U.P. Web News
|
|
|
|
|
|
|
|
|
     
  News  
 

   

Home>News 
टीकाकरण अभियान से जे0ई0 प्रभावित रोगियों की संख्या में भारी कमी

Tags:

First Publised on : 2011:10:30       Time 21:20       Last  Update on  : 2011:10:31       Time 06:10

केन्द्र सरकार की बयानबाजी पर प्रदेश सरकार ने दिया कड़ा जवाब
लखनऊ , 30 अक्टूबर। (उप्रससे)। प्रदेश में टीकाकरण अभियान से जेई के रोगियों की संख्या में लगातार कमी हो रही है। इस बीमारी के प्रकोप पर केन्द्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा की जा रही बयानवाजी वेबुनियाद है। यह बात आज यहां प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कही। प्रवक्ता ने कहा कि समाचार पत्रों में उल्लिखित केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का पत्र अभी राज्य सरकार को प्राप्त नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि जहां तक समाचार पत्रों में प्रकाशित पूर्वांचल में अक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम (ए0ई0एस0)जापानीज इंसेफ्लाइटिस (जे0ई0) की बीमारी का प्रश्न है तो इस मामले में सभी अवगत हैं कि यह दोनों बीमारियां लगभग 30 वर्ष पुरानी है। उन्होंने कहा कि जापानी इंसेफ्लाइटिस के रोकथाम के लिए राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2007 से ही सघन टीकाकरण अभियान चलाकर 01 से 15 आयु वर्ग के बच्चों को पूरी तरह आच्छादित किया गया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस प्रयास के चलते ही जहां वर्ष 2005 में जे0ई0 के 1042 केस संज्ञान में आये थे, वहीं 2011 में यह संख्या घटकर मात्र 164 रह गयी है। उन्होंने कहा कि मा0 केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जी के हवाले से मीडिया में प्रकाशितप्रचारित खबरें बेबुनियाद हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि जहां तक ए0ई0एस0 की बात है तो इसके रोकथाम के लिए अभी तक केन्द्र सरकार द्वारा कोई टीका विकसित नहीं किया गया और न ही इस रोग की रोकथाम के लिए प्रभावी शोध ही किया गया है। उन्होंने कहा कि ए0ई0एस0 की रोकथाम के लिए केन्द्र सरकार को अतिशीघ्र पहल करके राज्य सरकार को सहयोग प्रदान करना चाहिए, ताकि इस पर नियंत्रण पाया जा सके। उन्होंने कहा कि ए0ई0एस0 के समस्त रोगियों में मात्र 40 प्रतिशत रोगी ही एन्ट्रो वायरस से प्रभावित होते हैं, जबकि 50 प्रतिशत रोगियों में कारण अभी तक ज्ञात नहीं हो पाए हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ कि केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि इंसेफ्लाइटिस की रोकथाम के लिए प्रदेश सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में शुध्द पेयजल उपलब्ध नहीं कराया, जबकि इस कार्य के लिए मात्र 300 करोड़ रूपये का खर्च ही संभावित है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय मंत्री का यह आरोप सही नहीं है। उन्होंने कहा कि जहां तक 300 करोड़ रूपये की बात है तो यह वही धनराशि है, जिसका राज्य सरकार ने बहुत पहले ही केन्द्र सरकार को प्रस्ताव भेजकर धनराशि की मांग की थी। लेकिन केन्द्र सरकार द्वारा इन प्रस्तावों को आज तक स्वीकृत नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि यद्यपि इन क्षेत्रों में निर्धारित मानकों के अनुसार इण्डिया मार्क-2 हैण्डपम्प राज्य सरकार द्वारा अपने संसाधनों से स्थापित किये गये हैं। गोरखपुर एवं बस्ती मण्डलों की समस्या के दृष्टिगत 50 व्यक्तियों पर एक इंडियामार्क-2 हैण्डपम्प स्थापित करने हेतु लगभग 277 करोड़ रूपये तथा स्वच्छ शौचालय के निर्माण हेतु लगभग 26 करोड़ रूपये के प्रस्ताव पर केन्द्र सरकार द्वारा तत्काल निर्णय लिया जाना चाहिए, ताकि इंसेफ्लाइटिस प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को आसानी से शुध्द पेयजल प्राप्त हो सके।
प्रवक्ता ने कहा कि ए0ई0एस0 की रोकथाम के लिए राज्य सरकार ने अपने सीमित संसाधनों से इस वर्ष ज्यादा प्रभावित गांवों में अतिरिक्त शुध्द जल व्यवस्था हेतु 3340 स्थानों को इण्डिया मार्का-2 हैण्डपम्प स्थापित करने के लिए चिन्हित किया है, जिसमें अभी तक 2356 स्थानों पर इण्डिया मार्क-2 हैण्डपम्प अधिष्ठापन किये जा चुके हैं। इसके अलावा 600 चिन्हित स्थानों पर बोरिंग का कार्य पूर्ण हो गया है, शीघ्र ही इन स्थानों पर भी हैण्डपम्प की स्थापना कर दी जायेगी। प्रवक्ता ने कहा कि इंसेफ्लाइटिस को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार से देवीपाटन, आजमग़ढ एवं लखनऊ मण्डल के कुल 13 जनपदों के 1 से 15 आयु वर्ग के सभी बच्चों को दोबारा जापानी इन्सेफ्लाईटिस टीका लगाने हेतु प्रस्ताव भेजा है। 15 वर्ष से ऊपर के लगभग 33 प्रतिशत लोगों में भी जे0ई0 रोग पाये जाने के कारण गोरखपुर एवं बस्ती मण्डलों के सभी 7 जनपदों में पुन: 1 से 25 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण हेतु भी प्रस्ताव केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा गया है। उन्होंने केन्द्र से अनुरोध किया है कि वे लम्बित प्रस्तावों को तत्काल मंजूरी दें, ताकि इन बीमारियों की प्रभावी रोकथाम की जा सके।
प्रवक्ता ने कहा कि सीमित संसाधनों के बावजूद राज्य सरकार इन बीमारियों की रोकथाम के लिए गम्भीर है और हर सम्भव कदम उठा रही है। राज्य सरकार जे0ई0ए0ई0एस0 के नियंत्रण के लिए कार्ययोजना बनाकर उस पर अमल करा रही है। ए0ई0एस0जापानीज़ इन्सेफ्लाइटिस से प्रभावित रोगियों का सर्वेक्षण किया जा रहा है एवं सीरमरक्त के नमूने एकत्रित कर निकटतम सेन्टीनल लैब में पुष्टि हेतु भेजा जा रहा है। इस वर्ष अब तक 2755 रोगियों में से 2423 रोगियों का सीरमरक्त के नमूने परीक्षित किये जा चुके हैं। जांच हेतु पूरे राज्य में 15 सेन्टीनल लैब एवं 1 रीज़नल लैब स्थापित की गयी है। साथ ही एस0जी0पी0जी0आई0 लखनऊ को एपेक्स सर्विलेंस लैब के रूप में सुदृढ़ीकरण किया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सभी जांचें नि:शुल्क की जाती हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि रोगियों को अविलम्ब चिकित्सा उपलब्ध कराने हेतु सी0एच0सी0पी0एच0सी0 में प्राइमरी उपचार व सामान्य ए0ई0एस0 के रोगियों को भर्ती कर उपचार प्रदान करने हेतु प्रशिक्षित किया जा चुका है, ताकि कम से कम रोगियों को उपचार हेतु बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज गोरखपुर जाना पडे। जिला चिकित्सालय गोरखपुर में ही 12 वेन्टीलेटर युक्त एक वार्ड यिाशील किया गया है। बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त 21 वेन्टीलेटर सहित जापानीज़ इन्सेफ्लाइटिस एपिडेमिक वार्ड भी कार्य कर रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा 08 पीडियाट्रिक वेन्टीलेटर उपलब्ध कराने हेतु भी आदेश निर्गत किये जा चुके है।
