नई
दिल्ली, 23 अक्टूबर। (उ.प्र.समाचार सेवा)। उत्तराखण्ड के
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के स्टिंग प्रकरण में
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो CBI ने एफआईआर दर्ज कर ली है।
सीबीआई ने अपनी जांच में इस मामले को भ्रष्टाचार के लिए
एक षडयन्त्र के रूप में दर्ज किया है। मुख्य बात यह है
कि एफआईआर में साजिशकर्ता के रूप में भाजपा के मंत्री और
तत्कालीन कांग्रेस बगावत करने वाले नेता हरक सिंह
रावत और स्टिंगकर्ता पत्रकार उमेश कुमार शर्मा को भी
अभियुक्त बनाया है। एफआईआर सीबीआई के पुलिस उपाधीक्षक
आर.एल.यादव ने दर्ज करायी है। तीनों के खिलाफ आईपीसी की
धारा 120 बी, पीसी एक्ट 1988 की धारा 7,8,9 और 12 के तहत
मामला दर्ज किया गया है।
एफआईआर में सीबीआई ने जांच के बाद तीनो पर भ्रष्टाचार और
षडयन्त्र का आरोप लगाया है। मामला 23 मार्च 2016 का है।
उस समय हरीश रावत सरकार को बचाने के लिए पत्रकार और
समाचार प्लस न्यूज चैनल के तत्कालीन प्रधान संपादक और
सीईओ उमेश कुमार ने विधायकों की खऱीद फरोख के लिए धनराशि
तथा अन्य लाभों के सिलसिले में मध्यस्थता की थी। इस पूरी
बातचीत को पत्रकार उमेश कुमार द्वारा मोबाइल से रिकार्ड
किया गया था और बाद में जारी करके
सनसनी
फैलाई गई थी। मामले में कई मोड़ आये। तत्कालीन कांग्रेस
से भाजपा में आये मंत्री हरक सिंह रावत ने जांच की मांग
की थी। इस पर केन्द्र ने सीबीआई जांच के आदेश दिये।
किन्तु हरीश रावत सरकार बहाल होने के बाद मामले को
सीबीआई से वापस लेकर एसआईटी को जांच सोंप दी थी। अब
नैनीताल उच्च न्यायालय की अनुमति के बाद सीबीआई ने जांच
के बाद मामला दर्ज कर लिया है।
ज्ञातव्य है कि उक्त स्टिंग प्रकरण ने तब राजनीतिक हलकों
में सनसनी फैला दी थी। तत्कालीन हरीश रावत सरकार को जाना
पड़ा था। उस समय भाजपा ने इसे भ्रष्टाचार का एक बड़ा
मामला साबित करते हुए प्रचारित किया था। लेकिन, अब जांच
में सामने आया है कि यह पूरा एक ष़डयन्त्र था जोकि सोची
समझी साजिश के तहत रचा गया था। इसी लिस सीबीआई ने इस
मामले में स्टिंगकर्ता पत्रकार उमेश कुमार को भी
अभियुक्त बना लिया है।
FIR COPY OF CBI AGAINST HARISH RAWAT