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बालू-गिटटी के नाम पर जिला पंचायत को मिले 2 करोड़ 93 लाख

Tags: Orai News खनन के बिना खनन बैरियर का करिश्मा

Publised on : 31 March 2016,  Last updated Time 22:15
उरई। न खाता न बही साहब कहें सो सही। यह कहावत जिला पंचायत के गिटटी, बालू बैरियरों की नीलामी में लोगोें को अनायास याद आ गई। यहां तक कि नीलामी लगाने आये ठेकेदारों ने भी कहा कि जब जिले में कहीं गिटटी का खनन होता ही नही है तो किस प्वांइट पर गिटटी का बैरियर लगेगा। लेकिन हकीकत तो यह है कि जिले में बालू का भी खनन हाईकोर्ट के आदेश से बंद है इसलिए बालू के बैरियर पर भी सवाल है कि इसके बैरियर किस प्वाइंट से लगेंगे। हैरत की बात यह है कि इसके बावजूद पिछले वर्ष की तुलना में 1 करोड़ 12 लाख रुपये ज्यादा की बोली लगाकर ठेका लिया गया है। इतनी ऊंची बोली किस प्रत्याशा में लगाई गई है इस पर अधिकारी भी खामोश है और ठेकेदार भी। लेकिन जनमानस कह रहा है कि बैरियरों की आड़ में डकैती डाले बिना इतनी उगाही किसी भी कीमत पर संभव नही है।
गिटटी, बालू के बैरियर के लिए एडीएम आनंद कुमार की देखरेख में जिला पंचायत के सभागार में अपर मुख्य कार्य अधिकारी आरएस यादव ने नीलामी की कार्रवाई संचालित की। आठ ठेकेदारों धर्मेंद्र इकलासपुरा, विनोद कुमार निरंजन, अनीस खां, रमाकांत, रामनरेश तिवारी पम्मू महाराज, शंभू नारायण बांदा, बन्ने खां और हिफजुल रहमान इटावा ने 25-25 लाख रुपये की अग्रिम धनराशि जमाकर बोली लगाई। सबसे पहले एएमए ने ऐलान किया कि 2 करोड़ 50 लाख 53 हजार 250 रुपये न्यूनतम् सरकारी बोली तय की गई है। ठेकेदार इससे बढ़कर बोली लगाना शुरू करें। अनीस गुलौली ने इस पर आपत्ति जताई कि जब पिछले वर्ष सरकारी बोली 1 करोड़ 81 लाख रुपये थी तो इस वर्ष बोली इतनी ज्यादा बढ़ाने का क्या कारण है। उन्होंने कहा कि क्या बैरियरों की संख्या बढ़ाई गई है। उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब जिले में गिटटी का खनन होता ही नही है तो गिटटी वसूली का बैरियर कहां स्थापित होगा। क्या हाईवे पर बैरियर लगाने दिया जायेगा।
अनीस गुलौली के पेंचदार सवालों से अधिकारी सकपका गये। थूक गटकते हुए एएमए ने कहा कि हाईवे पर कोई वैरियर नही लगने दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि मुझे कितने बैरियर है अभी इसकी जानकारी नही है। इस पर अनीस गुलौली ने उन्हें और घेरा तो एएमए की आवाज तेज हो गई। अनीस गुलौली ने फिर एक दहला जड़ा कि ठेकेदार के अपनी बात कहने पर भी पाबंदी हो तो मैं न बोलू। इसके बाद एएमए का सुर ढीला पड़ गया।
बोली की शुरूआत धर्मेंद्र इकलासपुरा ने 2 करोड़ 60 लाख रुपये लगाकर की। इसके बाद पहले राउंड में ज्यादातर ठेकेदारों ने बोली नही लगाई। बाद में दूसरा राउंड कराया गया। जिसमें 1 हजार और 500 रुपये बढ़ाकर ठेकेदारों ने अधिकारियों को जमकर नचाया। अगले चक्रों में भी यही क्रम जारी रहा। एएमए ठेकेदारों के इस पैतरे से पानी मांगने को मजबूर हो गये। हालांकि उन्होंने ठेकेदारों के लिए पहले पानी और चाय मंगवाई। इस बीच ठेकेदार मशविरा करने के बहाने बाहर चले गये जिससे बोली अटकी रही। अधिकारियों की ढिलाई की वजह से अव्यवस्था और बढ़ जाती लेकिन एक बार फिर अनीस ने ही मोर्चा संभाला। उन्होंने कहा कि इस तरह मशविरे के लिए ठेकेदारों के बाहर जाने का क्रम जारी रहा तो रात भर बोली नही निपट पायेगी। उन्होंने कहा कि मैं भी मशविरे के लिए एक आध घंटे बाहर चला जाता हूं। अनीस ने यह भी कहा कि नीलामी को अनिश्चित काल तक चलाने की बजाए निर्णायक स्थिति लाई जाये। इसके बाद अधिकारियों ने कुछ देर बगलें झांकी और फिर वे नीलामी को पटरी पर लाने के लिए सख्त हुए। सभाकक्ष के दरवाजे बंद कराकर ठेकेदारों को बाहर जाने से रोक दिया गया। अनीस की बोली 2 करोड़ 93 लाख पर पहुंचने के बाद अधिकारियों ने फिर सोच-सोच कर बोली लगाने का मौका देने की बजाय 2 करोड़ 93 लाख एक, 2 करोड़ 93 लाख दो और 2 करोड़ 93 लाख तीन कहकर बोली को पटाक्षेप के चरण पर पहुंचा दिया।
नेपथ्य की काॅल बनी निर्णायक
जब ठेकेदार बाहर भीतर हो रहे थे उस समय मनोज तिवारी के मोबाइल पर आई एक काॅल ने बोली को निर्णायक मंजिल पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। हालांकि मनोज तिवारी प्रत्यक्ष रूप से बोली में भागीदार नही थे। लेकिन शंभू नारायण के सहायक के रूप में उपस्थित रहकर वे बोली में एक प्रमुख सूत्रधार की भूमिका निभा रहे थे। शुरू में उनके तेवर बोली में किसी भी हद तक जाने के लिए तत्पर थे लेकिन नेपथ्य की काॅल ने उन्हें पसीज जाने को मजबूर कर दिया। जब वे वापस सभागार में लौटे तो उन्होंने मंजर बदल कर रख दिया। उनकी देखा देखी सभी ठेकेदार कहने लगे कि अब अनीस की ही बोली मंजूर कर ली जाये।
पूरी रकम एक मुश्त होगी जमा
इटावा से बोली लगाने आये चचा हिफजुल रहमान ने इशारों-इशारों में प्रशासन की ऐसी खिचाई की कि अधिकारियों को झेंपते ही बना। उन्होंने कहा कि गिटटी बैरियर का नाम जोड़कर कन्फ्यूजन पैदा करने का पैंतरा हो या बोली की पूरी रकम एक मुश्त जमा करने का इसमें प्रतिद्वंदी ठेकेदारों के लिए एक मैसेज है। बोली में अनुकूल ठेकेदार होने पर शायद यह शर्तें शिथिल हो सकती हैं। इसलिए प्रतिद्वंदी ठेकेदारों के लिए पीछे हटने में ही भलाई है।
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News source: UP Samachar Sewa

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