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लखनऊ।
समाजवादी पार्टी में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार
के कारणों पर मंथन जारी है। शुक्रवार को सपा मुखिया
मुलायम सिंह यादव ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की
उपस्थिति में विधायकों के साथ हार के कारणों की समीक्षा
की।शुक्रवार की समीक्षा के दौरान विधायकों के निशाने
पर मंत्री गण रहे। उनका आरोप था कि पार्टी प्रत्याशियों
की हार के प्रमुख कारण सरकार के मंत्री ही रहे। विधायकों
ने कई मंत्रियों के हटाने की मांग भी कर डाली।
संभल के विधायकों ने कैबिनेट मंत्री इकबाल महमूद को
प्रत्याशी की हार के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि
उनकी निष्क्रियता की वजह से ही पार्टी उम्मीदवार
शफीकुर्रहमान बर्क को मामूली वोटों से हारना पड़ा। उधर
हरदोई के विधायकों ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव
नरेश अग्रवाल पर हमला किया। इन विधायकों का आरोप था कि
अग्रवाल ने न तो विधायकों को भरोसे में लिया और न ही
अन्य नेताओं को जिसका खामियाजा पार्टी और प्रत्याशी
दोनों को उठाना पड़ा।
पूर्वांचल के विधायकों ने भी अपने क्षेत्र के मंत्रियों
पर जमकर भड़ास निकाली। इन विधायकों ने आरोप लगाया कि
मंत्रियों ने क्षेत्रीय समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया
जिससे पार्टी प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा।कुछ
विधायकों ने स्थानीय अधिकारियों पर भी निशाना साधा और
आरोप लगाया कि वे सब भी भाजपाईयों की तरह नरेंद्र मोदी
के नाम का जाप कर रहे थे। अलीगढ़ के एक विधायक ने तो यहां
तक कहा कि उनके यहां के जिलाधिकारी ने उन्हें ही
हवालात में डालने की चेतावनी दे डाली थी।
इसी बीच कुछ विधायकों ने हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की
बात की तो नेताजी (सपा मुखिया) का पारा चढ़ गया।
उन्होंने उलटा सवाल कर दिया कि समय रहते इस बात की
जानकारी क्यों नहीं दी गई। हालांकि सपा मुखिया थोड़ी ही
देर में ‘‘मुलायम‘‘ हो गये। उन्होंने विधायकों को
पुचकारते हुए कहा कि वे नतीजों से हताश या मायूस न
हों। मुलायम ने कहा कि राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते
हैं। जो जनता हराती है, वही बाद में जिताकर भेजती है।
मुलायम ने इस अवसर पर भविष्यवाणी भी की कि छह महीने
में ही लोगों का नई सरकार से मोह भंग हो जाएगा।
उन्होंने विधायकों से कहा कि वे अपने क्षेत्र में जाकर
जनता से मिलें और अगले विधानसभा के चुनाव की तैयारी करें।
हालांकि सूबे की 80 में से सिर्फ पांच सीटें जीतने वाली
समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम को एक फिक्र बार-बार
सता रही थी कि लोकसभा में नरेंद्र मोदी को कौन रोकेगा।
उनका यह डर इसलिए है कि उनके पास इस बार बोलने वाले
अनुभवी सांसद नहीं हैं। |