम जनजीवन
मुख्य धारा की लौट रहा है। प्रतिबंध लगभग समाप्त कर दिये
गए हैं। इसके साथ ही आम कश्मीरी धारा 370 हटने से खुश
हैं। विकास योजनाओं ने गति पकड़ी है। साथ ही कश्मीर पर
पाकिस्तान जो भी विश्व जनमत के सामने दुष्प्रचार कर रहा
है, वह तथ्यहीन और भ्रामक है।
यूरोपीय सांसदों का दौरा चर्चा में तब आया जब सत्तारूरढ़
दल के वरिष्ठ सांसद (राज्य सभा सदस्य) डा़ सुब्रहमण्यम
स्वामी ने सवाल उठाये। उन्होने कहा कि यह नीतिगत मामला
है। यूरोपीय सांसद निजी हैसियत में कश्मीर का दौरा करने
जा रहे हैं। यह यूरोपीय का आधिकारिक प्रतिनिधि मण्डल नहीं
है। इसे विदेश मंत्रालय ने निजी हैसियत से आयोजित किया
है। जोकि
भारत की नीति के खिलाफ है। उन्होंने सरकार से यहां तक
मांग कर दी है कि दौरे को रद्द किया जाए। उन्होंने अपने
ट्वीट में कहा- “I
am surprised that the MEA has arranged for European
Union MPs, in their private capacity [Not EU's
official delegation],to visit Kashmir area of J&K.
This is a perversion of our national policy. I urge
the Government cancel this visit because it is
immoral.” उधर
कांग्रेस ने इसे गलत बताया है। कांग्रेस के पूर्व
राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि
कुछ न कुछ तो गलत हो रहा है। उन्होंने कहा कि अपनी संसद
के सदस्यों को कश्मीर जाने पर रोका जा रहा है और विदेशी
सांसदों को दौरा कराया जा रहा है।