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Delhi, 07 November 2011, नई दिल्ली।
समाचार प्रसारण उद्योग के आत्म नियमन को
अधिक तवज्जो नहीं देने वाले भारतीय प्रेस
परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्केडेय
काटजू ने सोमवार को कहा कि यदि टीवी चैनल
प्रेस परिषद के तहत नहीं आना चाहते तो
उन्हें लोकपाल जैसी अन्य संस्था चुननी
पड़ेगी। काटजू ने कहा कि आत्म नियमन कोई
नियमन नहीं होता। उन्होंने कहा कि समाचार
संगठन निजी संगठन होते हैं जिनकी गतिविधियों
का जनता पर व्यापक असर पड़ता है और उन्हें
भी जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रानिक चैनल यह कैसे
कह सकते हैं कि वे किसी के प्रति नहीं
सिर्फ अपने प्रति जवाबदेह हैं। इससे पूर्व
रविवार को काटजू ने न्यूज ब्राडकास्टिंग
एसोसिएशन के सचिव एन के सिंह को पत्र
लिखकर उनसे पूछा था कि क्या समाचार
प्रसारणकर्ता लोकपाल के तहत आने के इच्छुक
हैं। काटजू ने लिखा कि मैं जानना चाहता
हूं कि क्या न्यूज ब्राडकास्टर्स एसोसिएशन,
जिसके संभवत: आप सचिव हैं, लोकपाल के तहत
आना चाहते हैं। लोकपाल का गठन संसद के
शीतकालीन सत्र में किया जाना प्रस्तावित
है। आप भारतीय प्रेस परिषद के तहत आने के
अनिच्छुक जान पड़ते हैं। क्या आप लोकपाल के
तहत आने के लिए भी अनिच्छुक हैं। उन्होंने
कहा कि आप आत्म नियमन के अधिकार का दावा
करते हैं। क्या मैं आपको याद दिला सकता
हूं कि सुप्रीम कोर्ट एवं सभी हाईकोर्ट के
न्यायाधीशों तक के पास पूर्ण अधिकार नहीं
होते। कदाचार के लिए उनका भी महाभियोग किया
जा सकता है। वास्तव में महाभियोग के कारण
हाईकोर्ट के एक मुख्य न्यायाधीश और एक
न्यायाधीश ने हाल में इस्तीफा दिया था।
काटजू ने कहा कि वकील बार कांउसिल के तहत
आते हैं और पेशेवर कदाचार के कारण उनका
लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। इसी तरह,
डाक्टर मेडिकल कांउसिल, चार्टर्ड
एकाउंटेंड अपनी काउंसिल के तहत आते हैं।
तो फिर आपको लोकपाल या किसी ऐसे अन्य
नियामक प्राधिकरण के तहत आने से आपत्ति
क्यों होनी चाहिए। काटजू ने अपने पत्र में
कहा कि हाल के अन्ना हजारे आंदोलन को
मीडिया में व्यापक प्रचार दिया गया। अन्ना
की मांग क्या है। यही कि नेताओं, नौकरशाहों,
न्यायाधीशों आदि को जनलोकपाल विधेयक के
तहत लाया जाए। आप किसी तर्क के साथ लोकपाल
के दायरे से बाहर रखे जाने के दावा कर रहे
हैं। उन्होंने कहा कि आपने आत्म नियमन का
दावा किया है। इसी तर्क के अनुसार नेता,
नौकरशाह आदि भी आत्म नियमन का दावा करेंगे।
अथवा क्या आप इतने दूध के धुले हैं कि आपके
अलावा आपका कोई और नियमन नहीं कर सकता।
अगर ऐसा है तो पेड न्यूज, राडिया टेप आदि
क्या हैं।
साभार जागरण डाट काम
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