प्रवक्ता ने कहा कि मेडिकल कालेज में बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से बालरोग विभाग एवं मेडिसिन विभाग को मिलाकर कुल 395 शैय्याओं की व्यवस्था की गई है जो पूर्व में 104 थी। चिकित्सकों की कमी को दृष्टिगत् करते हुए मुख्य चिकित्सा अधिकारी के अधीन कार्यरत पांच बालरोग विशेषज्ञों को बी0आर0डी0 मेडिकल कालेज गोरखपुर में आकस्मिकता को देखते हुए तैनात किया गया है। बाल रोग विभाग में डिप्लोमा इन चाईल्ड हेल्थ (डी0सी0एच0) की तीन से बढाकर दस सीटें किये जाने की सहमति प्रदान की गई है।
प्रवक्ता ने बताया कि मेडिकल कालेज के पीडियाट्रिक विभाग में मानव संसाधन सपोर्ट हेतु एन0आर0एच0एम0 के अन्तर्गत वर्ष 2011-12 हेतु स्वीकृत कुल धनराशि 63.25 लाख रुपये अभी हाल ही में अवमुक्त किया गया है। बालरोग विभाग को सुदृढ़ करने हेतु 02 करोड़ 40 लाख रूपये की स्वीकृति एन0आर0एच0एम0 में प्रदान कर दी गयी है। बी0आर0डी0 मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर, परिसर में ही एन0आई0वी0 पूणे की एक इकाई भी स्थापित की गयी है। इस इकाई में ए0ई0एस0 रोगियों के सीरमरक्त के नमूनों की जांच के साथ-साथ वायरस अनुसंधान भी किया जा रहा है, किन्तु ए0ई0एस0 का वायरस अभी तक अज्ञात है।
प्रवक्ता ने बताया कि बी0आर0डी0 मेडिकल कालेज, गोरखपुर में सोशल एवं प्रिवेन्टिव मेडिसिन विभाग के अन्तर्गत वेक्टर बॉर्न डिजीज सर्वेलेंस कन्ट्रोल यूनिट स्थापित की गई है जो कि गोरखपुर व बस्ती मण्डल में एन्टोमोलॉजिकल सर्वेक्षण कार्य सम्पादित कर रही है। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क ज्वर से प्रभावित रोगियों के उपचार के उपरान्त यदि अपंगता अवशेष रह जाती है, तो बी0आर0डी0 मेडिकल कालेज गोरखपुर परिसर में विकलांग कल्याण विभाग द्वारा एक मनोविकास केन्द्र संचालित है जिसमें पुर्नवास सेवायें एवं सुविधायें प्रदान की जा रही हैं। संवेदनशील क्षेत्रों में एण्टी लार्वल एवं एण्टी एडल्ट कीटनाशक का छिडकाव कराया जाता है। जे0ई0 प्रभावित सभी जनपदों में ग्राम प्रधान, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं एवं अन्य जागरुक नागरिकों को जे0ई0ए0ई0एस0 रोगों के लक्षण एवं प्राथमिक उपचार को दर्शाने वाली एक मार्गदर्शिका (फोल्डर) वितरित कराये गये हैं।

News source: ,    U.P.Samachar Sewa

Summary: 

News & Article:  Comments on this upsamacharsewa@gmail.com  
 
 
 
                               
 
»
Home  
»
About Us  
»
Matermony  
»
Tour & Travels  
»
Contact Us  
 
»
News & Current Affairs  
»
Career  
»
Arts Gallery  
»
Books  
»
Feedback  
 
»
Sports  
»
Find Job  
»
Astrology  
»
Shopping  
»
News Letter  
© up-webnews | Best viewed in 1024*768 pixel resolution with IE 6.0 or above. | Disclaimer | Powered by : omni-NET