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निखिल
बरेली,10 अक्टूबर । (उप्रससे)।
आखिरी सफर की घड़ी नजदीक आती दिख रही है,
लेकिन सांसें बहन के दीदार में अटकी हैं।
उम्र के आखिरी पड़ाव पर पहुंची रईसा बेगम
(95) जिस्म से रूह परवाज होने से पहले बहन
से मिलने को बेकरार हैं। उनकी ख्वाहिश में
सरहद आड़े आ रही है। पाकिस्तान से आने के
लिए बहन को भारत से वीजा नहीं मिल पा रहा
है। दो बहनों की मुलाकात में सरहद का यह
अड़ंगा बंटवारे के दर्द का अहसास दिला रहा
है। मुहल्ला चक महमूद की रहने वाली रईसा
की छोटी बहन हनीफा शौहर हशमतुल्ला और
खानदान के ज्यादातर लोगों के साथ बंटवारे
के वक्त पाकिस्तान चली गईं। वह कराची में
रह रही हैं। तब खानदान के नाम पर 36 लोग
थे। उस समय के लोगों में ये दो बहनें ही
बची हैं। पिछले दिनों घर में गिर जाने के
सबब रईसा बेगम का कंधा टूट गया। उस समय के
लोगों में ये दो बहनें ही बची हैं। पिछले
दिनों घर में गिर जाने के सबब रईसा बेगम
का कंधा टूट गया। एक तो बुढ़ापा और ऊपर से
बीमारी के कारण सेहत भी साथ छोड़ रही है।
पता नहीं कब मौत का फरिश्ता आ जाए। यह
अहसास रईसा बेगम के साथ उनके घरवालों को
भी है। सभी चाहते हैं कि, किसी भी सूरत से
दोनों बहनों का आखिरी मिलन हो जाए। यहां
आने के लिए सरहद के उस पार हनीफा भी
बेकरार हैं। रईसा बेगम के दामाद असद बताते
है, हनीफा बेगम ने भारतीय वीजा के लिए
आवेदन कर रखा है। नियमों के तहत रईसा बेगम
का वेरीफिकेशन होना है, जो डीएम, डीआईजी
या उनके मातहत अफसर कर सकते हैं। वह
प्रमाणित करेंगे, तभी पाकिस्तान दूतावास
वीजा क्लियर करेगा। इसके लिए असद
कलेक्ट्रेट से लेकर तहसील और थाने तक
चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कहीं भी उनकी
फरियाद नहीं सुनी जा रही। दूसरी तरफ रईसा
बेगम से इंतजार की घडि़यां काटे नहीं कट
रहीं। वह सुबह आंख खुलने से लेकर रात नींद
की आगोश में जाने तक दरवाजे पर टकटकी बांधे
रहती हैं। जरा सी आहट पर उम्मीद से लबरेज
हो जाती हैं। दूसरे ही पल यह साफ होने पर
कि आने वाला कोई और है, मायूसी में डूब
जाती हैं।सिटी मजिस्ट्रेट शिशिर ने बताया
की कोई वेरीरिफिकेशन के कागजात लेकर आया
था ,उसे बता दिया था की से रिपोर्ट लगवा
लाये दस्तखत हो जाएगे . |