लखनऊ।
(उत्तर प्रदेश समाचार सेवा)।
17 अतिपिछड़ी जातियों-निषाद, मल्लाह, केवट, माझी, मछुआ,
बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, कश्यप, गोड़िया, तुराहा, रैकवार,
कुम्हार, प्रजापति, भर, राजभर आदि को अनुसूचित जाति में
शामिल करने का मुद्दा 2004 से पोलिटिकल स्टंट बनकर रह गया
है। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव लौटन राम
निषाद ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में
शामिल करने के मुद्दे पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए
कहाकि यह समाजवादी पार्टी के लिए सिर्फ पोलिटिकल स्टंट
बनकर रह गया है। 17 अतिपिछड़ी जातियों को सामाजिक न्याय व
आरक्षण मसले पर सपा की नियत ठीक नहीं है। सपा इसे
पोलिटिकल स्टंट बनाकर सिर्फ वोट बैंक की राजनीति करना
चाहती है। सामाजिक न्याय समिति-2001 की सिफारिश के
अनुसार राजनाथ सिंह जी की सरकार ने अन्य पिछड़े वर्ग का 3
श्रेणियों में विभाजन कर जनसंख्या अनुपात में आरक्षण की
व्यवस्था करने का कदम उठाया तो सपा व बसपा दोनो दलों के
नेताओं ने विरोध किया। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने
अतिपिछड़ों में फूट डालने की नियत से 17 अति पिछड़ी जातियों
को अनुसूचित जाति में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र
सरकार को भेजा। 2004 से 2014 तक माया व मुलायम यू0पी0ए0
सरकार को समर्थन दे चलाते रहे, परन्तु इन्होंने इन जातियों
को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं करा पाये।
श्री निषाद ने कहाकि 2004 में तत्कालीन मुख्यमंत्री
मुलायम सिंह यादव ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित
जाति में शामिल करने की संस्तुति केन्द्र सरकार को भेजी।
विधानसभा चुनाव-2007 के चुनाव घोषणा पत्र में कांग्रेस
ने अन्य राज्यों की भांति निषाद/मछुआ समुदाय की मल्लाह,
केवट, माझी, बिन्द, धीवर, धीमर, कहार, गोड़िया, तुराहा,
रैकवार आदि को अनुसूचित जाति के आरक्षण का लाभ देने का
मसला शामिल किया था। 04 मार्च 2008 को तत्कालीन
मुख्यमंत्री मायावती ने 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित
जाति में शामिल करने की संस्तुति केन्द्र सरकार को भेजी।
इसी तरह वर्तमान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी 15 फरवरी,
2013 को 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल
करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जिसे आर0जी0आई0
ने असहमति जताते हुए निरस्त कर दिया है। उन्होनें कहाकि
मझवार, गोड़, तुरैहा 1950 से ही अनुसूचित जाति में शामिल
है, परन्तु इनकी पर्यायवाची जातियों को चमार/जाटव,
वाल्मीकि आदि की भांति आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा
हैं।
श्री निषाद ने बताया कि मल्लाह, माझी, केवट, बिन्द,
राजगौड़ आदि अनुसूचित जाति मझवार की, धीवर, धीमर, तुराहा
आदि तुरैहा की, गोडिया, धुरिया, रैकवार, कहार, धीमर आदि
गोड़ की व भर, राजभर, पासी, तड़माली की पर्यायवाची व
वंशानुगत जातियाँ है। उन्होंने कहाकि यदि सपा ने 17
अतिपिछड़ी जातियों को शिक्षा, सेवायोजन, स्थानीय निर्वाचन
में 7.5 प्रतिशत आरक्षण व मत्स्य पालन, बालू मौंरंग खनन
का पट्टा 1994-95 के अनुसार बहाल कर देने का शासनादेश
करने के साथ-साथ राज मछुआरा आयोग का गठन करा दिया तो
2017 में सपा को या भाजपा ने मझवार, तुरेहा, गोड़ को
परिभाषित कराकर केन्द्र सरकार से आरक्षण का लाभ देने व
राष्ट्रीय मछुआरा आयोग का गठन करने का कदम उठाया तो भाजपा
को समर्थन दिया जायेगा। उन्होंने निषाद क्रान्ति रथ
यात्रा के बारे में बताया कि यह रथयात्रा निषादवंशीय
समाज सहित अतिपिछड़ी जातियों को जागरूक व एकजुट करने के
उद्देश्य से शुरू की गयी है।