लखनऊ,
03 अप्रैल 2019
(उ.प्र.समाचार सेवा)।
उत्तर प्रदेश की आर्थिक अपराध शाखा ने 13 साल पुराने 35
हजार करोड के अनाज घोटाले में 44 लोगों के खिलाफ एफआईआर
दर्ज की है। इसमें 40 फर्मों के 44 साझीदारों को
अभियुक्त बनाया गया है। घोटाला सार्वजनिक वितरण प्रणानी
के तहत गरीबों को बांटे जाने वाले अनाज को खरीदकर
बंगलादेश भेजने से सम्बन्धित है। आरोपी फर्मों ने प्रदेश
के कई जिलों से सरकारी सस्ते गल्ले की दुकानों पर जाने
वाले राशन को डीलरों और कोटेदारों से खरीद लिया और उसे
कानपुर रेलवे स्टेशन से बंगलादेश को निर्यात कर दिया।
उक्त घोटाले का
समाचार पत्रों में खुलासा होने के बाद झांसी के कमिश्नर
ने जांच कराई तो घोटाले का खुलासा हुआ। इसी के बाद मामले
को जांच के लिए ईओडब्लू को सौंप दिया गया। ईओडब्लू ने 13
साल की जांच के बाद घोटाले में एफआईआर दर्ज की है। अनाज
की कालाबाजारी का यह खेल 29 सितम्बर 2004 से 21 जनवरी
2005 के बीच हुआ। घोटाला हनुप्रासद औझा नामक व्यापारी ने
अपने साथियों के साथ मिलकर किया। इन्होंने किसानों से
सीधे गेहूं खरीदने की बजाय 31 जिलों के कोटेदारों से
गरीबों का राशन खऱीद लिया। इसे कानपुर सेंट्रल रेलवे
स्टेशन पर एकत्रित किया गया और वहां से 7 रैक से गेहूं
और 2 रैक से चावल बंगलादेश को भेज दिया गया। यह निर्यात
सितम्बर 2004 से फरवरी 2005 के बीच किया गया।
कहां से खरीदा
अनाज
कानपुर, कानपुर देहात,
हमीरपुर,फतेहपुर, उन्नाव, बादा,कौशाम्बी और कन्नौज
कौन हैं आरोपी
ईओडब्लू द्वारा आरोपी
बनाये गए लोगों में हनुमान प्रसाद ओझा, भंवरलाल
ओझा,ब्रजलाल ओझा, दिलीप ओझा,मनीराम ओझा, राजेश
अग्रवाल,राजकुमार अग्रवाल और नन्दलाल सारस्वत समेत 44
लोग शामिल हैं।
कितना अनाज खरीदा
गया-
19167.87 क्विंटल का
घोटाला
जांच कार्रवाई-
27 फरवरी 2006 को
ईओडब्लू को जांच सौंपी गई
नई एफआईआर
03 मई 2019