जालौन-उरई। भीषण गर्मी में पानी की
बूंद-बूंद के लिए ग्रामीण परेशान हैं। जलस्तर लगातार
नीचे खिसकने से घरों में लगे निजी हैंड पंपों ने भी
पानी देना बंद किया। ग्रामीण इलाकों में ग्रामीणों को
प्यास बुझाने के लिए एकमात्र सरकारी मार्का वाले
हैंडपंपों का सहारा बचा है। ब्लॉक क्षेत्र के 110
राजस्व गावों में लगे 2940 सरकारी हैंड पंप ऊंट के
मुंह में जीरा साबित हो रहे हैं। ऐसे में एक तिहाई से
अधिक हैंडपंप खराब होने से स्थिति और भी भयावह है।
आसमान से निकल रही आग से लगातार पारा चढ़ता जा रहा है।
इस भीषण गर्मी में लोगों का सब्र भी टूटता नजर आ रहा
है। भीषण गर्मी में आम जनमानस के लिए अपनी प्यास बुझाने
का एकमात्र. सहारा पेयजल ही है। लेकिन विभागीय उदासीनता
के चलते इस भीषण गर्मी में भी ग्रामीण पानी की
बूंद-बूंद के लिए मोहताज नजर आ रहे हैं। ग्रामीण सुबह
से लेकर शाम तक हैंडपंपों पर खड़े होकर अपनी बारी का
इंतजार करते हैं। घंटों की मेहनत के बाद उन्हें एक दो
बाल्टी पानी नसीब हो पाता है। ग्रामीण इलाकों के लोगों
की मानें तो उनके घरों मंे लगे निजी हैंडपंपों ने जबाव
दे दिया है। घरों में लगे हैंडपंप सफेद हाथी साबित हो
रहे हैं। उनसे एक बूंद पानी तक नहीं निकल रहा है।
जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है वैसे-वैसे भूगर्भ जल स्तर
भी लगातार नीचे खिसकता जा रहा है। ऐसे में लोगों की
प्यास बुझाने के लिए ग्रामीण इलाकों में सरकारी मार्का
वाले हैंडपंप ही एकमात्र सहारा बचे हैं। लेकिन ब्लॉक
क्षेत्र 62 ग्राम पंचायतों क्षेत्र के आंकड़ों पर नजर
डालें तो 110 राजस्व गांवों मंे मात्र 2940 हैंडपंप ही
लगावाए गए हैं। जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे
है। तो वहीं, जो हैंडपंप लगे हैं, उनमें भी एक तिहाई
से अधिक हैंडपंप खराब पड़े होने के चलते स्थिति और भी
भयावह हो गई है।