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नेचुरल
गैस की किमतों में वृद्धि, कार्पोरेट घरानों
की साजिश |
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Tags: Natural Gas |
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Publised
on : 11 May 2014 Time 18:00 |
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लखनऊ। आल इंडिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन
ने रिलायंस और उसकी सहयोगी कंपनियों
ब्रिटेन की बीपी पी एल सी और कनाडा की नीको
रिसोर्सेज द्वारा नेचुरल गैस की कीमतों
में 1 अप्रैल से दोगुनी वृद्धि को 12 मई
का चुनाव संपन्न होते ही प्रभावी करने हेतु
9 मई को दी गयी मध्यस्थता नोटिस को
कारपोरेट घरानों की बड़ी साजिश बताया है।
आल इंडिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से अपील की है
कि वे इस ब्लैक मेल के सामने न झुकें ,
साथ ही फेडरेशन ने भाजपा के पी एम
प्रत्याशी नरेन्द्र मोदी से भी इस मामले
में हस्तक्षेप करने की अपील की है जिससे
नयी सरकार आने से पहले आम जनता पर साजिशन
डाले जा रहे बोझ को रोका जा सके।
ध्यान रहे कि नेचुरल गैस की कीमतों में 1
अप्रैल से दोगुनी वृद्धि को अमल में लाने
के लिए रिलायंस और सहयोगी कम्पनियां चुनाव
प्रक्रिया का अंतिम चरण पूरा होने के पहले
ही अचानक सक्रिय हो गयी हैं और उन्होंने
भारत सरकार द्वारा 10 जनवरी 14 को
नोटीफाईड नेचुरल गैस कीमत गाइड लाइन तुरंत
लागू करने की नोटिस दे दी है द्य इस मामले
में फेडरेशन ने कहा है कि गैस अधारित बिजली
घरों की उत्पादन लागत में भारी वृद्धि होने
से गैस बिजली घरों पर बन्दी का खतरा खड़ा
हो जाएगा क्योंकि पहले ही भारी घाटे में
चल रही बिजली वितरण कम्पनियां इतनी मंहगी
(रु 7.50प्रति यूनिट) बिजली खरीदने की
स्थिति में नहीं होंगी।
आल इंडिया पावर इन्जीनियर्स फेडरेशन के
चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने आज यहां बताया
कि नेचुरल गैस की कीमतों में 4.2 डालर
प्रति एम0एम0 बी0टी0यू0 से 8.4 डालर प्रति
एमएम बी.टी.यू. वृद्धि के तेल मंत्रालय के
आदेश पर केन्द्रीय विधुत प्राधिकरण ने पहले
ही बहुत गम्भीर सवाल उठाते हुए कहा है कि
गैस की कीमतों में वृद्धि से गैस आधारित
बिजली घरों की उत्पादन लागत मौजूदा रू
4.00 से रू 4.50 प्रति यूनिट से बढ़कर रू
6.50 से रू 7.50 प्रति यूनिट तक हो जायेंगी
जिसे खरीद पाना भारी घाटे में चल रही
वितरण कम्पनियों के लिए सम्भव नहीं होगा।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश की कुल
बिजली उत्पादन क्षमता में 25 प्रतिशत गैस
आधारित बिजली परियोजनायें हैं जिनपर बढ़ी
उत्पादन लागत के बाद बन्दी का खतरा
उत्पन्न हो जाएगा जो बिजली की कमी से जूझ
रहे देश के लिए अत्यन्त घातक व चिन्ताजनक
है।
उन्होंने बताया कि एक अन्य सवाल गैस की
कीमतों को डालर में तय किया जाना भी है
जिससे डालर की कीमत बढ़ने पर बिजली वितरण
कम्पनियों को रूपये में अधिक कीमत देनी
पड़ती है। साथ ही गैस की कीमतों में 01
अप्रैल, 2014 से वृद्धि का आदेश होने के
बाद वितरण कम्पनियों को नियामक आयोग को अब
नये सिरे से टैरिफ प्रस्ताव भी देने पड़ेंगे
क्योंकि लगभग सभी वितरण कम्पनियां गैस की
पुरानी कीमत के आधार पर अपने प्रस्ताव पहले
ही दे चुकी हैं जो अब आप्रासांगिक हो
जायेंगे
उन्होंने आरोप लगाया कि गैस की कीमतों में
वृद्धि से रिलायन्स समूह को सालाना 54000
करोड़ रूपये का अतिरिक्त फायदा होगा जबकि
बिजली दरों में रू 02.00 से रू 02.50 प्रति
यूनिट तक की वृद्धि हो जायेगी । उन्होंने
कहा कि गैस की कीमतों में वृद्धि का
इन्तजार कर रही रिलायन्स ने जानबूझ कर
वित्तीय वर्ष 2013-14 में गैस आधारित बिजली
घरों को समुचित मात्रा में गैस नहीं दी
जिससे 21 हजार मेगावाट क्षमता के गैस
आधारित बिजली घरों का उत्पादन प्रभावित
हुआ। करार के अनुसार गैस न देने का
रिलायन्स पर 1.005 अरब डालर का आर्थिक
दण्ड भी लगाया गया किन्तु तब भी रिलायंस
ने मध्यस्थता नोटिस दे दी थी और केंद्र
सरकार ने दण्ड वसूलने के बजाय गैस कीमतें
दोगुना करके रिलायन्स को उल्टे तोहफा दिया
है जो अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है। |
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source: UP Samachar Sewa |
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