नई दिल्ली, 08 नवम्बर 2019। ( उत्तर
प्रदेश समाचार सेवा Uttar Pradesh
Samachar Sewa)। अयोध्या मामले में
सात दशक से लम्बित मुकदमे का फैसला कल
(शमिवार नौ नवम्बर ) को आएगा। फैसला
सुनाने की घोषणा सुप्रीम कोर्ट की
रजिस्ट्री ने कर दी है। फैसले के बाद
की स्थितियों से निपटने के लिए सरकार
ने कड़े प्रतिबंध किये हैं। उधर
सर्वोच्च न्यायालय के पांचों संबंधित
जजों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। दिल्ली
पुलिस ने सम्पूर्म सर्वोच्च न्यायालय
परिसर की सुरक्षा को पुख्ता किया है।
केन्द्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय
के प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन
गोगोई को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की
गई है।
ज्ञातव्य है अयोध्या में
श्रीरामजन्मभूमि बनाम बाबरी मस्जिद
मामला सात दशख से लम्बित है। इस मामले
में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ
खण्डपीठ ने 30 सितम्बर 2010 को फैसला
सुनाया था। इस फैसले मे तीन जजों ने
विवादित भूमि 2.77 को तीन हिस्सों में
बांट दिया था। इसमें से दो हिस्से
हिन्दू पक्ष को तथा एक हिस्सा मुस्लिम
पक्ष को सौंपा गया था। इस बेंच में
जस्टिस धर्मवीर शर्मा, जस्टिस सुधीर
अग्रवाल और जस्टिस एसयू खान शामिल थे।
तीनों जजों ने माना था कि मुख्य
गुम्बद की जगह मन्दिर की है। यह
जन्मस्थान है। लेकिन, इस फैसले को
हिन्दू और मुसलमान दोनों पक्षों ने
नहीं माना था। इसके खिलाफ सर्वोच्च
न्यायालय में अपील की गई थी। कुल 14
अपीलें हुई थीं। सर्वोच्च न्यायालय ने
इस मामले को पांच अगस्त के बाद दैनिक
आधार पर सुनकर निर्धारित समय सीमा मैं
निर्धारण का फैसला किया। इसके बांद
पांच सदस्यों की बेंच ने इसे 40 दिन
तक सुना और 16 अक्टूबर को सुनवाई पूरी
करके फैसला सुरक्षित कर दिया था।
जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में
पांच जजों डस्टिस एसवाई चन्द्रचू़ड़,
जस्टिस एस. ए, बोबड़े., जस्टिस अशोक
भूषण और जस्टिस एस. अब्दूल नजीर की
बेंच बनायी गई थी।
ये पांचो जज कल सुबह साढे दस बजे अपना
फैसला सुनाएंगे। इसके णद्देनजर देश भर
में सुरक्षा प्रबंध किये गए हैं। देश
को हाई अलर्ट पर रखा गया है। उत्तर
प्रदेश में सभी स्कूल कालेज और शिक्षण
संस्थाएं बंद कर दी गई हैं। अयोध्या
में सुरक्षा व्यवस्था बढाई गई है।
समूचे देश में इस फैसले की उत्सुकता
से प्रतीक्षा हो रही है।
अयोध्या मामले के फैसले को मानने के
लिए हिन्दू मुस्लिम दोनों पक्षों ने
जनता से अपील की है। हिन्दू और
मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने अपील की
है कि फैसला जो भी आये उसे स्वीकार करें।
यह फैसला किसी की जीत और हार का फैसला
नहीं होगा। यह सद्भाव पैदा करने वाला
होगा। इसे देश की जनता की परीक्षा की
घड़ी है कि वह भावनाओं से ऊपर कानून
संविधान में विश्वास रखती है। यह फैसला
देश की एकजुटता का भी संदेश देगा।
|